'वर्ल्ड स्ट्रोक डे' : क्या है इसके लक्षण, कारण और बचाव के उपाय?

punjabkesari.in Monday, Oct 29, 2018 - 12:52 PM (IST)

'स्ट्रोक' जानलेवा बीमारी है, इसकी जागरूकता के लिए 29 अक्टूबर को 'वर्ल्ड स्ट्रोक डे' मनाया जाता है। ज्यादा तनाव लेने, हाई बीपी, कोलेस्ट्रॉल लेवल में गड़बड़ी, डाइट पर ध्यान न देने, हैल्दी लाइफस्टाइल न अपनाने के लोग इसका शिकार बन जाते हैं। अगर समय रहते इसके लक्षणों को पहचान कर उपचार करवाया जाए तो काफी हद तक स्ट्रोक का खतरा करके और रोगी की जान बचाई जा सकती है।  

क्या है स्ट्रोक? 
जब मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति बाधित या गंभीर रूप से कम हो जाती है तब स्ट्रोक होता है। इसमें मस्तिष्क के किसी हिस्से को ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता और कुछ ही मिनटों में मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं, तब ब्रेन अटैक आता है। इससे मस्तिष्क डैमेज हो सकता है या फिर कुछ मामलों में रोगी की मौत भी हो सकती है। 

स्ट्रोक का कारण
भारत में ब्रेन स्ट्रोक के मामले भी उतनी ही तेजी से बढ़ रहे हैं जितने कि हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटीज आदि रोगों के। पहले यह समस्या वृद्धावस्था में देखी जाती थी लेकिन आजकल छोटी उम्र के लोग भी इसका शिकार हो रहे हैं। इसके अलग-अलग कारण हो सकते हैं। 

- वजन ज्यादा बढ़ जाना
- पारिवारिक कारण
- खराब जीवनशैली 
- 50 साल या इससे अधिक उम्र होने पर
- धूम्रपान, शराब व नशीली दवाओं का सेवन 

ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
इसके लक्षण कुछ दिन पहले, कुछ घंटे पहले या फिर कुछ मिनट पहले भी दिखाई दे सकते हैं। इन्हें पहचान कर बिना देरी किए डॉक्टर की सहायता लेना बहुत जरूरी है। 

- भ्रम की स्थिति पैदा होना
- बोलने और समझने में परेशानी होना
- शरीर के किसी हिस्से में सुन्नपन महसूस होना
- स्पष्ट दिखाई न देना
- चक्कर आना और शरीरिक संतुलन खो देना
- शरीर के तापमान में परिवर्तन होना
- आवाज लड़खड़ाना, आदि। 

स्ट्रोक की अवस्थाएं
जितनी जल्दी हो सके इसका इलाज करवाना जरूरी होता है। इसके लक्षणों को आसानी से पहचानने के लिए ‘फास्ट’ (FAST) की सहारा लिया जा सकता है। 

फ(F)
स्ट्रोक में फास्ट का पहले शब्द यानि फ (F) है। इसका असर फेस पर पड़ता है। चेहरे के मसल्स मूव करना बंद कर देते हैं और बोलने में दिक्कत होती है। 

अ(A)
ए यानि आर्म, इस तरह के स्ट्रोक में हाथ कमजोर और सुन्न हो जाता है। कोई काम करने में बाजू और हाथ असमर्थ होने लगता है। 

स(S)
एस यानि स्पीच, इसमें रोगी को बोलने में परेशानी होती है। रोगी शब्दों का उच्चारण सही तरह से नहीं कर पाता। 

ट(T)
टी यानि टाइम, ऊपर बताए लक्षण दिखाई देने पर तुरंत बिना समय गंवाए रोगी को नजदीकी अस्पताल में ले जाएं। तुरंत इलाज शुरू करवाने से बीमारी सीमित समय में दूर हो सकती है। 

ब्रेन स्ट्रोक के उपचार
इसके उपचार में कई तरह की डॉक्टरी प्रक्रियाएं होती है जैसे शारीरिक परीक्षण,ब्लड टेस्ट, सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन, कैरोटिड (Carotid) अल्ट्रासाउंड इनके बाद ही रोगी की सही स्थिति का पता लगाया जा सकता है। 

ब्रेन स्ट्रोक से बचाव के उपाय
1. बिना डॉक्टरी सलाह किसी भी दवाई का सेवन न करें। 
2. ब्लड प्रैशर कंट्रोल रखें। 
3. वजन बढ़ने न दें। 
4. लो कोलेस्ट्रॉल और लो सैचुरेटेड फैट डाइट लें
5. नियमित व्यायाम करें। 
6. अल्कोहल और स्मोकिंग से परहेज करें। 
7. अनिद्रा की बीमारी हो तो इलाज कराएं। 
 

Content Writer

Priya verma