किन लड़कियों को अधिक होती है PCOD की समस्या, कैसे करें इलाज?

punjabkesari.in Wednesday, Jul 28, 2021 - 05:41 PM (IST)

पीसीओडी की समस्या हर दूसरी की महिला के लिए परेशानी का कारण बन गई है, जिसकी सबसे बड़ी वजह है गलत लाइफस्टाइल। महिलाएं अक्सर काम के चक्कर में अपनी डाइट, एक्सरसाइज और बॉडी को अनदेखा कर देती हैं, जिसके कारण उन्हें इस समस्या का सामना करना पड़ता है। यह विकार तब होता है जब शरीर में हार्मोंन्स का असंतुलन पैदा होता है। इस कंडीशन में महिला की ओवरी बड़ी हो जाती है।

 

चलिए आज हम आपको बताते हैं कि पीसीओडी क्या और इससे आपको क्या-क्या परेशानियां झेलनी पड़ सकती है।

क्या है पीसीओडी?

यह एक ऐसी हार्मोनल डिसऑर्डर है, जिसमें महिला के गर्भाशय में मेल हार्मोन एण्ड्रोजन( Androgen) का स्तर बढ़ जाता है परिणामस्वरूप ओवरी में सिस्ट्स बनने लगते हैं। यह मादा हार्मोन एंडोर्फिन के काम में बाधा डालता है, जिसे अंडाशय चक्र असामान्य हो जाता है।

PCOD के लक्षण

बॉडी पर ज्यादा बाल
फर्टिलिटी कम होना
अनियमित पीरियड्स या ज्यादा ब्लीडिंग
पीरियड्स के दौरान दर्द
गालों या ठोड़ी के आस-पास पिंपल्स
लोअर बैली पर ज्यादा फैट
मुहांसे निकलना
बालों का हद से ज्यादा झड़ना

बांझपन के साथ कैंसर का भी बनता है कारण

पहले यह समस्या महिलाओं में 30-35 की उम्र में पाई जाती थी लेकिन गलत लाइफस्टाइल के चलते आजकल कम उम्र में भी लड़कियां इसकी चपेट में आ रही है। पीसीओडी के कारण ना सिर्फ मां बनने में दिक्कत आती है बल्कि इससे वजन भी बढ़ने लगता है। इतना ही नहीं, अगर यह समस्या लगातार बनी रहे तो न केवल ओवरी और प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है बल्कि आगे चल कर यह समस्या कैंसर का रुप भी ले लेती है।

इन लड़कियों में होती है ज्यादा समस्या

यह समस्या उन लड़कियों में ज्यादा देखने को मिलती है, जिन्हें पीरियड्स से जुड़ी परेशानी जैसे अनियमित पूरियड्स, मासिक धर्म लेट, हैवी या कम ब्लीडिंग हो। अक्सर लड़कियां इसके लक्षणों को इग्नोर कर देती हैं लेकिन अगर समय रहते इसका पता चल जाए तो इसे काबू में किया जा सकता है।

क्या मेडिकल उपचार है संभव?

पीसीओडी से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर्स दवाएं और इंजेक्शन का सहारा लेते हैं, जो अंडे बनाने में मदद करते हैं। इससे पीसीओडी खत्म होने के चांसेस 20-40% तक होते हैं। हालांकि इसे कंट्रोल करने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव करना भी बहुत जरूरी है।

IUI और IVF से मिलेगी गर्भधारण करने में मदद

अगर आप पीसीओडी के कारण गर्भ धारण नहीं कर पा रही है तो इसके लिए आप IUI (इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन ) और IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) तकनीक की मदद ले सकती हैं। आईयूआई की मदद से शुक्राणुओं को इंसेमिनेशन द्वारा मां के गर्भ में रखा जाता है। वहीं आईवीएफ में एक प्रयोगशाला में अंडे और शुक्राणु का मैन्युअल या कृत्रिम संयोजन बनाया जाता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, यह तकनीक 90% महिलाओं में असरदार साबित होती है।

हेल्दी डाइट लें

पीसीओडी के कारण वजन बढ़ने लगता है, जिसे कंट्रोल करने के लिए सबसे जरूरी है डाइट। अगर खान-पान सही तो इस बीमारी को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। इसके लिए डाइट में फल, हरी सब्जियां, विटामिन बी युक्त आहार, ओमेगा 3 फैटी एसिड को शामिल करें। साथ ही जंक फूड, अधिक मीठा, फैट युक्त भोजन, ऑयली फूड्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स से परहेज करें। इसके अलावा दिनभर में कम से कम 8-9 गिलास पानी पीएं।

घरेलू नुस्खे भी हैं मददगार

मेथी की बीज को रातभर के लिए पानी में भिगो दें। इसके बाद सुबह इसे पीसकर इसमें 1 चम्मच शहद मिलाएं। दिन में 2 बार नियमित रूप से इसका सेवन करने से आपको इस समस्या में सुधार दिखने लगेगा।

योग भी है मददगार

दवा और डाइट के साथ-साथ पीसीओडी में योग भी काफी फायदेमंद है इसलिए रोजाना कम से कम आधा घंटा एक्सरसाइज या 15-20 योगासन जरूर करें। पीसीओडी को कंट्रोल करने के लिए आप कपालभाती, पवनमुक्त आसन, हलासन, धनुरासन, मार्जरासन, उष्‍ट्रासन और भुजंगासन आदि कर सकते हैं।

लाइफस्टाइल में करें ये बदलाव

-इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण है तनाव इसलिए जितना हो सके स्ट्रेस लेने से बचें।
-बढ़ते वजन के साथ आपकी परेशानी भी बढ़ सकती है इसलिए इसे कंट्रोल में रखें।
-रोजाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद जरूर लें। इससे ना सिर्फ तनाव दूर होगा बल्कि पीसीओडी की समस्या भी दूर रहेगी।
-कुछ महिलाओं को शराब पीने की आदत होती है लेकिन इससे शरीर में हार्मोन अंसतुलित हो जाते हैं, जो इस बीमारी को बढ़ाते हैं। ऐसे में इससे दूरी बनाएं।

Content Writer

Anjali Rajput