परफेक्ट बनने के चक्कर में औरतें हो रही है इस सिंड्रोम का शिकार, यूं रखें बचाव

punjabkesari.in Tuesday, Jun 11, 2019 - 04:09 PM (IST)

औरतें अपनी इमेज को लेकर काफी कॉन्शियस होती है। घर हो या दफ्तर हर जगह महिलाएं अपनी परफेक्‍ट इमेज बनाना चाहती है लेकिन इसके कारण वो सुपरवुमेन सिंड्रोम की गिरफ्त में आती जा रही हैं। यह एक तरह का मानसिक अवसाद है, जो परफेक्ट दिखने की होड़ में लगी महिलाओं में देखने को मिल रहा है। परफेक्‍ट दिखने का जुनून महिलाओं को धीरे-धीरे इस अवसाद की ओर धकेल रहा है। चलिए आपको बताते हैं कि क्या है यह सिंड्रोम और कैसे करें इससे बचाव।

 

क्‍या है सुपरवुमेन सिंड्रोम?

एक्सपर्ट के मुताबिक, घर-परिवार की जिम्‍मेदारी हो या फिर करियर में कोई ऊंचा मुकाम पाना हो, आजकल की महिलाएं हर काम में एकदम फिट बैठना चाहती है। जिंदगी में हर भूमिका को अच्‍छे से न‍िभाने की लत की वजह से ही महिलाएं सुपरवुमेन सिंड्रोम का शिकार होती जा रही हैं। अगर वो किसी काम में चूक जाए तो खुद को दोष देने लगती है। इतना ही नहीं, इसके लते तो कभी-कभी महिलाएं डिप्रेशन का शिकार भी हो जाती हैं।

इन महिलाओं को अधिक खतरा

हाउसवाइफ, नई मांओं, कामकाजी महिला हो या सोशल एक्टिविस्‍ट, यह सिंड्रोम किसी भी महिला को हो सकता है। शोध के अनुसार, पढ़ाई में परफेक्ट बनने के चक्कर में 13 से 18 साल की लड़कियां भी इस सिंड्रोम से गुजर रही हैं।

सुपरवुमेन सिंड्रोम के लक्षण

-एक परफेक्‍ट महिला की इमेज बनाकर रखना
-तारीफ सुनने के ल‍िए लोगों को खुश रखना।
-सर्वगुण सम्‍पन्‍न होने की भावना
-किसी से ज्यादा बात ना करना
-दूसरों का ध्यान अपनी तरफ खींचना
-कम आत्‍मसम्‍मान होना
-परफेक्‍ट बनने की ज्यादा कोशिश करना

सेरोटोनिन हो सकता है कारण

एक्‍सपर्ट की मानें तो महिलाओं में इस सिंड्रोम की एक वजह सेरोटोनिन नामक तत्व भी है। यह एक ब्रेन केमिकल है, जो उदासी को दूर करके व मूड को अच्छा बनाकर उसे तनावग्रस्त होने से बचाता है। मस्तिष्क में सेरोटोटनिन की कमी पूरी करने के लिए आप दवाइयों और एस्‍ट्रोजन बढ़ाने वाले फूड का सेवन कर सकते हैं।

ऐसे करें बचाव
आत्म-अनुशासन है जरूरी

इस सिंड्रोम से बचने के लिए आत्म-अनुशासन कारगार साबित हो सकता है। घर और ऑफिस के लिए समय निकालने के साथ खुद को भी टाइम दें। इस दौरान आप वो सब काम करें, जिससे आपको खुशी मिले। 

प्राथमिकताओं को करें सुनिश्चित

एक वक्त में हर काम कर पाना या हर फील्ड में परफेक्ट हो पाना किसी के लिए भी संभव नहीं है। ऐसे में अपनी प्राथमिकताओं को कम करें और जरूरी चीजों पर ध्यान दें। जैसे कि अगर आप अभी-अभी मां बनी हैं तो यह समय पूरी तरह अपने बच्चे व मातृत्व को दें और ऑफिस वर्क को अवॉइड करें।

उम्मीदों को करें सीमित

भारतीय समाज में सिर्फ आसपास के लोग ही नहीं बल्कि खुद महिलाओं को भी स्वयं से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें होती हैं। जो पूरी ना होने पर सुपर वुमन सिंड्रोम जैसी मानसिक बीमारी को जन्म देती है। ऐसे में ये समझना बहुत जरूरी है कि आपकी अपनी भी कुछ सीमाएं हैं और आप हर काम नहीं कर सकती। अपने हिस्से उतना ही काम लें, जितना आपके लिए संभव हो।

दूसरों की मदद लेना

परफेक्ट दिखने के लिए अक्सर महिलाएं दूसरों की मदद लेने से हिचकिचाती है लेकिन ऐसा करना बिल्कुल गलत है। अगर आपका वर्कलोड अधिक हो तो मदद मांगने से बिल्कुल ना हिचकिचाएं, फिर चाहे बात आॅफिस की हो या घर की। साथ ही ना कहना भी सीखें। अगर आपने यह गुण सीख लिया तो बहुत सी समस्याओं व बीमारियों से बची रहेंगी।

दिनचर्या में बदलाव

घर और ऑफिस के काम के चक्कर में महिलाएं ना सही आहार लेती हैं और ना ही व्यायाम करती है, जोकि इस सिंड्रोम का सबसे बड़ा कारण है। ऐसे में अपनी डेली लाइफ में व्यायाम, खासकर योगा को जगह दें। इससे दिमाग में हैप्पी हार्मोन रिलीज होते हैं, जिससे आप खुद को अधिक उर्जावान व खुश महसूस करती है।

स्वस्थ डाइट भी है जरूरी

महिलाओं को अपने डाइट चार्ट में जरूरी पोषक तत्‍व जैसे ओमेगा-3, विटामिन्स, जिंक, प्रोटीन, कैल्शियम आदि शामिल करना चाहिए, ताकि वह स्वस्थ रहें। इसके लिए अपनी डाइट में हरी सब्जियां, फल, ओट्स, बीन्स, अंडा, दूध, नट्स, ब्रोकली, पालक, चिकन या मछली और गाजर जैसी चीजों का सेवन करें। साथ ही शराब, जंक और प्रोसेस्ड फूड्स से परहेज करें।

अच्छी नींद भी है जरूरी

पूरा दिन काम करने के बाद आप देर रात तक काम या मोबाइल में ही उलझी रहती है। मगर शरीर व दिमाग को आराम देने के लिए जरूरी है कि आप 7-8 घंटे की नींद लें। ऐसे में रात को ज्यादा देर तक मोबाइल का यूज करने की बजाए सो जाए।

Content Writer

Anjali Rajput