रीढ़ की हड्डी पर असर डालती है ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन, जानिए साइड-इफैक्ट

punjabkesari.in Monday, Sep 14, 2020 - 09:51 AM (IST)

कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिकों के बीच दौड़ लगी हुई है। इसी लिस्ट में ब्रिटेन, अमेरिका, चीन और भारत का नाम शामिल है। हालांकि अमेरिका की एस्ट्राजेनेका कंपनी कोरोना की जो वैक्सीन बना रही थी उसफर फिलहाल रोक लगा दी गई है। दरअसल, ट्रायल के दौरान अमेरिका की इस वैक्सीन से लोगों में कई साइड-इफैक्ट देखने को मिले, जिसके चलते वैक्सीन में बदलाव करके दौबारा ट्रायल किया जाएगा।

अमेरिका की वैक्सीन से हुआ ट्रांसवर्स माइलाइटिस

खबरों के मुताबिक, अमेरिका की एस्ट्राजेनेका कंपनी की दवा से मरीज में कुछ साइड-इफैक्ट देखने को मिले हैं, जिसकी वजह से फिलहाल इसपर रोक लगा दी गई है। ट्रायल के दौरान कुछ लोगों की तबीयत भी बिगड़ गई। वहीं, खबरों के मुताबिक, वैक्सीन से एक वॉलंटियर को ट्रांसवर्स माइलाइटिस हुआ, जो इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम है। 

क्या है ट्रांसवर्स माइलाइटिस?

TM यानि ट्रांसवर्स माइलाइटिस एक तंत्रिकीय विकार है, जो स्पाइनल कॉर्ड यानि रीढ़ की हड्डी में सूजन व वायरल इंफैक्शन पैदा कर सकता है। इसके कारण ना सिर्फ असहनीय दर्द होता है बल्कि व्यक्ति को चलने-फिरने में भी दिक्कत आती हैं। साथ ही इससे यूरिन और स्टूल से भी कंट्रोल खत्म हो जाता है।

कैसे होती है यह समस्या?

. रीढ़ की हड्डी में खून की सप्लाई ठीक तरह से ना होना
. खसरा, छोटी चिकन पॉक्स,  न्यूरोमालाइटिस ओपटिका, मल्टीपल स्केलेरोसिस, मम्स जैसे वायरस के कारण
. एचआईवी यह टीबी का संक्रमण होना
. शरीर में विटामिन बी-12 की कमी

बीमारी के लक्षण

. हाथ-पैरों में कमजोरी व तेज दर्द
. रीढ़ की हड्डी का सुन्न होना
. कमर से नीचे का हिस्सा काम न करना।
. गर्दन में तेज दर्द

इलाज

MRI टेस्ट किया जाता है जिसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टल इलाज करते हैं। दर्द कम करने के लिए फिजियोथैरेपी दी जाती है। वहीं अगर 6 महीने तक स्थिति में कोई सुधार न हो तो स्थिति गंभीर हो सकती है।

WHO का कहना है कि दुनिया में कोरोना वैक्सीन को लेकर 180 देशों में परीक्षण किए जा रहे हैं लेकिन किसी का भी आखिरी ट्रायल पूरा नहीं हो पा रहा है। अगर दिसंबर तक वैक्सीन बनकर तैयार ना हो पाई तो ब्रिटेन और भारत बीमारी पर अपना कंट्रोल खो सकता है।

Content Writer

Anjali Rajput