हाथरस केसः महिलाएं कितनी सुरक्षित, सरकार क्यों नहीं उठाती कड़ा एक्शन?

punjabkesari.in Thursday, Oct 01, 2020 - 06:13 PM (IST)

हाथरस में 18 वर्ष की लड़की की फिर पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। सोचिए उस परिवार का हाल जिसकी हंसती-खेलती बेटी की, कुछ ही मिनटों ने जान ले ली। मां की चीखें, पिता की बेबसी भरी आंखें और रोते भाई अपनी आंगन की चिड़िया को बचा नहीं पाए ऐसी दरिदंगी जो सोच के ही रौंगटे खड़े कर रही है तो जरा सोचे जिसके साथ हुआ उसने कितनी पीड़ा सही। 14 सितम्बर का काला दिन जब पीड़िता के साथ ये बर्बरता हुई, 9 दिन बाद उसे होश आया। होश आने पर उसने इशारों में परिवार को अपने साथ हुई आपबीती बयां की।

15 दिन बाद युवती ने दिल्ली के हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया। गांव के ही रहने वाले 4 पुरुष थे जिसकी रिपोर्ट यूपी के हाथरस के थाना चंदपा में लिखवाई गई है। हाथरस पुलिस अधीक्षक का कहना है कि आरोपी संदीप 14 सितंबर से ही पुलिस की गिरफ्त में है। बाकी के आरोपियों को भी पकड़ लिया गया।

भाई से लेकर मां तक, यह कहते रहे कि मामले को लेकर पुलिस लापरवाही बरत रही थी। जबकि पुलिस का कहना है कि हाथरस पीड़िता की ना तो जुबान काटी गई न ही उसके साथ रेप हुआ है। एडीजी प्रशांत कुमार के मुताबिक, हाथरस पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि गले पर चोट आने व उसके कारण लगे सदमे से युवती की मौत हुई है। वहीं परिवार के जबरन संस्कार की बात पर एडीजी ने कहा कि पिता व भाई की सहमति से ही संस्कार
किया गया है।
 

लोग दोषियों के लिए फांसी की मांग कर रहे हैं,  कैंडल मार्च निकाल रहे हैं। सड़कों पर रोष प्रदर्शन किया जा रहा है। इंसाफ की मांग की जा रही है। लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि महिलाएं सुरक्षित कितनी है? हर दिन महिलाओं के साथ रेप, एसिड अटैक, घरेलू हिंसा जैसे मामले सुनने को मिलते हैं। ऐसे हैवानों के खिलाफ सरकार सख्त रवैया या कानून क्यों नहीं बना रही।
 

आज देश ही हर बेटी ना सिर्फ अपने लिए इंसाफ चाहती है बल्कि वो अपने लिए एक ऐसा समाज भी चाहती हैं जहां वो बिना डरे आजादी से जी सके। समाज में महिलाओं की स्थिति तभी बदलेगी जब ऐसी घटनाओं पर कड़े एक्शन लिए जाएंगे।

#insaafkimuhim में आप सरकार से कैसी सजा का प्रावधान चाहते हैं हमें कमेंट बॉक्स में बताना ना भूलें।

Content Writer

Vandana