Magha Amavasya: क्या होती है मौनी अमावस्या? 382 साल बाद बन रहा षष्ठग्रही योग, जानिए शुभ मुहूर्त

punjabkesari.in Wednesday, Feb 10, 2021 - 01:51 PM (IST)

हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का खास महत्व है जो कल यानि 11 फरवरी को है। इसे सबसे पुण्यदायिनी और मोक्षदायिनी अमावस्या माना जाता है। यही नहीं, इस दिन श्रवण नक्षत्र में चंद्रमा और 6 ग्रह मकर राशि में मिलकर महायोग बना रहे हैं, जिसे "महोदय योग" भी कहा जाता है। महोदय योग में कुंभ स्नान और पितरों का पूजन शुभदायी माना जाता है।

क्या होती है मौनी अमावस्या?

माघ महीने में आने वाली अमावस्या को "मौनी अमावस्या" कहा जाता है, जिन दिन मौन व्रत रखने की परंपरा है। यह योग पर आधारित महाव्रत है। शास्त्रों के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन मौन धारण यानि चुप रहने से खास ऊर्जा मिलती है। अगर आप मौन व्रत नहीं भी रख रहे हैं तो भी मुंह से कड़वे, अपमानजनक और कटु शब्द ना निकालें। इस दिन किसी को गुस्सा औरअपशब्द बोलने से बचें।

382 साल बाद बन रहे षष्ठी ग्रह

मौनी अमावस्या पर भगवान विष्णु को तिल व दीपदान करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और धन संबंधी परेशानियां भी दूर होती है। 382 साल बाद इस अमावस्या पर षष्ठी ग्रह बन रहे हैं। इससे पहले 26 जनवरी, 1637 को शनि का मकर राशि में प्रवेश हुआ था। अब 29 अप्रैल 2022 को शनि राशि बदलेगा और कुंभ में प्रवेश करेगा।

अमावस्या इसलिए है खास

माघ माह की अमावस्या इसलिए भी खास है क्योंकि इसके अधिपति स्वयं शनिदेव हैं। ऐसे में इस दिन दान-पुण्य करने से कई गुना फल मिलता है। इसके अलावा इस दिन रोगियों की सेवा करने से भी शनिदेव प्रसन्न हो जाते हैं। साथ ही इस दिन तेल, तिल-गुड़, अन्न, आंवला, कपड़े और जूते दान शुभ होता है।

माघ अमावस्या 2021 तिथि और शुभ मुहूर्त-

फरवरी 11, 2021 -  01:48 से अमावस्या आरंभ
फरवरी 12, 2021 - 00:37 पर अमावस्या समाप्त
महोदय योग और पुण्य काल - 11 फरवरी, 2:05 मिनट तक

हर पाप से मिलती है मुक्ति

इस दिन गंगा या किसी भी पवित्र नदि में स्नान करने का भी खास महत्व है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गंगा व पवित्र नदियों में देवी-देवता निवास करते हैं इसलिए गंगा स्नान करना इस दिन महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे कार्तिक के समान पुण्य मास भी कहा गया है। गंगा तट पर इस करणभक्त जन एक मास तक कुटी बनाकर गंगा सेवन करते हैं। मान्यता है कि इससे दैहिक (शारीरिक), भौतिक (अनजाने में किया गया पाप), दैविक (ग्रहों, गोचरों का दुर्योग) पापों से मुक्ति मिलती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सागर मंथन से भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए तब देवताओं व राक्षस की लड़ाई में अमृत की कुछ बूंदें इलाहाबाद हरिद्वार नासिक और उज्जैन में जा गिरी। इसलिए यहां की नदियों में स्नान करना अमृत में स्नान करना जैसा माना जाता है।

मौनी अमावस्या व्रत नियम

. सुबह नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहें।
. भगवान विष्णु के साथ पीपल के पेड़ की भी पूजा करें। साथ ही किसी गरीब और भूखे लोगों को भोजन जरूर करवाएं।
. गौ शाला में अनाज, कपड़े, तिल-गुड़, आंवला, आदि दान करें। आप गौ, स्वर्ण या भूमि दान भी कर सकते हैं।
. हर अमावस्या की तरह माघ अमावस्या पर भी पितरों को याद और तर्पण करें। इससे उन्हें मोक्ष मिलेगा।

Content Writer

Anjali Rajput