90 की उम्र में भी शानदार भरतनाट्यम करती हैं वैजयंती माला,  डांसिंग क्वीन की परफॉर्मेंस देख रह जाएंगे दंग

punjabkesari.in Thursday, Apr 11, 2024 - 11:12 AM (IST)

हिन्दी फ़िल्मों पर लगभग दो दशकों तो राज करने वाली वैजयन्ती माला को किसी पहचान की जरुरत नहीं है। वह प्रसिद्ध अभिनेत्री होने के साथ- साथ  नृत्यांगना, कर्नाटक गायिका, नृत्य प्रशिक्षक और सांसद की भी भूमिका निभा चुकी हैं।  सालों से पर्दे से दूर रहने के बावजूद भी वह आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई हैं। कुछ दिनों पहले उनका एक वीडियो खूब चर्चा में रहा था, जिसमें उनका अलग ही जोश देखने को मिला था। 


90 साल की वैजयन्ती माला ने पिछले महीने अयोध्या के राम मंदिर में शानदार परफॉर्मेंस दी थी। उम्र की इस पड़ाव में भी उनका जोश देखने लायक था। उन्होंने राम मंदिर में शुरू हुई 'रागसेवा' में हिस्सा लिया और भरतनाट्यम डांस किया था। आमतौर पर इस उम्र तक पहुंचते- पहुंचते लोगों का शरीर लगभग हार मान जाता है पर अभिनेत्री ने अपनी  परफॉर्मेंस से बता दिया कि उम्र तो सिर्फ नंबर है। 

अयोध्या के राम मंदिर में शानदार परफॉर्मेंस दी, जिसकी चर्चा हो रही है। उन्होंने राम मंदिर में डांस किया, जिसका वीडियो सामने आया है और हर कोई एक्ट्रेस की तारीफ कर रहा है। 90 साल की उम्र में वैजयंती माला ने अपने डांस और हाव-भाव से सबका दिल जीत लिया। वैजयंती माला ने राम मंदिर में चल रहे 'रागसेवा' कार्यक्रम में परफॉर्म किया था।


वैजयंती माला के इस डांस वीडियो को सिंगर मालिनी अवस्थी ने शेयर करते हुए लिखा था- 'हमारे यहां कला भक्ति का सर्वोच्च पद माना गया है। वैजयंती मालाजी को देखकर यह बात बार-बार सच साबित होती दिखती है। आज भी जो प्रसिद्धि और ग्लैमर नए कलाकारों के लिए सपना है, उसके सर्वोच्च शिखर को साठ वर्ष पीछे छोड़ वैजयंती मालाजी चेन्नै में कला साधना में जीवन यापन कर रही हैं। राम लला की रागसेवा में अयोध्या पधारीं वैजयंती मालाजी को 90 वर्ष की आयु में नृत्य करते देख यही लगा, यही है भारतीय कला का आध्यात्मिक आंनद, मोक्ष की साधना। इस साधना की जय हो, इस आंनद की जय हो।'

भले ही यह वीडियो पुरानी है लेकिन चर्चे इसके आज भी खूब चलते हैं। बता दें कि  वैजयन्ती माला हिन्दी फ़िल्मों पर लगभग दो दशकों तो राज करती रही। दक्षिण भारत से आकर राष्ट्रीय अभिनेत्री का दर्जा पाने वाली वह पहली महिला हैं। वह  एक प्रसिद्ध नृत्यांगना है, उन्होंने ही हिन्दी फ़िल्मों में अर्थ-शास्त्रीय नृत्य के लिए जगह बनाई थी।  वैजयन्ती माला के थिरकते पांवों ने उसे "ट्विन्कल टोज़" (twinkle toes) का खिताब दिलाया।1950-1960 के दशक में उन्हें  प्रथम श्रेणी की नायिका के नाम से जाना जाता था।
 

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vasudha