गाजियाबाद से लखीमपुर तक फैल रहा जहरीला कफ सिरप, पुलिस ने की कार्रवाई

punjabkesari.in Wednesday, Nov 05, 2025 - 03:28 PM (IST)

 नारी डेस्क: उत्तर प्रदेश में नशे के कारोबार पर कड़ी कार्रवाई शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देशों के बाद खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (FSDA) ने प्रदेशभर में एक बड़ा अभियान चलाया है। इस अभियान का लक्ष्य है  कोडीन युक्त प्रतिबंधित दवाओं के अवैध कारोबार को जड़ से खत्म करना। हाल ही में हुई छापेमारी में लाखों रुपये की नशीली दवाएं जब्त की गई हैं और दर्जनों तस्करों को गिरफ्तार किया गया है।

 ‘ऑपरेशन क्लीन’ के तहत नशा माफिया पर शिकंजा

सरकार ने इस अभियान को ‘ऑपरेशन क्लीन’ नाम दिया है। इसके तहत पुलिस और FSDA की संयुक्त टीमों ने कई जिलों में छापेमारी की है। पिछले एक महीने में ही कई बड़े रैकेट पकड़े गए हैं जो कोडीन सिरप और ट्रामाडोल जैसी नारकोटिक दवाओं की तस्करी में शामिल थे। इस कार्रवाई का उद्देश्य सिर्फ अवैध व्यापार रोकना ही नहीं, बल्कि युवाओं को इस खतरनाक नशे की जकड़ से बचाना भी है।

 गाजियाबाद में सबसे बड़ी कार्रवाई – करोड़ों की दवा बरामद

सबसे बड़ी कार्रवाई गाजियाबाद में हुई। 4 नवंबर को सोनभद्र पुलिस और गाजियाबाद SWAT टीम ने मिलकर एक अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया। पुलिस को मछली गोदाम परिसर से 1,57,350 शीशियां यानी लगभग 15,735 लीटर कोडीन युक्त सिरप (एस्कुफ और फेन्सेडिल) मिलीं। इनकी बाजार कीमत करीब 3.40 करोड़ रुपये आंकी गई। मुख्य आरोपी सौरभ त्यागी समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया। जांच में पता चला कि यह सिरप हिमाचल प्रदेश के पोंटा साहिब और बद्दी से फर्जी लाइसेंस के जरिए मंगाई जा रही थी।

 सोनभद्र में चिप्स के कार्टन में छिपाई थी जहरीली दवा

19 अक्टूबर को सोनभद्र में ही पुलिस ने एक और खेप पकड़ी। इसमें 3 करोड़ रुपये की कोडीन युक्त कफ सिरप चिप्स के कार्टन में छिपाकर ले जाई जा रही थी। तीन तस्कर — हेमंत पाल, बृजमोहन शिवहरे और रामगोपाल धाकड़ (सभी मध्य प्रदेश के निवासी) को गिरफ्तार किया गया। पुलिस को शक है कि यह खेप नेपाल और पाकिस्तान तक भेजी जा रही थी, जिससे यह साफ है कि नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैला हुआ है।

 लखीमपुर खीरी में मेडिकल एजेंसी से जब्त हुई भारी मात्रा

4 नवंबर को लखीमपुर खीरी के न्यू रॉय मेडिकल एजेंसी से 1,200 बोतलें (करीब 2 लाख रुपये की) जब्त की गईं। वहीं, 14 अक्टूबर को पीयूष मेडिकल एजेंसी से 68 लाख रुपये के ट्रामाडोल कैप्सूल बरामद हुए। एजेंसी के मालिक सरोज कुमार मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया गया। यह कार्रवाई दिखाती है कि नशे का यह धंधा अब सिर्फ तस्करों तक नहीं, बल्कि लाइसेंसधारी दुकानों तक पहुंच चुका है।

