10 दिन में 2 बार गर्भवती हुई महिला, क्या है एक साथ होने वाली डबल प्रेगनेंसी
punjabkesari.in Sunday, Jan 17, 2021 - 02:22 PM (IST)
मां बनना हर औरत के लिए सौभाग्य की बात होती है। वहीं, जब गर्भ में जुड़वा बच्चे हो तो मा-बाप की खुशी भी दोगुनी हो जाती है। मगर, हाल ही में गर्भ में जुड़वा की खुशी एक महिला के लिए तब चिंता में बदल गई जब उसे पता चला कि वो दोबारा प्रेगनेंट है। जी हां, एक महिला जो पहले से ही जुड़वा बच्चों से प्रेगनेंट थी, वह तीसरे महीने में दोबारा गर्भवती हो गई। मेडिकल भाषा में ऐसी स्थिति को सुपरफेटेशन कहा जाता है, जो बेदह असामान्य स्थिति है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि सुपरफेटेशन क्या है....
क्या है सुपरफेटेशन?
सुपरफेटेशन एक ऐसी असमान्य स्थिति है, जिसमें गर्भ में एक या दो भ्रूण होने के बाद भी महिला दोबारा गर्भवती हो सकती है। ऐसा तब होता है, जब गर्भ में अंडा फिर किसी स्पर्म द्वारा फर्टिलाइज हो जाए। यह पहले गर्भ के कुछ दिनों या हफ्तों में प्रत्यारोपित होता है, जिससे दूसरी गर्भावस्था की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। डॉक्टर हर 2 हफ्ते में महिला का अल्ट्रासाउंड कर रहे हैं, ताकि पता चल सके कि यह सुपरफेटेशन है और जुड़वां अवशोषण (Twin Absorption) या बच्चा कुपोषित तो नहीं है।
जुड़वा नहीं है सुपरफेटेशन
कुछ लोग जुड़वा बच्चे होने को ही सुपरफेटेशन समझ लेते हैं, जबकि दोनों स्थिति बिल्कुल अलग है। एक महिला 1, 2 या तीन बच्चों को जन्म दे सकती है लेकिन जरुरू नहीं कि ये सुपरफेटेशन हो। दरअसल, जुड़वा बच्चों के मामले में महिला एक ही बार प्रेग्नेंट होती है जबकि सुपरफेटेशन में अंडा प्रेगनेंसी के कुछ हफ्तों बाद फर्टिलाइज्ड होता है, जिसे डबल प्रेग्नेंसी भी कहते हैं। अक्सर मछली, हर्ज़ और बैजर्स जैसी प्रजातियों में सुपरफेटेशन के मामले देखे जाते हैं लेकिन इंसानों में ऐसे मामले कम ही होते हैं।
क्या बच्चे सुपरफेटेशन वाले बच्चे एक ही समय पैदा होंगे?
. सुपरफेटेशन में कई रिस्क भी होते हैं, जैसे अगर दो भ्रूण के गर्भधारण में ज्यादा अंतर हो तो इससे दूसरी भ्रूण की डिलीवरी में जोखिम होता है। अगर दूसरे भ्रूण की डिलीवरी 37 सप्ताह से पहले हो जाए तो बच्चे के लिए खतरा काफी बढ़ जाता है। हालांकि कई मामलों में सुरक्षित डिलीवरी की गई है।
. हालांकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि दोनों के बीच कितना अंतर है, कौन-सा भ्रूण कब विकसित होना शुरू होगा। यही हीं, साथ ही दोनों भ्रूण के साइड और उम्र में भी अंतर होगा। वहीं, ऐसे मामलों में ज्यादातर सिजेरियन डिलीवरी ही की जाती है।
सुपरफेटेशन क्यों है अनोखा?
दरअसल, प्रेग्नेंट होने के बाद महिला के हार्मोन्स प्रजनन संबंधी व्यवस्था पूरी तरह से बंद कर देते हैं, जिससे अंडा ओव्यूलेट की संभावना खत्म हो जाती है इसलिए सुपरफेटेशन को अनूठी घटना समझा जाता है।
किन महिलाओं में अधिक संभावना?
एक्सपर्ट्स की मानें तो जो महिलाएं IVF के जरिए फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए हॉर्मोन ट्रीटमेंट लेती हैं उनमें सुपरफेटेशन की आशंका अधिक होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके अंडाशय को बच्चे के लिए पहले से तैयार किया जाता है।
सुपरफेटेशन की जटिलताएं
समय से पहले बच्चों का जन्म होने से उन्हें कई तरह की समस्याएं हो सकती है जैसे...
. सांस लेने में दिक्कत
. जन्म के वक्त शिशु का वजन कम होना
. शिशु को खिलाने के साथ परेशानी
. मस्तिष्क रक्तस्राव या मस्तिष्क में रक्तस्राव
. अविकसित फेफड़ों के कारण होने वाला श्वास विकार
. इसके अलावा सुपरफेटेशन वाली महिलाओं को भी प्रीक्लेम्पसिया, डायबिटीज की संभावना हो सकती है।
क्या सुपरफेटेशन को रोकने का कोई तरीका?
अगर आप प्रेग्नेंट है तो संबंध बनाने से बचें। इससे सुपरफेटेशन की संभावना कम हो सकती है। लेकिन अगर आप प्रजजन के किसी ट्रीटमेंट से गुजर रही है तो इसकी संभावना बढ़ सकती है।