कोरोना काल में माता-पिता को खोने वाली वनिशा पाठक बनीं टाॅपर, CBSE में हासिल किए 99.8 % अंक

punjabkesari.in Wednesday, Aug 04, 2021 - 09:54 AM (IST)

कोरोना वायरस की महामारी में जहां अब तक लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई वहीं कई बच्चों के सिर से मा-बाप का साया उठ गया। कोरोना वायरस की महामारी में अपने माता-पिता को गंवाने वाले बच्चों में एक वनिशा पाठक भाी है जिसने जिंदगी के इतने कठिन सफर में भी सीबीएसई के 10वीं के रिजल्‍ट में 99.8 फीसदी अंक हासिल किए।

मैं एक मजबूत लड़की बनूंगी डैडी, तुम्हारे बिना
इतना ही नहीं वनिशा ने भोपाल शहर के अन्‍य दो बच्‍चों के साथ टॉपर का टैग भी हासिल किया है। वहीं कोरोना से माता-पिता की मौत के बाद वनिशा ने एक कविता में लिखा था कि मैं एक मजबूत लड़की बनूंगी डैडी, तुम्हारे बिना। 

एक हफ्ते के भीतर पापा और मां को खो दिया
बहरहाल, कार्मेल कॉन्वेंट (भेल) की 16 वर्षीय छात्रा वनिशा उस समय बेहद नाजुक पलों से गुजर रही थी।  वनिशा पाठक ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा कि मैंने एक हफ्ते के भीतर पापा और मां को खो दिया, मेरे सामने अंधेरा था और मुझे लगा कि मैंने अपने जीवन में सब कुछ खो दिया है, इसके साथ उसने कहा कि जब मैंने छोटे भाई को देख तो मुझे अहसास हुआ कि 16 साल की उम्र में मुझे इसके लिए माता-पिता की जिम्‍मेदारी उठानी होगी, मुझे मजबूत रहने के साथ अपने जीवन और पढ़ाई फोकस करना होगा।

मेरे पिता चाहते थे, मैं आईआईटी क्रेक करके देश की सेवा करूं
वनिशा ने कहा कि मेरे पिता चाहते थे, मैं आईआईटी या फिर यूपीएससी क्रेक करके देश की सेवा करूं। अब पापा का सपना ही मेरा सपना है। बता दें कि वन‍िशा ने 10वीं में इंग्लिश, संस्‍कृत, साइंस और सोशल साइंस में परफेक्‍ट 100 का स्‍कोर किया है, तो मैथ में 97 फीसदी अंक हासिल किए हैं। 

बतां दें कि वनिशा के पिता जितेद्र कुमार एक कंपनी में फाइनेंशियल एडवाइजर थे, जबकि मां डॉक्‍टर सीमा पाठक पेश से सरकारी स्‍कूल टीचर थीं।

माता और पिता को आखिरी बार अस्‍पताल जाते हुए देखा
वनिशा ने कहा कि उसने अपने माता और पिता को आखिरी बार अस्‍पताल जाते हुए देखा, उस वक्‍त उन्‍होंने कहा था कि जल्‍दी मिलेंगे, लेकिन वो कभी नहीं आए, इसके साथ उसने कहा कि मेरी मां से 2 मई को बात हुई थी, लेकिन उनकी 4 मई को मौत हो गई, जबकि पापा से 10 मई को बात हुई थी और वह 15 मई को उनका देहांत हो गया। 

 इस मुसीबत में चाचा का साथ मिला
इसके बाद मेरे रिश्‍तेदारों ने बताया कि दोनों की कोरोना की वजह से मौत हो चुकी है, यही नहीं, मैं अपनी मां का चेहरा भी अंतिम बार नहीं देख सकी। इसके साथ वनिशा ने कहा कि उन्‍हें अपने चाचा विवान से इस मुसीबत में साथ मिला, लेकिन उसने कभी हिम्‍मत नहीं हारी, जबकि छोटे भाई की वजह से उसे बहुत प्रेरणा मिली है।

बता दें कि इस बार CBSE की 10वीं की परीक्षा में देशभर से करीब 21 लाख छात्र शामिल हुए थे. इसमें से 99.04 फीसदी सफल रहे हैं, जबकि इस बार मध्‍य प्रदेश के छात्रों का सफलता प्रतिशत 99.47 रहा है।

Content Writer

Anu Malhotra