74 साल की महिला ने दिया जुड़वा बच्चों को जन्म, औरतों के लिए वरदान बना यह ट्रीटमेंट

punjabkesari.in Thursday, Sep 05, 2019 - 04:27 PM (IST)

महिलाओं को किसी को लगता है कि 30 के बाद मां बनना सही नहीं है। मगर हाल ही में एक महिला ने 74 साल की उम्र में बच्चे को जन्म देकर सबकी सोच को गलत साबित कर दिखाया है। जी हां, आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में रहने वाली 74 वर्षीय वाई मंगायम्मा ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। इसके लिए उन्होंने आईवीएफ (कृत्रिम गर्भाधान) का सहारा लिया था। वह लगातार चिकित्सकों की निगरानी में रही तथा उसने सिजेरियन ऑपरेशन के जरिए दो जुड़वा बच्चियों को जन्म दिया है। देश में किसी 74 वर्षीय महिला के जुड़वा बच्चों को जन्म देना अपनी तरह का पहला मामला है।

PunjabKesari

महिला के पति वाई राजा राव ने बताया कि शादी के कई सालों बाद भी वह संतानहीन रहे। इसके लिए उन्हें कई बार रिश्तेदारों के ताने भी सुनने पड़ते थे लेकिन फिर आईवीएफ तकनीक से उन्हें यह खुशी नसीब हो गई। 57 वर्षों बाद बच्चों की किलकारी सुनकर उनकी खुशी का ठिकाना न रहा।

PunjabKesari

महिलाओं के लिए वरदान बन रही है IVF तकनीक

मां बनना हर महिला की चाहत होती है लेकिन कुछ वजहों से औरतें इस सुख से वंचित रह जाती हैं। इतना ही नहीं, मां ना बन पाने के कारण कुछ महिलाओं को समाजिक बहिष्‍कार काभी सामना करना पड़ता है। ऐसे में आईवीएफ (टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक) महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

क्या हैं आईवीएफ?

आईवीएफ यानि टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक में महिलाओं के गर्भाश्य में दवाइयों व इंजैक्शन द्वारा सामान्य से ज्यादा अंधिक अंडे बनाए जाते हैं। फिर सर्जरी से अंडो को निकाल कर कल्चर डिश में तैयार पति के शुक्राणुओं के साथ मिलाकर निषेचन (Fertilization) के लिए लैब में 2-3 दिन रखा जाता है। इस प्रक्रिया के लिए अल्ट्रासाउंड का यूज किया जाता है। जांच के बाद भ्रूण को वापिस महिला के गर्भ में इम्प्लांट किया जाता है। IVF की प्रक्रिया में 2-3 हफ्ते का समय लग जाता है। बच्चेदानी में भ्रूण इम्प्लांट करने के बाद 14 दिनों में ब्लड या प्रेगनेंसी टेस्ट के जरिए इसकी सफलता और असफलता का पता चलता है।

PunjabKesari

उम्रदराज औरतों के लिए फायदेमंद

40 से 44 उम्र की महिलाओं की गर्भधारण की क्षमता काफी कम होकर 10% से भी कम रह जाती है। इस उम्र तक महिला के माहवारी अनियमित या बंद हो जाती है, जिसके बाद प्रेगनेंसी मुश्किल होती है। अधिक उम्र में गर्भधारण हो भी जाए तो गर्भपात या फिर भ्रूण में विकार का खतरा रहता है। मगर अधिक उम्र में भी सुरक्षित तरीके से संतान की इच्छा को पूरा करने के लिए IVF बेहतरीन जरिया है। इससे महिला के मां बनने के संभावना करीब 70% तक होती है।

क्या महामारी बंद होने के बाद फायदेमंद है IVF?

माहवारी बंद होने पर गर्भधारण करने की संभावनाएं बहुत हद तक खत्म हो जाती हैं। मगर आईवीएफ तकनीक से बंद माहवारी में भी मातृत्व को प्राप्त किया जा सकता है। पीरियड को फिर से शुरू करने के लिए दवाइयों के जरिए एक बार फिर से शुरू किया जाता है या फिर डोनर एग/ आईवीएफ का सहारा लिया जा सकता है।

PunjabKesari

बच्चा भी होता है स्वस्थ

कुछ लोगों को लगता है कि इस तकनीक द्वारा पैदा हुए बच्चे दूसरों के मुकाबले असामान्य होते हैं जबकि यह धारणा बिल्कुल गलत है। बच्चे का स्वस्थ होना मां की सेहत पर निर्भर करता है। इन दोनों ही तरह के बच्चों में अंतर सिर्फ गर्भधारण करने के तरीके का होता है। IVF से जन्म लेने वाले बच्चे सामान्य बच्चों जितने ही हेल्दी होते हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anjali Rajput

Recommended News

Related News

static