50 हजार मौतों की जिम्मेदार माता हरी ने बनाए थे कई मर्दों से संबंध, आखिर में मिली दर्दनाक मौत

punjabkesari.in Saturday, Jun 01, 2019 - 06:12 PM (IST)

माता हरी दुनिया का सबसे फेमस नाम है। वह अपने हुस्न और तेज दिमाग की बदौलत जासूसी की दुनिया में राज करती थी। माता हरी का असली नाम गेरत्रुद मार्गरेट जेले था। उनका जन्म 1876 में नीदरलैंड में हुआ था, लेकिन उनकी परवरिश पेरिस में हुई थी। जासूसी की दुनिया में वह उस समय में भी मर्दों को पीछे छोड़ती थी। 

 

जासूसी के लिए बनाना पड़ता था कई लोगों से संबंध 

वह एक जासूस होने के साथ-साथ बेहतरीन डांसर भी थीं जोकि उनका पेशा था। कहा जाता है कि माता हरी ने जासूसी की दुनिया में रहते हुए कई लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाए क्योंकि इसके बिना उनसे गुप्त सूचनाएं निकालने का और कोई तरीका भी नहीं था। कई देशों के बड़े सेना अधिकारियों से भी उनके नजदीकी संबंध थे। 

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1876 में नीदरलैंड में हुआ जन्म

माता हरी की शादी नीदरलैंड की शाही सेना के एक अधिकारी से हुई थी, जो इंडोनेशिया में तैनात था। इंडोनेशिया में ही वो एक डांस कंपनी में शामिल हो गईं और उन्होंने अपना नाम बदलकर माता हरी रख लिया। नीदरलैंड्स लौटने के बाद 1907 में माता हरी ने अपने पति को तलाक दे दिया और पेरिस चली गईं। पेरिस में माता हरी एक साल तक एक फ्रेंच राजनीतिज्ञ की रखैल बनकर रही। 

 

पैसों के लालच में बन गई थी डबल एजेंट

रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मनी ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान माता हारी को पैसे के बदले जानकारियां साझा करने का प्रस्ताव दिया था और इस तरह वह जर्मनी के लिए जासूस बन गईं। हालांकि उन्हें दोहरा जासूस माना जाता था।  

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स्पेन जाते समय इंग्लैंड के फालमाउथ बंदरगाह पर ब्रिटिश खुफिया एजेंसी ने माता हारी को गिरफ्तार कर लिया। दरअसल, फ्रांस और ब्रिटेन की जासूसी एजेंसियों को शक था कि वो जर्मनी के लिए जासूसी करती हैं। इसके बाद उन्हें 50 हजार लोगों के मौत का जिम्मेदार ठहराया गया और 15 सितंबर, 1917 में गोलियों से भूनकर मौत देने की सजा मिली।

 

माता हरी के मरने के बाद भी ये साफ नहीं हो सका कि वो किस देश के लिए जासूसी कर रही थी। माता हरी डांस, सेक्स और सीक्रेट डीलिंग का खेल खेलते हुए 41 की उम्र में अपनी जान से हाथ धो बैठी। उनका अंतिम संस्कार करने उनके परिवार का कोई भी व्यक्ति सामने नहीं आया। 

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मरने के बाद माता हरी के हर अंग को दिया गया बांट 

माता हरी की मौत के बाद उनके शव को पेरिस के मेडिकल स्कूल को दे दिया गया था, जिसे चीरफाड़ में प्रयोग किया गया। बाद में उनके चेहरे को एनाटॉमी म्यूजियम में रखा गया, लेकिन 22 साल पहले उनका चेहरा अचानक वहां से गायब हो गया, जो आजतक नहीं मिला।  


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Content Writer

Sunita Rajput

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