40% महिलाएं Uterus TB की शिकार, बांझ बना देगी लक्षणों की अनदेखी

punjabkesari.in Sunday, Mar 31, 2019 - 01:34 PM (IST)

गर्भाशय टीबी महिलाओं को होने वाला एक रोग है, जो भारत में तेजी से बढ़ रहा है। इसके कारण महिलाएं बांझपन का शिकार भी हो जाती है। माइको बैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण होने वाला यह रोग फेफड़ों को अधिक प्रभावित करता है। शोधों के अनुसार, इंफेक्शन, इस टीबी का सबसे मुख्य कारण है, जिसके परिणामस्वरूप भारत में 25-30% महिलाओं में बांझपन का शिकार हो रही है। ऐसे में बेहतर जरूरी है कि महिलाओं को गर्भाशय टीबी बारे में पूरी जानकारी हो। हालांकि यह बीमारी पुरूषों में भी हो सकती है लेकिन महिलाओं को इसका ज्यादा खतरा रहता है।

 

गर्भाशय/यूटरस टीबी क्या है?

गर्भाशय टीबी में बीमारी गर्भाशय के पार्ट्स अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय का मुंह और वजाइना या वजाइना के मुख में आसपास के लिम्फ नोड्स में होता है। यह रोग आम तौर पर इंफेक्शन के कारण होता है, जिससे शरीर के अन्य भागों के साथ फेफड़े भी प्रभावित होते हैं।

कैसे होता है गर्भाशय टीबी?

टीबी एक ऐसा रोग है, जो संक्रमित व्यक्ति से खांसी और छींक के जरिए फैलता है। अगर आप फिजिकल रूप से संक्रमित व्यक्ति के करीब हैं तो इस बीमारी के चांस दोगुना बढ़ जाते हैं। शुरुआत में यह बीमारी फेफड़ों पर असर करती है, फिर बाद में बैक्टीरिया खून के जरिए दूसरे पार्ट्स में पहुंच जाता है। कमजोर इम्यून सिस्टम वाली महिलाएं जल्दी इसकी चपेट में आ जाती है। वहीं अगर यह बीमारी प्रेग्नेंसी के दौरान हो जाए तो इससे गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।

कैसे बनता है बांझपन का कारण? 

इसे पेल्विक टीबी के रूप में भी जाना जाता है। आमतौर पर फेफड़ों में इंफेक्शन होने पर इस बीमारी का पता चल जाता है लेकिन अगर बैक्टीरिया गर्भाश्य पर हमला करते हैं तो महिलाओं में बांझपन का खतरा बढ़ जाता है। टीबी से फैलोपियन ट्यूब को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचता है। किसी भी प्रकार के टीबी से ग्रस्त 30% महिलाओं में गर्भाशय टीबी विकसित हो सकता है। 5-10% में हाइड्रो सल्पिंगिटिस होता है, जिसमें पानी ट्यूब में भर जाता है, जो बांझपन का खतरा बढ़ाता है। वहीं टीबी बैक्टीरिया मुख्य रूप से फैलोपियन ट्यूब को बंद करता है, जिससे पीरियड्स रेग्युलर नहीं आते या पूरी तरह से रुक जाते हैं। इससे बचने के लिए जरूरी है कि लक्षण पहचानकर समय पर इलाज करवाया जाए।

40% महिलाएं है इसकी शिकार

एक्सपर्ट का कहना है कि टीबी से पीड़ित हर 10 महिलाओं में से 2 गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। भारत में गर्भाशय टीबी के 40.80% मामले महिलाओं में देखे जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में टीबी से प्रभावित सूची में भारत 27.9 लाख मरीजों के साथ नंबर 1 स्थान पर था। वहीं 2017 में टीबी से करीब 4.23 लाख मरीजों की मौत हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में सबसे ज्यादा टीबी के मामले भारत, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस और पाकिस्तान में दर्ज किए गए थे।

लक्षण

शुरूआती स्टेज में इसका कोई लक्षण सामने नहीं आता लेकिन 7-8 महीने बाद इसके लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। चलिए आपको बताते हैं कि गर्भाश्य में क्या-क्या लक्षण दिखाई देते हैं।

योनि स्राव 
निचले पेट में गंभीर दर्द
अनियमित पीरियड्स
अमेनोरिया
हेवी ब्लीडिंग
यौन सबंधों के बाद दर्द
उबकाई या उल्टी
वजन का कम होना
बुखार जैसा लगना
हृदय की धड़कन का तेज होना

बचाव के उपाय

भीड़-भाड़ वाले स्थानों से दूर रहें।
प्राइवेट पार्ट की साफ-सफाई का ध्यान रखें।
प्राइवेट-पार्ट की सफाई के लिए वी-वॉश का यूज करें।
नियमित रूप से शारीरिक जांचे करवाएं।
टीबी का इंजेक्शन लगवाएं।
हरी सब्जियां और फल खाएं।
नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।
प्रदूषण से बचकर रहें।
जंक और फास्ट फूड्स से परहेज करें।

Content Writer

Anjali Rajput