22 साल में हुए 1 हादसे के बाद व्हीलचेयर से बंधे नवीन आज दूसरों के लिए बन रहे रोशनी

punjabkesari.in Friday, Sep 06, 2019 - 12:49 PM (IST)

खुद वह अपने पैरों पर खड़े नही हो सकते, चल नही सकते जीवन में हुए 1 हादसे ने उन्हें व्हील चेयर पर तो बांध कर रख दिया लेकिन उनके नेक इरादों को नही बांध सकें। अपनी इन्हीं नेक इरादों के साथ केबीसी सीजन 11 के कर्मवीर स्पेशल में इस शुक्रवार को नवीन गुलिया आ रहे है। जिन्हें जीवन में हुए एक हादसे ने हमेशा के लिए व्हील चेयर पर बिठा दिया लेकिन इस हादसे ने उनकी सोच व इरादों को नही खत्म नही किया। चलिए बताते है आपको इनके इस सफर के बारे में ......

22 साल में 90 प्रतिशत शरीर हुआ था पैरालाइज्ड

गुडगांव के रहने वाले नवीन का काफी मेहनत करने के बाद इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून में दाखिला हुआ था।  एकेडमी में ऑब्सटेकल ट्रेनिंग के दौरान उनके साथ हुई दुर्घटना से उनका शरीर 90 प्रतिशत पैरालाइज्ड हो गया था। उस समय वह महज 22 साल के ते। इस घटना के बाद वह व्हीलचेयर पर जरुर बैठ गए लेकिन उनके सपने व इरादे कभी टूटे नही। उसके बाद उन्होंने सोशल वर्क करना शुरु किया। उनके इसी जज्बे को देखर इंडियन आर्मी ने उन्हें मोटिवेशनल स्पीकर बनाया गया। वह आर्मी के अलग- अलग कैंप में जाते वहां पर इंडियन आर्मी के जवानों को मोटिवेट करते। 

हासिल कर चुके हैं यह सम्मान

नवीन अपने नेक इरादों व काम की वहज से 2005 में लिम्का बुक ऑफ दी ईयर चुने गए थे। इतना ही नही उन्हें चीफ ऑर्मी कमोडेशन 2005, 2007 में डॉ. एपीजे अब्दूल कलॉम द्वारा राष्ट्रपति रोल मॉडल आवार्ड से सम्मानित किया गया। उनके नाम पर नान स्टॉप ड्राइविंग का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी दर्ज है। इसके तहत उन्होंने दिल्ली से लेकर सबसे ऊंची पहाड़ी मारसिमिक लॉ तक लगातार 55 घंटे, 18,632 फीट ऊंचाई पर ड्राइविंग की थी।

दिखावा करने पर आता है गुस्सा

शो की शेयर हुई वीडियो में नवीन ने कहा कि लोग कहते है उन्हें समाज सेवा कर या लोगों को देकर खुशी मिलती है, लेकिन उन्हें समाज सेवा कर क्रोध आता हैं। लोग काम प्रसिद्धी पाना के लिए करते है। एक छोटे बच्चे की मदद कर उसका लोगों में व्ख्यान करना उन्हें बुरा लगता हैं। इस समय गरीब बच्चों को पढ़ाने के साथ समाज में छोटे छोटे काम करते है जिससे लोगों के जीवन में सुधार हो सकें। अपनी मोटेवेशनल स्पीच के साथ वह लोगों के जीवन में नैगेटिविटी को दूर कर पॉजिटीविटी लाते हैं। 

उन्होंने कहा कि कई बार उनके पास फोन आता है कि उनकी गर्लफ्रेंड छोड़ कर चली घई है वह मरना चाहते है। ऐसे में नवीन उन्हें कहते है अगर इतनी छोटी सी बात पर वह मरने की सोच रहे तो उन्हें मर ही जाना चाहिए। जीवन में मरने तो सभी ने ही एक दिन जितनी दिन है खुलकर जी लेना चाहिए।

शुरु की ' अपनी दुनिया, अपना आशियाना ' संस्था

नवीन ने लोगों की मदद करने के लिए  ' अपनी दुनिया, अपना आशियाना ' संस्था की शुरुआत की ताकि वह गरीब बच्चों को शिक्षा के साथ उन्हें काबिल बनाने के लिए हर मदद कर सकें। इस संस्था को शुरु करने का आइडिया उन्हें तब आया जब एक उन्हें 2 साल की बच्ची रोती हुई मिली थी। अपने इसी काम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने हरियाणा के बारहाना गांव को गोद लिया हैं। जहां पर इस समय स्त्री व पुरुष का अनुपात सबसे कम है, उनकी कोशिश है कि वह यहां पर लड़कियों को आगे ला सके।

Content Writer

khushboo aggarwal