भोलेनाथ के इन 5 रहस्यों से आज भी अंजान है लोग, बड़े से बड़ा भक्त भी नहीं जानता ये राज

punjabkesari.in Saturday, Aug 12, 2023 - 05:58 PM (IST)

भगवान शिव जिन्हें कई नामों से जाना जाता है। भक्त शिवजी को नीलकंठ, जटाधारी, आदिनाथ, पार्वती के पति शिव शंकर, त्रिलोकस्वामी, त्रिनेत्रधारी कई नामों से जाने जाते हैं। परंतु भोलेनाथ का एक नाम त्रिपुरारी भी है। जैसे ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की है और विष्णु जी ने सृष्टि के पालक हैं। वैसे ही भगवान शिव सृष्टि के संहारक है। शिवजी का रहन-सहन, वेशभूषा सब चीजें अलग हैं। वैसे तो शिवभक्त अपने ईष्ट से जुड़ी हर चीज के बारे में जानते हैं लेकिन कुछ रहस्य ऐसे भी हैं जिनसे भक्त आज अंजान है। आज आपको कुछ ऐसे ही रहस्यों के बारे में बताएंगे। तो चलिए जानते हैं.... 

क्यों कहते हैं आदिनाथ? 

सबसे पहले शिवजी ने ही धरती पर जीवन का प्रचार-प्रसार किया था। इसलिए उन्हें आदिदेव नाम से जाना जाता है। शिवजी का एक नाम आदिश भी है। 

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टूटे शिवलिंग की भी होती है पूजा

हिंदू धर्म में किसी भी देवी-देवता की टूटी हुई मूर्ति की पूजा नहीं करते परंतु मान्यताओं के अनुसार, यदि शिवलिंग टूट भी जाए तो भी इसकी पूजा की जाती है। शिवलिंग की पूजा से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 

यहां बने हैं शिवजी के पैरों में निशान 

माना जाता है कि झारखंड के रांची रेलवे स्टेशन की 7 किलोमीटर से दूरी पर स्थित रांची हिल पर शिवजी के पैरों के निशान बने हैं। इसलिए इस स्थान को पहाड़ी बाबा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। 

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क्यों पहनते हैं शिवजी नाग? 

बहुत से लोग इस बात से भी अंजान है कि भगवान शिव के गले में नाग क्यों होता है। आपको बता दें कि शिवजी के गले में मौजूद नाग का नाम वासुकि है। वासुकि शेषनाग के बाद नागों के दूसरे राजा था। वासुकि के बड़े भाई का नाम शेषनाग ही है। शिवजी ने प्रसन्न होकर शिवजी होकर इसे गले में डालने का वरदान दिया था। 

भगवान शिव के शिष्य 

भगवान शिव के 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि के रुप में माना गया है। इन 7 ऋषियों ने ही शिव जी के ज्ञान को पूरी धरती पर प्रचार किया था जिसके चलते अलग-अलग धर्म और संस्कृतियों की भी उत्पत्ति हुई थी। भगवान शिव ने ही गुरु और शिष्य की परंपरा शुरु की थी। शिव जी के 7 शिष्यों के नाम कुछ इस तरह हैं बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज है। इसके अलावा 8वें गौरशिरस मुनि भी भगवान शिव के शिष्य थे। 

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palak

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