15 साल में की पहली नौकरी अब बनी दुनिया की सबसे युवा प्रधानमंत्री

punjabkesari.in Friday, Dec 13, 2019 - 11:27 AM (IST)

प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचते हुए ज्यातादर लोग 50 की उम्र के हो जाते है लेकिन दुनिया में पहली बार एक युवा प्रधानमंत्री बना है। खास बात यह है कि यह युवा कोई पुरुष नहीं बल्कि महिला है। जी हैं, हम बात कर रहे है फिनलैंड की नई प्रधानमंत्री  सना मारिन की। ऐसा नहीं है कि वह सीधे तौर पर प्रधानमंत्री पद के लिए चुन ली गई है इससे पहले वह परिवहन और संचार मंत्री के पद पर भी रह चुकी हैं। 

 

PunjabKesari, Nari

इससे पहले यह खिताब यूक्रेन के प्रधानमंत्री ओलेक्सी होन्चेरुक के नाम था लेकिन अब यह खिताब मारिन के नाम हो गया है। मारिन ने कहा कि वह अपनी उम्र या लिंग के बारे में नहीं सोचती है बल्कि मेरे राजनीति में आने के कारणों और काम के बारे में सोचती है। जिनके लिए मतदाताओं ने हम पर भरोसा किया है। 

चलिए बताते है आपको सना मारिन के बारे में 

समलैंगिक पेरेंट्स की है संतान 

मारिन का जन्म 16 नवंबर 1985 को फिनलैंड में हुआ था। सना एक समलैंगिक पेरेंट्स की संतान है लेकिन बचपन में ही उनकी दोनों मांएं अलग हो गई थी।  2012 में उन्होंने प्रशासनिक विज्ञान में टैम्पियर विश्वविद्यालय से डिग्री हासिल की। सना ने अपने दोस्त मार्कस राईकोन से शादी की है और वह एक बच्चे की मां है। 
 

 

PunjabKesari,Nari

जेब खर्च के लिए 15 साल की उम्र में की पहली नौकरी

पेरेंट्स के अलग होने के बाद मारिन हेलसिंकी से पर्कला शहर आ गई। वहां पर उसे अपने जेब खर्च और पढ़ाई के लिए नौकरी करनी पड़ी। 15 साल की उम्र में टैम्पीर शहर की एक बेकरी कंपनी में मारिन ने पहली नौकरी की थी। हाई स्कूल में जा कर मैगजीन बांटी और ग्रेजुएशन के कुछ साल बाद दुकानों पर कैशियर का काम किया। उन्होंने कभी भी अपने लिए स्टूडेंट लोन नहीं लिया क्योंकि उन्हेें इस बात का भरोसा नहीं था कि वह उसे चुका पाएंगी या नहीं। 
 

PunjabKesari,nari

22 साल की उम्र में सना ने राजनीति में कदम रखा

2014 में सना सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की दूसरी डिप्टी चेयरपर्सन चुनी गयी थी। उसके बाद 2015 में वह संसद की सदस्य के तौर पर निर्वाचित हुई और 2017 में सिटी की काउंसल चुनी गई। जिसके बाद वह 2019 में सरकार में शामिल हुई और परिवहन और संचार मंत्री बनीं। स्कैंडिवेनाई देश में सना मारिन तीसरी महिला प्रधानमंत्री हैं। अप्रैल में हुए चुनाव में सोशल डेमोक्रेट्स सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और इसी कारण गठबंधन सरकार का प्रधानमंत्री इसी पार्टी से होगा।

 

फिनलैंड इस समय राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। यह अस्थिरता डाक कर्मचारियों की हड़ताल से शुरू हुई। पूरे देश में डाक कर्मचारी मेहनताने में कटौती को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। हालांकि, नवंबर के आखिरी सप्ताह में कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली, लेकिन प्रधानमंत्री एंटी रिने ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद उनके एक सहयोगी दल ने अपना समर्थन वापिस ले लिया और वह संसद में बहुमत साबित नहीं कर सकें। 

 


 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

khushboo aggarwal

Recommended News

Related News

static