लखनऊ का ओल्ड मेडिसिन मार्केट बना नशे का हब

राजधानी लखनऊ का अमीनाबाद ओल्ड मेडिसिन मार्केट नशीली दवाओं के कारोबार का नया ठिकाना बन गया है। 12 अक्टूबर को FSDA ने यहां के दीपक मनवाणी को गिरफ्तार किया। उसके घर और गोदाम से भारी मात्रा में कोडीन सिरप और नारकोटिक दवाएं बरामद हुईं। मनवाणी की एजेंसी  न्यू मंगम मेडिकल (सूरज मिश्रा) और मोंटी सरदार से बिना बिल के दवाएं खरीदती थी, जिन्हें बाद में नशेड़ियों को ऊंचे दामों पर बेचा जाता था।

 फर्जी बिलिंग और फार्मा कंपनियों की मिलीभगत का खुलासा

छापों में कई फार्मा कंपनियों की संलिप्तता भी सामने आई है। श्री श्याम फार्मा के मालिक विशाल चौरसिया पर फर्जी बिल बनाकर कोडीन सिरप की बिक्री का आरोप लगा है। FSDA ने इसके अलावा ARPIK और IDHIKA Lifesciences Pvt. Ltd. के डिपो पर छापे मारे, जहां से लखीमपुर खीरी और आसपास के जिलों को करोड़ों रुपये की दवाएं सप्लाई की जा रही थीं। अब तक 115 प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की गई है और 25 मेडिकल स्टोरों पर नारकोटिक दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी गई है।

बहराइच से लेकर मुजफ्फरनगर तक चला तस्करी का जाल

बहराइच में 13 से 15 अक्टूबर के बीच सहायक औषधि आयुक्त मुकेश जैन ने एक घर और दुकान पर छापा मारा, जहां से 9 लाख रुपये की नशीली दवाएं जब्त हुईं। यहां तक कि एक विधायक की गाड़ी से कोडीन सिरप की सप्लाई होने का मामला भी सामने आया। पुलिस को अब इस नेटवर्क के नेपाल और पाकिस्तान से संबंध होने की आशंका है। रायबरेली, सीतापुर, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी और मुजफ्फरनगर में भी 10 से अधिक मेडिकल स्टोर सील किए जा चुके हैं।

कोडीन का खतरा – युवाओं के लिए जहर

कोडीन एक ओपिओइड दवा है जो मूलतः खांसी के इलाज में इस्तेमाल होती है, लेकिन इसका गलत इस्तेमाल नशे के रूप में किया जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि इसकी लत लगना बहुत आसान है। इसका अत्यधिक सेवन सांस की तकलीफ, दौरे, लीवर फेलियर और मौत तक का कारण बन सकता है। यूपी में युवा तेजी से इस जाल में फंस रहे हैं, जिससे अपराध और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। राजस्थान और मध्य प्रदेश में इसी दवा से बच्चों की मौत के बाद अब यूपी सरकार पूरी तरह अलर्ट पर है।

सरकारी सख्ती और जागरूकता अभियान

FSDA आयुक्त डॉ. रोशन जैकब ने कहा है कि ये दवाएं NDPS एक्ट के तहत पूरी तरह प्रतिबंधित हैं और इनकी अवैध बिक्री समाज के लिए गंभीर खतरा है। अब तक विभाग ने 1,039 छापेमारियां, 13,848 नमूने, और 30 करोड़ रुपये की नशीली दवाएं जब्त की हैं। 68 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 1,166 मेडिकल स्टोरों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं। सरकार ने एक व्हाट्सएप नंबर (8756128434) भी जारी किया है, जहां जनता सीधे शिकायत कर सकती है।

नशामुक्त भारत की ओर कदम, लेकिन राह अभी लंबी

यह अभियान नशामुक्त समाज की दिशा में एक अहम पहल है। लेकिन प्रशासन की चुनौती यह है कि तस्कर नए रास्ते और नए तरीके ढूंढते जा रहे हैं। इसलिए इस जाल को तोड़ने के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर तालमेल बेहद जरूरी है। अभी यह शुरुआत है  आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। सवाल यह है कि क्या यह मुहिम लंबे समय तक जारी रह पाएगी या तस्कर फिर कोई नया रास्ता निकाल लेंगे?   

 

 


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Content Editor

Priya Yadav

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