बच्चे को क्यों होती है TB? जानें बचाव के तरीके

punjabkesari.in Tuesday, Feb 26, 2019 - 05:09 PM (IST)

टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस एक खतरनाक इंफेक्शन है जो फैलने से फैलता है। बड़ों के साथ-साथ आजकल बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। यह फेफडे़ से संबंधित बीमारी है जिससे बच्चों को सांस लेने में परेशानी होने लगती है। बच्चों के अंग बहुत ही नाजुक होते हैं इसलिए टीबी का असर उन पर ज्यादा होता है। टीबी के कारण बच्चा कुपोषण और एनीमिया का शिकार हो जाता है।

 

बच्चों में टीबी के प्रकार

टीबी बड़ों के मुकाबले बच्चों को ज्यादा नुक्सान पहुंचाता है। इस बीमारी से बच्चे की मौत भी हो जाती है। बच्चों में बाल टीबी, प्रोग्रेसिव प्राइमरी टीबी, मिलियरी टीबी, दिमाग की टीबी, हड्डी की टीबी जैसी बीमारियां हो सकती है।

 

बड़ों से बच्चों को हो जाती है टीबी

बच्चों में टी.बी. के ज्यादातर मामले फेफड़ों के अलावा दूसरे अंगों में ज्यादा होते हैं, जिसे मेडिकल भाषा में एक्सट्रा पल्मोनरी टी.बी. कहते हैं। बच्चे अगर किसी टीबी के मरीज के सम्पर्क में आते हैं तो उन्हें टीबी आसानी से हो सकती है। बच्चों में टी.बी. की पहचान थोड़ी मुश्किल हो जाती है। बच्चों को टी. बी. की बीमारी अपने ही परिवार के किसी व्यक्ति से लगती है। 

टीबी के लक्षण

खांसी आना

बच्चे में दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय से लगातार खांसी आना, खांसी का निरंतर बने रहना। शुरूआत में सूखी खांसी आना बाद में खांसी के साथ कफ में खून भी निकलने लगता है, जो कि बच्चे में टीबी का प्रमुख लक्षण है। इसके अलावा इस रोग में खांसी के दौरान सांस लेते वक्त बच्चे की सांस फूलने लगती है और ऑक्सीजन की कमी से बच्चा बेहोश भी हो सकता है।

 

बुखार आना

ट्यूबरकुलोसिस के कीटाणु बच्चे के फेफडे से शरीर के अन्य अंगों में बहुत जल्दी पहुंच जाते हैं। प्रोग्रेसिव प्रायमरी टीबी में बच्चा ज्यादा बीमार रहता है। इसके कारण बच्चे में लो-ग्रेड बुखार निरंतर बना रहता है। रात को सोते वक्त बच्चे को पसीना आने लगता है।

वजन कम होना

टीबी होने पर बच्चे का वजन घटने लगता है। बच्चे की भूख कम हो जाती है जिसकी वजह से उसका वजन कम होने लगता है।

 

सुस्त रहना

खांसी और बुखार की वजह से बच्चे की इम्युनिटी बहुत कम हो जाती है। इस कारण बच्चे की एनर्जी कम हो जाती है और वह सुस्त रहने लगता है। थोडी देर चलने पर या खेलने से बच्चे को थकान होने लगती है। किसी भी प्रकार के खेल में उसकी रूचि नहीं रहती।

स्किन में बदलाव

बच्चे की स्किन बहुत ही नाजुक होती है इसलिए टीबी होने पर उसकी स्किन पीली या लाल होने लगती है। इसके अलावा बच्चे को स्किन-इन्फेक्शन भी होने लगता है।

 

टीबी का इलाज

अगर बच्चे में टीबी के लक्षण दिखें तो डॉक्टर की सलाह लेकर बच्चे का पूरे समय तक इलाज जरूर करवाएं। टीबी का पता चलने पर जिला टी.बी. अधिकारी को सूचित करना जरूरी होता है। इस अधिकारी की मदद से आप टीबी का इलाज मुफ्त में करवा सकते हैं।

याद रखें यह टिप्स

इस बात का ध्यान रखें कि टीबी का फैलाव फेफड़े की टीबी के मरीज के जरिये हो सकता है और किसी तरीके से नहीं इसलिए जब तक मरीज पूरी तरह ठीक नहीं हो जाता , तब तक बच्चे को टी.बी से ग्रस्त मरीज से दूर रखें।

Content Writer

Anjali Rajput