Ganesh Chaturthi : गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापना और पूजा कब और कैसे करें

punjabkesari.in Monday, Sep 10, 2018 - 04:41 PM (IST)

देश की हर कोने में गणेश चतुर्थी बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। इस उत्सव में गणपति जी की मूर्ति घर में स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है। संकल्प करने के बाद इस मूर्ति को पानी में विसर्जित कर दिया जाता है। इस बार 13 सितंबर को बप्पा की मूर्ति की स्थापना की जाएगी और विसर्जन 23 सितंबर को होगा।  लोग शुभ मुहुर्त के हिसाब से गणपति को घर में विसर्जन करना चाहते हैं ताकि पूजा का सही फल मिल सके। आप भी अपने घर में गणेश जी को विराजित करना चाहते हैं तो जानें क्या है गणपति स्थापना का तरीका,पूजा की सही विधि और शुभ मुहूर्त। 

गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त

इस बार गणेश जी की पूजा प्रारम्भ करने का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगा। दोपहर 1 बजकर 34 मिनट तक स्थापना का समय शुभ है। 

गणेश जी की इस तरह शुरू करें पूजा
 

गणेश चतुर्थी की पूजा करने से पहले नई मूर्ति लाना जरूरी है। इस प्रतिमा को आप अपने मंदिर या देव स्थान में स्थापित कर सकते हैं लेकिन इससे पहले भी कई खास बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। अगर आप गणपति जी की मूर्ति को किसी कारण स्थापित नहीं कर सकते तो एक साबुत पूजा सुपारी को गणेश जी का स्वरूप मानकर उसे घर में रख सकते हैं। 

गणेश जी स्थापना करने का सही तरीका

पूजा स्थल में मूर्ति स्थापना करने से पहले अच्छी तरह से साफ सफाई कर लें। जिस चौकी पर गणेश जी की मूर्ति रखनी है, इस पर लाल रंग का कपड़ा बिछा कर अक्षत यानि चावल रखें। अब इस पर मूर्ति को स्थापित करें। स्थापना करने के बाद मूर्ति को दूर्वा, गंगाजल और पान के पत्ते से स्नान करवाएं। आप पीले वस्त्र या फिर मोली को वस्त्र मानकर भी गणेश जी को अर्पित कर सकते हैं। अब गणेश जी को रोली से तिलक लगा कर फूल चढ़ाए और भोग लगाकर पूरा,अर्चना, मंत्र जाप और भजन-कीर्तन करें। 

पूजा से पहले लें संकल्प

पूजा का संकल्प लेकर ही इसकी शुरुआत करें। मूर्ति की स्थापना करने के बाद दाएं हाथ में चावल और गंगाजल लेकर संकल्प करें। इसमें यह निश्चित कर लें कि आप गणपति जी को कितने दिनों कर विराजित करना चाहते हैं। तीन,पांच,सात,नौ या फिर 11 दिन। जितने दिन गणेश में गणपति जी स्थापित रहेंगे पूजा नियम से होनी जरूरी है। 

गणेश मंत्र का उच्चारण शुभ

भगवान जी को सारी सामग्री चढ़ाने और पूजा करने के बाद आरती करें और गणेश मंत्र का उच्चारण करें। 
'वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे दे सर्व कार्येषु सर्वदा।।' 


सही जगह पर रखें पूजा सामग्री 

गणेश जी की मूर्ति के पास तांबे या चांदी के कलश में जल भरकर रखें। इस बात का ध्यान रखें कि कलश गणपति जी के दाईं तरफ होना चाहिए। कलश पर मौली जरूर बांधे और इसके नीचे थोड़े चावल रखें। हर रोज पूजा का समय निश्चित होना बहुत जरूरी है। 


भगवान का भोग

भगवान की पूजा के साथ-साथ उन्हें समय पर भोग लगाना भी बहुत जरूरी है। दिन में 3 बार भोग लगाना अनिवार्य होता है। गणेश जी को फल के साथ-साथ मोदक का भोग भी लगाएं। मोदक गणपति जी के प्रिय हैं। 


इन बातों का भी रखें ध्यान
1. शुभ लाभ के लिए गणपति जी को प्रतिदिन 5 दूर्वा जरूर अर्पित करें। 
2. प्रसाद में प्रतिदिन पंचमेवा जरूर रखें।
3. भगवान के चरणों में 5 हरी इलायची और 5 कमलगट्टे रखें। 
4. दूर्वा को हर रोज बदल दें लेकिन हरी इलायची और कमलगट्टे को अंतिम दिन तक ऐसे ही रहने दें।
5. पूजा समाप्त होने के बाद कमलगट्टों को लाल कपड़े में बांध कर रख लें और इलायची का प्रसाद बांट दें। 
 

Content Writer

Priya verma