हर्ड इम्यूनिटी पर WHO की चेतावनी, बीमारी फैली तो बढ़ जाएगा डेथ रेट

punjabkesari.in Wednesday, Oct 14, 2020 - 09:36 AM (IST)

जहां एक तरफ वैज्ञानिक कोरोना की वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं वहीं दुनियाभर के देशों में रोज नई दवाएं लॉन्च हो रही है, ताकि इस बीमारी से लड़ा जा सके। वहीं, इस महामारी से निपटने के लिए कुछ वैज्ञानिक हर्ड इम्यूनिटी (Herd Immunity) पर भी आस टिकाए बैठे हैं। मगर, WHO यानि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हर्ड इम्यूनिटी को लेकर चेतावनी दी है।

हर्ड इम्यूनिटी क्या है?

हर्ड इम्युनिटी यानि सामाजिक रोग प्रतिरोधक क्षमता। बड़े समूह में बीमारी फैलने से इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाती है। बीमारी से लड़कर पूरी तरह ठीक होने वाले लोग ‘इम्यून’ हो जाते हैं यानी उनकी प्रतिरक्षात्मक विकसित हो जाती है, जिससे स्थाई इलाज में मदद मिलती है। यह हिस्सा 60 से 80% तक हो सकता है, जो 2 तरीके से प्राप्त होती है...

पहला- आबादी के एक बड़े हिस्से का टीकाकरण करने से
दूसरा- आबादी के बड़े हिस्से में बीमारी फैलने से

कोरोना महामारी के लिए पहला तरीका सुरक्षित है लेकिन उसके लिए वैक्सीन चाहिए। वहीं, दूसरा तरीका खतरनाक है क्योंकि इससे लोगों में बीमारी फैलने और मरने के चांसेज ज्यादा हो सकते हैं।

इस पर WHO ने क्या कहा?

WHO ने कहा कि हर्ड इम्यूनिटी कोरोना महामारी को और भी ज्यादा फैला सकती है इसलिए यह नीति अनैतिक है। हर्ड इम्यूनिटी एक कॉन्सेप्ट है, जो टीकाकरण में इस्तेमाल होगी, ताकि पूरी आबादी को वायरस से बचाया जा सके।

खसरा और पोलियो का उदाहरण

पोलियो और खसरा का उदाहरण देते हुए WHO ने कहा कि अगर 95% आबादी वैक्सीनेट हो जाए तो बचे हुए 5% लोगों को भी वायरस से बचाया जा सकता है। पोलियो में इसकी सीमा रेखा करीब 80% है। हर्ड इम्यूनिटी इंसान को किसी वायरस से सुरक्षा देने के लिए की जाती है, ना कि उसकी जान खतरे में डालने के लिए। लोगों का इम्यून रेस्पॉन्स  कितना मजबूत है, एंटीबॉडीज कितने दिन तक बनी रहेंगी है, इन बातों पर गौर करना भी जरूरी है।

इलाज का पुराना तरीका है हर्ड इम्युनिटी

इलाज का यह तरीका काफी पुराना है, जिसमें बड़ी आबादी को वैक्सीन दी जाती है, ताकि उनके शरीर में एंटीबॉडीज बन जाएं। चेचक, खसरा और पोलियो फैलने के दौरान भी यही तकनीक अपनाई गई थी।

कैसे करती है काम?

अगर किसी बीमारी का टीका न हो तो बड़ी आबादी को उस बीमारी से संक्रमित किया जाता है। इससे संक्रमित लोगों से वायरस नहीं फैलेगा क्योंकि उनके आस-पास के लोग भी बीमारी से संक्रमित होंगे। ऐसे में शरीर में खुद एंटीबॉडीज बनाने लगेगा और शरीर कुछ ही दिन में वायरस से लड़ने के लिए तैयार हो जाएगा। इसके बाद वायरस नाकाम हो सकता है।

Content Writer

Anjali Rajput