महिलाओं को क्यों और कब होती है हॉट फ्लैशेस की समस्या, कैसे करें बचाव?

punjabkesari.in Friday, Jul 31, 2020 - 01:58 PM (IST)

35-40 की उम्र के पड़ाव पर आकर पीरियड्स बंद होने लगते है, जिसे मेनोपॉज कहा जाता है। मेनोपॉज से पहले या उस दौरान महिलाओं को अनियिमित ब्‍लीडिंग, अनिद्रा, रात को पसीना आना, खराब पीएमएस, माइग्रेन, वेजाइनल ड्राइनेस और मोटापा जैसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं इस दौरान में एक और समस्या दिखाई देती है, जिसे हॉट फ्लैशेस (Hot Flashes) कहा जाता है। हालांकि भारतीय महिलाओं में यह समस्या मेनोपॉज से पहले भी देखने को मिलती है, जिसका कारण तनाव, गलत खान-पान या किसी बीमारी के कारण हो सकता है। चलिए आपको बताते हैं कि क्या है यह समस्या और कैसे पाएं इससे छुटकारा।

 

क्या हैं हॉट फ्लैशेस?

हॉट फ्लैशेस, मेनोपॉज या रजोनिवृत्ति के दौरान या बाद में होने वाली परेशानी है। मेनोपॉज के कारण महिला के अंडाशय अंडे मुक्त करना बंद कर देते हैं और इस दौरान एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का स्तर भी कम हो जाता हैं। शरीर में आए इन हार्मोनल बदलाव के कारण बॉडी टेम्प्रेचर प्रभावित होता है, जिससे हॉट फ्लैशेस की समस्या हो जाती है।

हॉट फ्लैशेस के कारण

35 के बाद यह समस्या ज्यादातर मेनोपॉज या शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण होती है लेकिन अगर आपको यह समस्या 30 से पहले हो तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे...

-गलत खानपान
-कमरे का अधिक तापमान
-टाइट कपड़े पहनना
-तनाव और चिंता
-गर्भावस्था, की पहली और दूसरी तिमाही के दौरान
-हाइपरथायरायडिज्‍म
-कीमोथेरपी
-रीढ़ की हड्डी में घाव होना
-कुछ दवाओं के साइड-इफैक्ट्स के कारण

कितने सालों तक होते हैं हॉट फ्लैशेस?

शोधकर्ताओं ने पाया है कि जिन महिलाओं में मासिक धर्म की अवधि समाप्त होने से पहले हॉट फ्लैशेस के लक्षण शुरू हो जाते हैं, उन्हें यह समस्या 7 से 10 साल तक रहती है। वहीं जिन महिलाओं को यह लक्षण महसूस नहीं होते उन्हें यह प्रॉब्लम 2 से 3 साल तक रहती है।

भारतीय महिलाओं को होती है अधिक समस्या

रिसर्च के मुताबिक, भारतीय महिलाओं को यह समस्या अधिक होती है जबकि एशियाई औंरतों में हॉट फ्लैशेस की समस्या कम देखने को मिलती है। भारतीय महिलाओं में इसका कारण अधिक वजन, तनाव, धूम्रपान, शराब और गलत डाइट है।

हॉट फ्लैशेस के लक्षण

हॉट फ्लैशेस के लक्षण 30 सेकेंड से 5 मिनट तक रहते हैं इसलिए आप इसे मामूली समझकर इग्नोर ना करें।

-त्वचा का अचानक गर्माहट महसूस करना।
-शरीर के ऊपरी भाग में पसीना अधिक आना।
-चेहरे, गर्दन, कानों, सीने में अत्यधिक गर्मी लगना।
-उगलियों में झनझनाहट होना।
-चक्कर आना और घबराहत महसूस होना
-दिल की धड़कन बढ़ना।

उपचार

हॉट फ्लैशेस का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि आपको यह समस्या किस वजह से हुई है इसलिए कोई भी उपाय करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। अगर समस्या हार्मोन्स बिगड़ने के कारण हुई हो तो डॉक्टर्स हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी करवाने की सलाह देते हैं। इस थेरेपी के द्वारा शरीर में एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ाकर इस समस्या को दूर किया जाता है। जिन महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर या खून के थक्के जमने की शिकायत हो या कभी रही हो उन्हें यह थेरेपी नहीं लेनी चाहिए।

हॉट फ्लैशेस से बचाव के टिप्स

-यह समस्या अधिक तनाव लेने के कारण भी हो सकती है इसलिए स्ट्रेस को दूर करने के लिए रोजाना मेडिटेशन, प्राणायाम, श्वास व्यायाम और योग करें।
-शरीर का अधिक तापमान भी हॉट फ्लैशेस का कारण बन सकता है इसलिए सही तापमान वाले कमरे में बैठे।
-मसालेदार भोजन, कैफीन युक्त पेय, और शराब का सेवन हॉट फ्लैशेस को बढ़ावा देते हैं इसलिए ऐसी चीजों से दूर रहें।
-इस समस्या से बचने के लिए डाइट में ताजी सब्जियां, फलों, साबुत अनाज, नारियल पानी, छाछ, ग्रीन टी आदि को शामिल करें।
-डाइट में ठंडे पेय ज्यादा शामिल करें, जिससे शरीर का तापमान सही रहे।
-धूम्रपान, शराब, तंबाकू जैसी चीजों से दूर रहें।

Content Writer

Anjali Rajput