मानसून में मौसमी फ्लू का खतरा अधिक, बचाव के लिए करें ये उपाय

punjabkesari.in Monday, Aug 22, 2022 - 09:43 PM (IST)

H1N1 उन फ्लू वायरस में से एक है, जो मौसमी फ्लू की वजह बनते हैं। भारत में मानसून के दौरान यह अपने चरम पर होते हैं। हवा के जरिए फैलने वाले इस वायरस में एक इंसान से दूसरे इंसान को संक्रमित करने की क्षमता होती है। यह सांस के साथ निकलने वाली नन्हीं बूंदों और सीधे संपर्क में आने से फैलता है। 5 साल से कम उम्र के बच्चे और बुजुर्गों को इस फ्लू का खतरा अधिक होता है। मधुमेह जैसी सहवर्ती बीमारियों (comorbidities) के शिकार लोगों में यह इन्फ्लूएंजा ज्यादा खतरनाक रूप ले सकता है और उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ सकती है।

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आमतौर पर मधुमेह और फ्लू के प्रभावों के बारे में कम ही चर्चा होती है। मधुमेह पीड़ित लोगों को इन्फ्लुएंजा वायरस का संक्रमण होने पर आपात स्थिति में अस्पताल में भर्ती करने और जीवन पर संकट आने जैसे कई जोखिम हो सकते हैं। विभिन्न वैश्विक अध्ययनों से पता चला है कि मधुमेह से पीड़ित लोगों को फ्लू होने पर अस्पताल में भर्ती करने की संभावना तीन गुना अधिक होती है और अन्य लोगों की तुलना में मृत्यु का जोखिम तीन गुना होता है। मधुमेह के शिकार लोगों में फ्लू की वजह से रक्त शर्करा (Blood sugar) खतरनाक स्तर तक बढ़ सकती है। उन्हें निमोनिया और सांस संबंधी अन्य संक्रमण हो सकता है। पुरानी बीमारियों की स्थिति भी बदतर हो सकती है। बुजुर्ग रोगियों और मधुमेह वाले मरीजों में ये समस्याएं आम देखने को मिलती हैं। फ्लू के लक्षणों की गंभीरता हालांकि अलग-अलग हो सकती है, लेकिन मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए यह जानलेवा भी हो सकता है।

फ्लू से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका फ्लू का टीका है। फ्लू के लक्षण दिखने से पहले भी ये संक्रामक होता है। फ्लू से पीड़ित हर तीन में से एक व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं दिखते, लेकिन फिर भी यह एक से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। 6 महीने से अधिक उम्र के सभी लोगों, बुजुर्गों, मधुमेह व अस्थमा जैसी सहवर्ती बीमारियों वाले वयस्कों को खुद की और दूसरों की सुरक्षा के लिए फ्लू वैक्सीन लगवाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इन टीकों से समुदाय में फ्लू को फैलने से रोकने में मदद मिलती है और अस्पतालों पर बोझ कम होता है। फ्लू और कोविड-19 के लक्षण हालांकि एक-जैसे होते हैं, ऐसे में ये समझना महत्वपूर्ण है कि ये दोनों बीमारियां अलग-अलग वायरस की वजह से होती हैं। दोनों बीमारियों के लिए अलग-अलग टीके लगवाने की सलाह दी जाती है।


फ्लू टीकाकरण के महत्व पर जोर देते हुए बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एस.के. सहगल कहते हैं, “इन्फ्लुएंजा एक संक्रामक वायरल संक्रमण है जो नाक, गले और फेफड़ों को प्रभावित करता है। इसके सामान्य लक्षणों में बुखार, खांसी, दर्द और ठंड लगना शामिल हैं। हालांकि लक्षण कुछ हद तक सामान्य सर्दी जैसे ही होते हैं। अगर फ्लू का इलाज नहीं किया जाए तो यह खतरनाक रूप ले सकता है। खासकर युवा (5 वर्ष), बुजुर्गों (65 वर्ष) और मधुमेह व अस्थमा जैसी बीमारियों से पहले से पीड़ित लोगों में यह जानलेवा हो सकता है। यदि उचित देखभाल नहीं की जाए तो फ्लू निमोनिया जैसी जटिलताएं पैदा कर सकता है। परिणामस्वरूप मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ सकती है।


फ्लू को रोकने, पहचानने और इलाज के लिए सभी को सामान्य सावधानियों का पालन करना चाहिए, लेकिन मधुमेह वाले मरीजों को खासतौर से ध्यान रखने की जरूरत है। फ्लू का टीका हर साल लगाया जाता है। मधुमेह रोगियों में फ्लू के जटिल होने का खतरा दूर करने के लिए दवाओं के प्रति विशेष रूप से सतर्क और अनुशासित रहने की जरूरत होती है। यदि आप इन्फ्लूएंजा और इसके टीकाकरण के बारे में अधिक पढ़ना चाहते हैं, तो आप  स्टॉप फ्लू  पर जा सकते हैं या  यहां अपॉइंटमेंट बुक करके डॉक्टर से पूछ सकते हैं। इस लेख की दी गई जानकारी सनोफी इंडिया द्वारा जनहित में और बच्चों के कॉम्बीनेशन वैक्सीन आदि टीकों के बारे में सामान्य जागरूकता पैदा करने के इरादे से जारी की गई है। यह जानकारी किसी भी तरह की चिकित्सीय सलाह, राय और/या अनुशंसा/ या Sanofi के उत्पादों के प्रचार के बारे में नहीं है। टीकाकरण के संबंध में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें। यहां व्यक्त किए गए डॉक्टर के स्वतंत्र विचार हैं।

MAT-IN-2202155-1.0 -08/2022
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vasudha

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