World Rabies Day: कुत्ते ही नहीं, इन जानवरों से भी फैलता है रेबीज, समय पर इलाज ही रोकथाम

punjabkesari.in Monday, Sep 28, 2020 - 01:49 PM (IST)

आज दुनियाभर में विश्व रेबीज दिवस मनाया जा रहा है, जिसका मकसद लोगों को ज्यादा से ज्यादा इस बीमारी के बारे में जागरूक करना है। रेबीज कोई बीमारी नहीं बल्कि एक ऐसा जानलेवा वायरस है जो व्यक्ति को मौत के दरवाजे तक ले जाता है। सबसे खतरनाक बात तो यह है कि इसके लक्षण बहुत देर में दिखने शुरू होते हैं। आमतौर पर लोग मानते हैं कि रेबीज केवल कुत्तों के काटने से होता है जबकि ऐसा नहीं। बिल्ली, बंदर आदि कई जानवरों के काटने से भी इस बीमारी के वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। इसके अलावा कई बार पालतू जानवर के चाटने या जानवर की लार का आदमी के खून से सीधे संपर्क होने से भी यह रोग हो सकता है।

चलिए विश्व रेबीज दिवस के मौके पर हम आपको बताते हैं कि यह कैसे फैलता है और इसके लक्षण इलाज क्या है?

रेबीज के बारे में जरूरी बातें...

-रेबीज एक विषाणुओं द्वारा होने वाला संक्रमक रोग है। इस रोग के विषाणु 0.0008 मि.मी लंबे और 0.00007 मि.ली व्यास वाले होत है। जानवरों द्वारा यह रोग इंसानों में फैलता है।
-संक्रमित जानवर के काटने से 95-96% मामलों में रेबीज होता है।
-यह बीमारी रेबिज कुत्ते, बिल्ली, बंदर, नेवले, सियार, चमगादड़ व अन्य जानवरों के काटने से भी फैलता है।
-रेबीज से भारत में हर साल लगभग 20,000 लोगों की मौत हो जाती है। हालांकि देश में इसका सुरक्षित इलाज मौजूद है।
-अनेक सरकारी अस्पतालों में एंटी-रेबीज इलाज केंद्रों में एनिमल बाइट मैनेजमेंट की सुविधाएं मौजूद हैं।

जानवर को जलाना आवश्यक

कुत्ते और बिल्लियों में इस रोग का संक्रमण या लक्षण होने में एक सप्ताह से एक वर्ष भी लग जाता है। 90% मामलों में इस रोग के लक्षण 30 से 90 दिन में दिखते हैं। इस रोग के लक्षण एक बार होने पर बढ़ते चले जाते है और 10 दिन के अंदर ही जानवर की मौत हो जाती है। रेबीज से ग्रस्त जानवर को जला दिया जाता है फिर इसको परीक्षण के लिए भेज दिया जाता है। इससे विषाणुओं की उपस्थिति और अनुपस्थिति का पता चल जाता है।

कैसे प्रभावित करता है रेबीज?

-जब रेबीज वायरस सीधे व्यक्ति के नर्वस सिस्टम में पहुंच जाते हैं और उसके बाद व्यक्ति के मस्तिष्क तक पहुंच जाए।

-जब रेबीज वायरस मसल टिशूज में पहुंच जाते हैं, जहां वो व्यक्ति के इम्यून सिस्टम से बचकर अपनी संख्या बढ़ाते रहते हैं। इसके बाद ये वायरस न्यूरोमस्कुलर जंक्शन के द्वारा नर्वस सिस्टम में पहुंच जाते हैं।

-रेबीज वायरस जब व्यक्ति के नर्वस सिस्टम में पहुंच जाते हैं, तो ये दिमाग में सूजन पैदा कर देते हैं, जिससे जल्द ही व्यक्ति कोमा में चला जाता है या उसकी मौत हो जाती है। इस रोग के कारण कई बार व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है कई बार उसे पानी से डर लगने लगता है। इसके अलावा कुछ लोगों को लकवा भी हो सकता है।

रेबीज  के लक्षण

. बुखार और सिरदर्द
. घबराहट, बेचैनी या टेंशन
. भ्रम की स्थिति
. खाना-पीना निगलने में दिक्कत
. बहुत अधिक लार निकलना
. पानी से डर लगना (हाईड्रोफोबिया)
. पागलपन के लक्षण
. अनिद्रा की समस्या
. एक अंग में पैरालिसिस यानी लकवा मार जाना

क्या करें अगर जानवर काट ले?

-अगर रेबीज से संक्रमित किसी कुत्ते या बंदर आदि के काटने पर इलाज में लापरवाही न बरतें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
-सबसे पहले घाव को साबुन और बहते पानी से तुरंत धोएं।
-फिर अवेलेबल डिसइनफेक्टेंट( आयोडीन/ स्पिरिट/एल्कोहल या घरेलू एंटीसेप्टिक) तुरंत लगाएं।
-घाव पर पिसी मिर्च, मिट्टी का तेल, चूना, नीम की पत्ती, एसिड आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
-घाव धोने के बाद कोई भी एंटीसेप्टिक क्रीम, लोशन, डेटाल, स्प्रिट, बीटाडीन आदि लगा सकते हैं। घाव खुला छोड़ दें, अधिक रक्त स्त्राव होने पर साफ पट्टी बांध सकते हैं। टांके न लगवाएं।
-कुत्ता के काटने पर उस पर दस दिन तक निगरानी बनाए रखें, यदि वह जिंदा है तो संक्रमण का खतरा नहीं है।

रेबीज से बचाव

रेबीज से बचाव के लिए घर में पल रहे जानवरों को समय-समय पर इंजेक्शन लगवाते रहें। इसके साथ ही उनके खान-पान से लेकर उनकी साफ-सफाई का भी पूरा-पूरा ध्यान रखें।

Content Writer

Anjali Rajput