घृष्णेश्वर मंदिर में दर्शन करने से भरती है सूनी गोद, हिलेरी क्लिंटन भी जाएगी यहां माथा टेकने

punjabkesari.in Tuesday, Feb 07, 2023 - 05:09 PM (IST)

अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन इन दिनों भारत दौरे पर है।  वह महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में पहुंची गई हैं, कल वह विश्वप्रसिद्ध एलोरा की गुफाओं को देखने जाएंगी।  इसके अलावा हिलेरी क्लिंटन घृष्णेश्वर मंदिर में दर्शन करेंगी जो देश में 12 वां ज्योतिर्लिंग है । महाराष्ट्र के औरंगाबाद-दौलताबाद से 12 किलोमीटर दूर वेरुलठ गांव के निकट स्थापित इस मंदिर में मात्र दर्शन करने से भक्तों की सभी  मनोकामना पूरी होती है। चलिए जानते हैं इस मंदिर के बारे में जहां अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री करेंगी दर्शन। 

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एलोरा की गुफाओं के निकट है ये मंदिर

यह मंदिर अजंता और एलोरा की गुफाओं के निकट स्थित है। श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग को कुछ लोग घुश्मेश्वर के नाम से भी जानते हैं।  इसके अलावा यह 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे अंतिम यानी 12वें स्थान पर पूजा जाता है। शिवमहापुराण में घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग का वर्णन है। इसमें बताया गया है कि यह शिवलिंग शिव की अपार भक्त रही घुष्मा की भक्ति का स्वरूप है। उसी के नाम पर ही इस शिवलिंग का नाम घुष्मेश्वर पड़ा था। ज्योतिर्लिंग ‘घुश्मेश’ के समीप ही एक सरोवर भी है, जिसे शिवालय के नाम से जाना जाता है।   

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यहां सभी इच्छाएं होती है पूरी 

कहा जाता है कि जो भी इस सरोवर का दर्शन करता है उसकी सभी इच्छाओं की पूरी हो जाती है। बताया जाता है कि यहां ‘घुश्मेश’  प्रतिदिन 101 शिवलिंगों को पूजन के पश्चात प्रवाहित करती थी और यहीं से उसे अपने पुत्र की प्राप्ति भी हुई थी। तभी तो यहा श्रद्धापूर्वक दर्शन करने मात्र से निसन्तान जोड़ों की सन्तान प्राप्ति की मनोकामना शीघ्र ही पूर्ण हो जाती है। 

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इस मंदिर में हैं तीन द्वार

इस मंदिर की यह विशेषता है, कि इसमें तीन द्वार हैं तथा गर्भगृह के सामने ही एक विस्तृत मंडप है, जिसे सभा मंडप कहा जाता है। हर साल देश-विदेशों से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं तथा आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं। श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भगवान शिव का अति प्राचीन और विश्व प्रसिद्ध मंदिर है इसलिए सावन के महीने यहां भारी भीड़ देखने को मिलती है। 

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औरंगजेब ने मंदिर का किया था नुकसान

कहा जाता है कि औरंगजेब के समय में इस मंदिर को भारी क्षति पहुंचाई गई थी। लेकिन, उसके बाद यहां एक बार फिर से मराठा राज कायम होने के बाद इस मंदिर को फिर से खड़ा किया गया और, 18वीं शताब्दी में देवी अहिल्याबाई होलकर के शासनकाल में इस मंदिर का पूर्ण रूप से जिर्णोद्धार किया गया था। मंदिर में गर्भगृह का आकार 17 गुणा 17 फीट का है, जो अन्य ज्योतिर्लिंग मंदिरों के गर्भगृहों की अपेक्षा देखने में खुला और बड़ा भी है।इस मंदिर की उंचाई के लगभग आधे भाग तक लाल पत्थर पर भगवान विष्णु के दशावतारों के अलावा और भी कई देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई हैं।
 


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vasudha

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