Royal Friday: सैंडलों की शौकीन थीं राजकुमारी Indira Devi, जिसके जूतों में जड़े होते थे कीमती हीरे-मोती..
punjabkesari.in Saturday, Sep 23, 2023 - 04:41 PM (IST)

भारत में भी शाही परिवारों की कमी नहीं रहीं। ऐसे शाही परिवार जिनके शाही तौर-तरीकों के चर्चे पूरी दुनिया में हुआ करते थे इसलिए तो आज भी लोग इनसे जुड़े किस्से बड़ी उत्सुकता से सुनते हैं। महाराजाओं के शाही ठाठ और रानियों का शाही अंदाज, सच में बेहद लाजवाब था। चलिए आज आपको एक ऐसी ही रानी के बारे में बताते हैं जो अपनी रॉयलनेस के लिए बहुत फेमस थी।
जी हां, हम बात कर रहे हैं कूच बिहार की महारानी इंदिरा देवी की और उन्हें ही लोग इंदिरा राजे गायकवाड़ से भी जानते हैं। रानी इंदिरा जितनी खूबसूरत थी, उतना ही लाजवाब उनका फैशन सेंस था। अगर आप नहीं जानते तो बता दें कि इंदिरा देवी, जयपुर की राजमाता गायत्री देवी की मां थी और इन्हें एक ज़माने में देश की सबसे सुंदर महिला माना जाता था। रानी जितनी फैशनेबल थी, उनकी लाइफ और लवस्टोरी भी उतनी ही रोमांचक थी। वहीं सैंडलों का शौक रखने वाली रानी इंदिरा ने अपने जूतों पर महंगे हीरे-मोती तक जड़वा रखे थे। सजने-संवरने की शौकीन महारानी इंदिरा देवी पहनावे को लेकर हमेशा सजग रहा करती थी। वह विदेशी फैशन के भी लगातार टच में रहती थीं। हॉलीवुड के कई स्टार रानी के अच्छे दोस्त थे, जिसमें से कई उसकी पार्टियों में शामिल होते रहते थे। फैशन से जुड़े उनके कई और किस्से हैं लेकिन इन सबसे पहले आपको बताते हैं रानी के शुरुआती जिंदगी के बारे में...
इंदिरा देवी, ब्रिटिश भारत के कूच बिहार रियासत की महारानी थीं और उनका जन्म बड़ौदा की राजकुमारी के रूप में, महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय और उनकी दूसरी पत्नी चिम्नाबाई द्वितीय के घर हुआ था। इंदिरा देवी, इकलौती बेटी थी और अपने भाइयों के साथ बड़ौदा के भव्य लक्ष्मी विलास पैलेस में पली-बढ़ीं थी। छोटी उम्र में ही उनकी मंगनी ग्वालियर के तत्कालीन महाराजा माधो राव सिंधिया से हो गई थी लेकिन साल 1911 में उनकी मुलाकात कूच बिहार के तत्कालीन महाराजा के छोटे भाई जितेंद्र से हुई और ये मुलाकात प्यार में बदल गई। अपने प्यार के लिए रानी ने सगाई तोड़ दी थी। उन्होंने कूच बिहार के राजा जितेन्द्र नारायण से शादी की थी और सुनीति देवी की बहू बन गईं। उनके पति राजा की गद्दी पर नहीं थे लेकिन जब जीतेंद्र के बड़े भाई यानि राजा राजेंद्र नारायण गंभीर बीमारी से चल बसे तो उन्हें राजा की गद्दी मिली। इस शादी के लिए इंदिरा ने ग्वालियर के महाराजा माधो राव सिंधिया से सगाई तोड़ दी थी लेकिन इंदिरा भरी जवानी में ही विधवा हो गई। अभी बच्चे छोटे थे इसलिए रानी ही कूच बिहार की संरक्षिका बनीं।
रानी इंदिरा के माता-पिता कभी इस शादी के लिए राजी नहीं होने वाले थे, ये बात रानी भी जानती थी। उन्होंने खुद ही साहस दिखाकर मंगेतर को पत्र लिखकर कहा कि वह उससे शादी नहीं करना चाहती। सगाई तो टूट गई लेकिन इंदिरा के माता-पिता जितेंद्र से शादी करने के लिए राजी नहीं हुए। वह जितेंद्र को एक लापरवाह परिवार का लड़का मानते थे। माता-पिता ने आधा-अधूरा समझौता किया। उन्होंने इंदिरा को अपनी छत छोड़कर लंदन जाने और जितेंद्र से शादी करने की इजाजत दे दी। इंदिरा और जितेंद्र की शादी लंदन के एक होटल में हुई थी, जिसमें इंदिरा के परिवार का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था। उनकी शादी ब्रह्म समाज के रीति-रिवाजों से हुई थी, जिस संप्रदाय का पालन जितेंद्र की मां सुनीति देवी करती थी।
इंदिरा 5 बच्चों की मां बनी लेकिन शराब की लत उनके परिवार में आम थी। कहा जाता है कि पहले बड़े भाई और फिर राजा जीतेंद्र की मृत्यु का कारण भी वहीं लत बनी। उस समय उनकी उम्र सिर्फ 31 साल बताई गई। 5 बच्चों के साथ महारानी इंदिरा देवी ने ही लंबे समय तक कूच बिहार का राजकाज संभाला हालांकि इंदिरा की प्रशासकीय क्षमता औसत थी लेकिन सोशल लाइफ में वह गजब की एक्टिव थी उनका ज्यादातर समय यूरोप में ही गुजरता था।
इंदिरा फैशनेबल रानी थी। कहते हैं कि जब वह साड़ी पहनती थी तो अलग ही ग्रेस दिखता था। सिल्क, शिफॉन साड़ियों को ट्रेंड में लाने का श्रेय एक तरह से उन्हीं को ही जाना चाहिए। वहीं उनकी बेटी जयपुर की राजमाता गायत्री देवी भी अपनी शिफॉन साड़ी लुक के लिए ही बेहद फेमस थी। साड़ियों के साथ महारानी को डिजाइनर खूबसूरत जूतों का भी शौक था इसलिए तो वह एक साथ ही कई डिजाइनर्स जूतों का आर्डर दे देती थी। वह अपने जूतों में हीरे मोती भी जड़वाती थीं। जूते बनाने वाली कंपनी को वह खुद अपनी पसंद के रत्न बेजा करती थीं जिन्हें वो जूतों में लगा सके।
अपने लिए खास हीरे मोती वाला जूता तैयार करने के लिए उन्होंने 20वीं सदी की इटली की नंबर वन डिजाइनर कंपनी को 100 जोड़ी जूते बनाने का आर्डर दिया, जिसमें एक को हीरे और रत्न जड़कर तैयार करना था। आज भी इस कंपनी के लग्जरी शो-रूम पूरी दुनिया में हैं।
इटली के साल्वातोर फेरागेमो उनके पसंदीदा वेस्टर्न डिजाइनर्स में थे। साल्वातोर ने अपनी आत्मकथा में लिखा- एक बार महारानी ने उनकी कंपनी को जूते बनाने का आर्डर दिया, इसमें एक आर्डर इस तरह की सैंडल बनाने का था, जिसमें हीरे और मोती जड़े हों। उन्हें ये हीरे और मोती अपने कलेक्शन के ही चाहिए थे। लिहाजा उन्होंने आर्डर के साथ हीरे और मोती भी भेजे थे।