शादी के 6 पड़ाव: तीसरे पड़ाव पर क्यों टूट जाते हैं सबसे ज्यादा रिश्ते, जानें कैसे बचाएं अपना रिश्ता
punjabkesari.in Friday, Sep 19, 2025 - 06:50 PM (IST)

नारी डेस्क : शादी को सात जन्मों का पवित्र रिश्ता कहा जाता है। लेकिन असल में इस रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए हमें इस जन्म में शादी के 6 खास पड़ावों से गुजरना पड़ता है। हर पड़ाव अपने साथ नई चुनौतियां और सीख लेकर आता है। अफसोस की बात यह है कि ज्यादातर रिश्ते तीसरे पड़ाव पर ही टूट जाते हैं। लेकिन अगर आप इसे समझदारी से पार कर लें, तो आगे की जिंदगी बेहद खूबसूरत बन सकती है।
पहला पड़ाव ड्रीम फेज
शादी का पहला पड़ाव सबसे खूबसूरत और रोमांच से भरा होता है। इसे अक्सर हनीमून पीरियड कहा जाता है, क्योंकि इस समय सबकुछ परफेक्ट और सपनों जैसा लगता है। इस फेज में पार्टनर की छोटी-छोटी गलतियां भी प्यारी लगती हैं। घूमने-फिरने, नई जगहें देखने और रिश्तेदारों से मिलने का खास उत्साह रहता है। कपल्स ज्यादातर समय एक-दूसरे के साथ बिताना चाहते हैं। यह दौर रिश्ते की मजबूत नींव रखने का समय होता है और जीवनभर की यादें यहीं से बनती हैं।
दूसरा पड़ाव हकीकत फेज
शादी का दूसरा पड़ाव वह समय होता है जब असली जिंदगी सामने आने लगती है। इस फेज में कपल्स एक-दूसरे की आदतों और स्वभाव को गहराई से समझने लगते हैं। अब पार्टनर की छोटी-छोटी आदतें दिखने लगती हैं, जैसे कोई ऑफिस से आकर चुप रहना पसंद करता है और दूसरा तुरंत बातें करना चाहता है। कई बार इन आदतों के टकराव से बहस या मनमुटाव शुरू हो जाता है। इस समय समझदारी और धैर्य दिखाने की जरूरत होती है ताकि छोटी बातों से रिश्ते में खटास न आए। यह फेज सिखाता है कि प्यार सिर्फ रोमांस तक सीमित नहीं है, बल्कि एक-दूसरे को समझना और अपनाना भी जरूरी है।
तीसरा पड़ाव निराशा और मतभेद का फेज
शादी का तीसरा पड़ाव सबसे नाजुक माना जाता है। इसे अक्सर डिसअपॉइंटमेंट फेज कहा जाता है। इस समय रिश्ते में मतभेद गहरे हो जाते हैं और छोटी-छोटी बहसें बड़े झगड़ों का रूप ले लेती हैं। कभी-कभी ससुराल या परिवार से जुड़ी बातें भी तनाव बढ़ा देती हैं। कपल्स को लगता है कि शायद उनका रिश्ता अब नहीं चल पाएगा। इस फेज में कई रिश्ते टूट जाते हैं क्योंकि पार्टनर अपने फैसले पर दोबारा सोचने लगते हैं। लेकिन अगर आप इस समय धैर्य और समझदारी से काम लें, खुलकर बातचीत करें और एक-दूसरे को बदलने की कोशिश न करें, तो यह फेज रिश्ते को और मजबूत बना सकता है।
चौथा पड़ाव रीबिल्डिंग फेज
अगर आप तीसरे पड़ाव की मुश्किलों को पार कर लेते हैं, तो चौथे पड़ाव में रिश्ते को सुधारने का मौका मिलता है। इसे रीबिल्डिंग फेज कहते हैं। इस समय कपल्स एक-दूसरे की जरूरतों को समझना शुरू करते हैं और प्राथमिकताएं तय करते हैं। छोटी-मोटी गलतियों को नजरअंदाज करना सीखते हैं और खुलकर बात करके समस्याओं का हल ढूंढते हैं। यह समय रिश्ते में विश्वास, सम्मान और साझेदारी को फिर से मजबूत बनाता है।
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पांचवां पड़ाव गहरे प्यार का फेज
इस पड़ाव को डीप लव फेज कहा जाता है। यहां तक आते-आते पार्टनर एक-दूसरे की अच्छाइयां और कमियां दोनों स्वीकार कर लेते हैं। अब रिश्ते में अपेक्षाएं वास्तविक हो जाती हैं। झगड़े और मतभेद कम हो जाते हैं और प्यार ज्यादा गहरा और स्थायी महसूस होता है। यह वह समय है जब कपल्स को असली प्यार और सच्ची साझेदारी का एहसास होता है।
छठा पड़ाव गोल्डन बैलेंस फेज
यह शादी का सबसे खूबसूरत और स्थायी फेज माना जाता है। इस समय कपल्स सिर्फ पार्टनर नहीं रहते बल्कि जीवन साथी बन जाते हैं। छोटी-छोटी चीजों में खुशी मिलती है। जैसे सुबह की चाय साथ पीना या शाम की सैर पर जाना। इस पड़ाव में रिश्ते में शांति, संतुलन और सच्चा सुख महसूस होता है।
शादी सिर्फ दो लोगों का रिश्ता नहीं, बल्कि धैर्य, समझदारी और प्रेम की यात्रा है। अगर आप इन 6 पड़ावों को समझदारी से पार कर लेते हैं तो आपका रिश्ता न सिर्फ लंबा बल्कि बेहद खूबसूरत बन सकता है। याद रखें सबसे मुश्किल तीसरा पड़ाव होता है, लेकिन इसे पार करना ही असली जीत है।