Karwa Chauth 2025: सरगी थाली में जरूर शामिल करें ये चीजें, वरना इसके बिना अधूरा रह जाएगा व्रत

punjabkesari.in Thursday, Oct 09, 2025 - 05:38 PM (IST)

 नारी डेस्क: करवा चौथ हिंदू धर्म की एक पवित्र और भावनात्मक परंपरा है, जिसे विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और पारिवारिक सुख-समृद्धि की कामना के लिए करती हैं। यह व्रत निर्जला उपवास होता है  यानी दिनभर न कुछ खाया जाता है और न ही पानी पिया जाता है। चंद्रमा के दर्शन और पूजा के बाद ही यह व्रत खोला जाता है। इस व्रत में सरगी का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह पूरे दिन की ऊर्जा का मुख्य स्रोत होती है।

सरगी क्या होती है? (What is Sargi)

करवा चौथ की शुरुआत सुबह-सुबह जिस भोजन से होती है, उसे सरगी कहा जाता है। परंपरा के अनुसार, सास या परिवार की बड़ी महिलाएं व्रती महिला को यह सरगी देती हैं। इसमें फल, मिठाई, सूखे मेवे, हल्का नाश्ता और कई बार परंपरागत पकवान भी शामिल होते हैं। सरगी केवल भोजन नहीं है, बल्कि यह सास द्वारा दी गई आशीर्वाद की थाली होती है, जो प्रेम, स्नेह और अपनापन दर्शाती है। इसे ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4:40 से 5:30 बजे) के बीच ग्रहण करना शुभ माना जाता है।

सास नहीं है तो कौन दे सकता है सरगी ?  जानिए करवा चौथ की इस खास  परंपरा के बारे में

सरगी का धार्मिक महत्व (Religious Significance of Sargi)

सरगी का धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से गहरा अर्थ है। यह सिर्फ शरीर को ऊर्जा देने का माध्यम नहीं, बल्कि यह सास-बहू के रिश्ते की मिठास और परिवार की एकता का प्रतीक भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सास द्वारा बहू को सरगी देना आशीर्वाद, प्रेम और दीर्घायु की कामना का प्रतीक है। सरगी खाने के बाद महिला पूरे दिन निर्जल रहकर अपने पति की लंबी उम्र और घर की सुख-शांति की कामना करती है। यह परंपरा बताती है कि हमारी संस्कृति में धार्मिकता के साथ-साथ स्वास्थ्य और रिश्तों की गहराई भी निहित है।

कैसे शुरू हुई सरगी की परंपरा? (Origin of the Sargi Ritual)

माता पार्वती की कथा से जुड़ी मान्यता

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पहली बार सरगी की परंपरा माता पार्वती से जुड़ी मानी जाती है। जब उन्होंने भगवान शिव की दीर्घायु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था, तब उनकी सास जीवित नहीं थीं। इसलिए उनकी मां मैना देवी ने उन्हें पौष्टिक और शुभ व्यंजनों वाली सरगी दी थी। तभी से यह परंपरा चली कि यदि सास जीवित न हों, तो मायके से मां भी सरगी भेज सकती हैं।

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महाभारत काल से जुड़ा प्रसंग

दूसरी कथा महाभारत काल से जुड़ी है। कहा जाता है कि जब द्रौपदी ने पांडवों की रक्षा और दीर्घायु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था, तब उनकी सास कुंती ने उन्हें सरगी दी थी। तभी से यह प्रथा और भी मजबूत मानी जाने लगी कि सरगी हमेशा ससुराल पक्ष की ओर से दी जाती है  विशेषकर सास द्वारा।

इन दोनों कथाओं से यह साफ होता है कि सरगी केवल एक भोजन नहीं, बल्कि मातृत्व, आशीर्वाद और परिवारिक प्रेम का प्रतीक है, जो पीढ़ियों से चली आ रही है।

सरगी थाली में क्या होना चाहिए? (What Goes into a Sargi Thali)

सरगी थाली में वे सभी चीजें रखी जाती हैं जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ ऊर्जा, पोषण और संतुलन प्रदान करती हैं।
आमतौर पर सरगी में शामिल होते हैं:

मिठाइयां: जैसे रसगुल्ले, लड्डू, बर्फी या सेवईं, जो ऊर्जा और मिठास बढ़ाती हैं।

सूखे मेवे: बादाम, काजू, किशमिश, अखरोट जैसे ड्राई फ्रूट्स शरीर को हैल्दी फैट्स और प्रोटीन देते हैं।

फल: केला, सेब, अनार जैसे फल विटामिन और मिनरल्स प्रदान करते हैं, जो दिनभर एक्टिव रखते हैं।

हल्का भोजन: जैसे मठरी, पराठा या सैंडविच, ताकि व्रती महिला को लंबे समय तक भूख न लगे।

चाय या दूध: कुछ महिलाएं हल्की चाय या दूध लेती हैं ताकि एनर्जी बनी रहे।

हर घर की सरगी थाली थोड़ी अलग हो सकती है, लेकिन इसमें हमेशा यह ध्यान रखा जाता है कि भोजन संतुलित और पचने में आसान हो।

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सरगी थाली ग्रहण करने का शुभ समय (Auspicious Timing for Sargi)

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, करवा चौथ 2025 में ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह 4:40 बजे से 5:30 बजे तक रहेगा। यही समय सरगी ग्रहण करने के लिए सबसे शुभ और उत्तम माना गया है। इस समय खाई गई सरगी पूरे दिन शरीर को शक्ति, मन को स्थिरता और आत्मा को सकारात्मकता प्रदान करती है।

करवा चौथ की सरगी सिर्फ एक प्रथा नहीं, बल्कि यह एक भावनात्मक बंधन और आशीर्वाद की परंपरा है। इसमें छिपा हर निवाला प्रेम, सम्मान और आस्था का प्रतीक होता है। यह परंपरा सास-बहू के रिश्ते को मजबूत बनाती है और इस व्रत को आध्यात्मिकता के साथ-साथ पारिवारिक एकता का पर्व बना देती है।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं, ग्रंथों और पंचांग पर आधारित है। किसी भी प्रकार के धार्मिक निर्णय के लिए विशेषज्ञ या पंडित से परामर्श लें।

 

 
 


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Content Editor

Priya Yadav

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