कुंवारी लड़कियां हरियाली तीज पर सरल विधि से करें पूजा, भगवान शिव और पार्वती देंगे मनचाहा वर
punjabkesari.in Tuesday, Aug 06, 2024 - 06:53 PM (IST)
हरियाली तीज एक महत्वपूर्ण त्योहार है, खासकर महिलाओं के लिए जो अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। इसके अलावा, अविवाहित लड़कियां भी इस व्रत को अच्छे और मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, कुछ नियमों का पालन करके इस दिन को और भी अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है। यहाँ कुछ वास्तु टिप्स और नियम दिए जा रहे हैं जो हरियाली तीज के दौरान अविवाहित लड़कियों के लिए लाभदायक हो सकते हैं:
पूजा स्थल की दिशा
पूजा स्थल को उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में रखना चाहिए, यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा और शुभता का प्रतीक है। पूजा स्थल को साफ-सुथरा और सुगंधित रखें। फूलों, दीयों और अगरबत्तियों का उपयोग करें।
देवी पार्वती की पूजा
देवी पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थल पर रखें। इस दिन देवी पार्वती के मंत्र और स्तोत्र का पाठ करें। यह उनकी कृपा प्राप्त करने में सहायक होगा।
हरे रंग का वस्त्र
इस दिन हरे रंग का वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह हरियाली तीज का प्रमुख रंग है और यह समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है। घर को रंग-बिरंगे फूलों और बंदनवार से सजाएं।
कुंवारी लड़कियों के लिए नियम
इस दिन निर्जला व्रत रखें, जिससे भगवान शिव और देवी पार्वती प्रसन्न हों। व्रत का संकल्प लें और मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें। पूजा विधि को सही तरीके से करें। इसमें देवी पार्वती की कथा का पाठ, मंत्र जप और आरती शामिल होनी चाहिए। पूजा करते समय मन में श्रद्धा और विश्वास बनाए रखें।
भूलकर भी ना करें ये गलतियां
भूलकर भी पूजा स्थल को गलत दिशा में न रखें। उत्तर-पूर्व दिशा सबसे शुभ मानी जाती है। पूजा स्थल को गंदा या अव्यवस्थित न रखें। व्रत को सही तरीके से निभाएं और किसी भी प्रकार की लापरवाही से बचें। पूजा करते समय या व्रत के दौरान नकारात्मक विचारों से बचें। मन को शांत और सकारात्मक रखें। किसी की आलोचना या बुराई न करें। इसे अशुभ माना जाता है।
विशेष टिप्स
- हरियाली तीज पर मेहंदी लगाने की परंपरा है। यह शुभता और समृद्धि का प्रतीक है।
-बालों में गजरा पहनें। यह न केवल सौंदर्य बढ़ाता है बल्कि शुभता का भी प्रतीक है।
- पारंपरिक और सुंदर वस्त्र पहनें जो त्योहार की थीम से मेल खाते हों।
- पूजा और व्रत के दौरान पूरी समर्पण और भक्ति के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करें।