घर पर यूं करें तुलसी विवाह, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

punjabkesari.in Friday, Nov 08, 2019 - 02:46 PM (IST)

सालों से देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी का विवाह करने की मान्यता है। मगर ऐसा इस विवाह के पीछे छिपी कहानी शायद बहुत कम लोग जानते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने पूरे चार महीने की योग निद्रा के बाद अपनी आंखे खोली थी। ऐसा कहा जाता है कि उनके जागने के बाद तुलसी विवाह के साथ उनका आह्वाहन किया गया था। 

 

हिंदू धर्म के मुताबिक, यदि आप पूरे रिति-रिवाज के साथ तुलसी विवाह करते हैं तो आपके जीवन के लिए यह बहुत ही शुभ माना जाता है। शास्त्रों के ज्ञाता बताते है कि इस दिन विष्णु जी को जल अर्पित करने और शालीग्राम के साथ तुलसी विवाह कराने से जीवन के कई दु:खों का नाश स्वयं ही हो जाता है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं तुलसी विवाह से जुड़े कुछ खास तथ्य, जिनमें पूजा के शुभ मूहुर्त से लेकर घर पर ही पूजा करने की पूरी विधि शामिल होगी।

कब है तुलसी विवाह ?

तुलसी विवाह का आरंभ 8 नवंबर यानि आज दोपहर 12 बजे से हो चुका है। यह पूजा आज और कल पूरे दो दिन तक चलेगी। पूजा की समाप्त तिथि और समय दोपहर 2 बजकर 39 मिनट है।

तुलसी विवाह का महत्व !

यूं तो इस पूजा का फल परिवार के सभी सदस्यों को मिलता है। मगर खासतौर पर यह पूजा सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। कुंवारी लड़कियां अगर यह व्रत करती हैं तो उन्हें तो विष्णु जी की कृपा से उन्हें अच्छा परिवार मिलता है। वैवाहिक जीवन में परेशानियां झेल रही स्त्रियां यदि यह व्रत पूरी श्रद्धा के साथ निभाती हैं तो उनकी सभी परेशानियां दूर होती हैं।

तुलसी विवाह का सबसे बड़ा महत्व ये है कि जिन घरों में बेटी नहीं है वे लोग तुलसी विवाह करके कन्यादान का सुख प्राप्त कर सकते हैं। 

अगर आप किसी कारणवश मंदिर जाकर पूजा नहीं कर सकती तो आप इस पूरे विधि-विधान को घर पर ही निभा सकती हैं। आइए जानते हैं कैसे...

तुलसी मां का यह विवाह आम विवाह की तरह ही पूरे रिति रिवाज के साथ निभाया जाता है। इसमें लड़के वाले और लड़की वाले दोनों शामिल होते हैं। ऐसे में आप अपने घर के सदस्यों को ही लड़के और लड़की वालों में बांट लें। उसके बाद सभी सदस्य नहा धोकर साफ कपड़े पहन लें।

- घर का जो सदस्य कन्यादान करेगा, उसके लिए व्रत रखना बहुत जरुरी है। बाकी सदस्य अगर चाहें तो व्रत न भी रखें।

- तुलसी विवाह के लिए घर का आंगन, छत या फिर मंदिर तीनों ही ठीक रहते हैं। ऐसे में घर के आंगन में तुलसी का पौधा पूरी श्रद्धा के साथ चौंकी पर रखें। साथ ही एक चौंकी रखें उस पर भगवान शालीग्राम को स्थापित करें।

- भगवान शालीग्राम के साथ एक कलश रखें, उस पर स्वास्तिक का निशान बनाएं और लाल कपड़े में नारियल बांधकर साथ ही आम के पत्तों पर रख दें।

- तुलसी के गमले पर गेरु मिट्टी का लेप करें और उसी गेरु से जमीन पर रंगोली बनाएं।

- उसके बाद तुलसी के पौधे को भगवान शालीग्राम के दाईं तरफ स्थापित करें। साथ ही घी का दीपक जलाएं।

- इसके बाद गंगाजल में गेंदे के फूल डालकर, तुलसी मां पर छिड़काव करं।उसके बाद भगवान शालीग्राम पर भी गंगा जल की बूंदे डालें।

- उसके बाद मां तलुसी और भगवान शालीग्राम को तिलक लगाएं। तिलक के बाद चार गन्ने लें और गमले में ही मंडप बनाएं। मंडप बनाने के बाद सुहाग की लाल चुनरी मां तुलसी को पहना दें।

- उसके बाद मां तुलसी के श्रृंगार में लाल चूड़ीयां और साड़ी भी शामिल करें।तुलसी मां के साथ-साथ भगवान शालीग्राम को भी तैयार करें। उसके लिए उन्हें पंचामृत से स्नान कराने के बाद पील वस्त्र पहनाएं। उसके बाद तुलसी और भगवान शालीग्राम की हल्दी की रस्म निभाएं। गन्ने के मंडप पर भी जरुर हल्दी लगाएं।

- मां तुलसी के 16 श्रृंगार के बाद अब उन्हें भोग लगाने की तैयारी करें। उसके लिए प्रसाद रुप में बेर, आंवला और सेब उन्हें चढ़ाएं।

- इन सबके बाद बारी आती है फेरों की । घर का पुरुष सदस्य भगवान शालीग्राम को चौंकी सुमेत हाथों में उठाकर मां तलुसी के चारों तरफ परिक्रमा कराएं। फेरों के बाद मां तुलसी को दाईं नहीं भगवान शालीग्राम के बाईं तरफ स्थापित करें। फेरों के बाद दोनों की आरती उतारें और पूजा में शामिल सभी लोगों को प्रसाद बांटे। प्रसाद बांटने से पहले मां तुलसी और भगवान शालीग्राम को खीर और पूरी का भोग जरुर लगाएं। उसी के बाद ही लोगों में प्रसाद बांटे।

तो ये थी मां तुलसी के विवाह से जुड़े कुछ खास तथ्य और विधि.. इसे अपनाकर आप भी मां तुलसी और भगवान शालीग्राम की अपार कृपा की भागीदार बनें। 

Content Writer

Harpreet