खेती से लेकर सिलाई तक ‘कुदुम्बश्री’ के जरिए आत्मनिर्भर बन रही हैं केरल की महिलाएं
punjabkesari.in Tuesday, May 16, 2023 - 10:58 AM (IST)
देश में महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जाते रहे हैं। ‘कुदुम्बश्री’ भी कुछ ऐसा ही है जो दुनिया के सबसे बड़े महिला स्वयं सहायता नेटवर्क में से एक बन गया है। कुदुम्बश्री केरल सरकार के राज्य गरीबी उन्मूलन मिशन (एसपीईएम) द्वारा कार्यान्वित गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम है। आज राज्य में ऐसे 1132 रेस्टोरेंट हैं जिनका संचालन करीब 5,000 कुदुम्बश्री के सदस्यों द्वारा किया जाता है। ये रेस्तरां रोजाना 1,50,000 से भी अधिक लोगों को अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं और ये भूख को मिटाने के राज्य सरकार के प्रयासों का एक अविभाज्य अंग के तौर पर कार्य कर रहे हैं।
कुदुम्बश्री का क्या है अर्थ
मलयालम भाषा में कुदुम्बश्री नाम का अर्थ है 'परिवार की समृद्धि'। यह नाम 'कुडुम्बश्री मिशन' या एसपीईएम के साथ-साथ कुदुम्बश्री सामुदायिक नेटवर्क का प्रतिनिधित्व करता है। इसे आमतौर पर 'कुडुम्बश्री' कहा जाता है, उसका मतलब या तो कुदुम्बश्री कम्युनिटी नेटवर्क, या कुदुम्बश्री मिशन, या दोनों हो सकता है। यहां आपको अलग- अलग जगह से आई महिलाओं का समूह हंसता- मुस्कुराता दिखाई देगा।
महिलाएं बन रही हैं आत्मनिर्भर
'कुडुम्बश्री यकीनन दुनिया में महिलाओं का सबसे बड़ा सामूहिक समूह है, जिसके सदस्य खेती से लेकर खानपान, कचरा संग्रह से लेकर सिलाई तक, होटल चलाने से लेकर वैवाहिक एजेंसियों तक, कई तरह की धाराओं में शामिल हैं। यह इतना सर्वव्यापी कि राज्य में हर आधा किलोमीटर पर आप कुदुम्बश्री की किसी न किसी पहल से टकरा ही जाएंगे। केरल में क़रीब ढाई दशक पहले सरकार द्वासरा शुरू की गई इस योजना आज लाखों महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है, उनमें आत्मसम्मान जगा रही है।
1998 में हुई थी कुडुम्बश्री की शुरुआत
केरल सरकार ने इसे 1998 में इस उद्देश्य के साथ शुरू किया था कि वंचित तबके की महिलाओं की सामूहिक भागीदारी से उनकी ग़रीबी की ढांचागत वजहों का समधान किया जा सकेगा। कुदुम्बश्री के महिला समुदाय नेटवर्क के लिए तीन स्तरीय संरचना है। सबसे निचले स्तर पर नेबरहुड ग्रुप्स (NHGs), मध्य स्तर पर क्षेत्र विकास समितियां (ADS), और स्थानीय सरकार के स्तर पर सामुदायिक विकास समितियां (सीडीएस)। ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी), भारत सरकार ने 2011 में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत कुदुम्बश्री को राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) के रूप में मान्यता दी।
महिलाओं का बदला जीवन
कुदुम्बश्री सभी व्यस्क महिलाओं के लिए खुला है लेकिन प्रत्येक परिवार से इसमें सिर्फ एक को ही इसकी सदस्यता मिल सकती है। कुदुम्बश्री 45 लाख से भी अधिक की कुल महिला सदस्यता के साथ विश्व के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक है। यह एक सराहनीय पहल है जिसका जिले की कई महिलाओं के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और आगे भी पड़ता रहेगा।