टॉम भी रह चुकें है डिस्लेक्सिया के शिकार, जानिए इस बीमारी के लक्षण और बचाव

punjabkesari.in Wednesday, Jul 03, 2019 - 01:13 PM (IST)

टॉम क्रूज हॉलीवुड के सबसे सफल एक्टर्स में से एक माने जाते हैं लेकिन भारत में भी उनकी पॉपुलैरिटी कुछ कम नहीं है। टॉम आज जिस मुकाम पर हैं वहां पहुंचना हर किसी के लिए आसान नहीं होता, खासकर कोई बचपन से डिस्लेक्सिया जैसी बीमारी का शिकार हो। दरअसल, टॉम को बचपन में डिस्लेक्सिया नामक बीमारी थी, जिसके कारण उन्हें बोलने वह चीजों का याद रखने में काफी परेशानी होती थी लेकिन अपनी कमजोरी को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने ना सिर्फ हॉलीवुड बल्कि बॉलीवुड में भी एक खास जगह बनाई।

 

क्या है डिस्लेक्सिया?

टॉम का बचपन बेहद कठिन भरा रहा। उन्हें डिस्लेक्सिया था, जिसकी वजह से उन्हें चीजों को याद रखने और बोलने में दिक्कत होती थी। डिस्लेक्सिया एक ऐसा लर्निंग डिसऑर्डर है, जिसमें बच्‍चों के लिए पढ़ना, लिखना और शब्दों का बोल पाना मुश्किल होता है। इससे ग्रस्त बच्चे अक्सर बोलने वाले और लिखित शब्दों को याद नहीं रख पाते हैं और उन्हें रोजमर्रा की चीजें समझने में भी मुश्किल होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि डिस्लेक्सिया से प्रभावित बच्चा के दिमाग को किसी भी इन्फॉर्मेशन को प्रोसेस करने में कठिनाई होती है। हालांकि उनकी बुद्धि या ज्ञान पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता। दुनियाभर में कम से कम 3-7 फीसदी बच्चे इस बीमारी से ग्रस्त हैं।

तीन तरह की होती है यह बीमारी

डिस्लेक्सिया तीन तरह का होता है - प्राइमरी, सेकेंड्री, ट्रॉमा डिस्केक्सिया। प्राइमरी डिस्लेक्सिया में बच्चें अक्षर व संख्या की पहचान करना, पढ़ना, मापना, समय देखना और अन्य गतिविधियां नहीं कर पाते। सेकेंड्री डिस्लेक्सिया की समस्या भ्रूण में बच्चों का दिमागी विकास न होने की वजह से होती है, जिसमें उन्हें शब्दों की पहचान करने और उन्हें बोलने में समस्या आती है। वहीं ट्रॉमा डिस्लेक्सिया की समस्या दिमागी चोट लगने के कारण होती, जो बच्चों में कम देखने को मिलती है। इसके कारण बच्चे शब्दों की आवाज नहीं सुन पाते, जिके कारण उन्हें शब्द बोलने या पढ़ने में परेशानी होती है।

डिस्लेक्सिया के लक्षण

यह विकार 3-15 साल उम्र के लगभग 3% बच्चों में पाया जाता है। डॉक्टरों के मुताबिक, ज्यादातर बच्चों की प्रॉब्लम स्कूल जाने पर सामने आती हैं। थोड़ी उम्र में इस बीमारी के लक्षण पहचानने में थोड़ी मुश्किल होती है लेकिन अगर बच्चों में ये संकेत दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं।

-धीरे लिखना और पढ़ना
-समझने या सोचने में कठिनाई
-किसी बात को याद रखने में कठिनाई
-शब्दों को मिलाने में कन्फ्यूज़न रहना
-एक जैसे दिखने वाले शद्बों में फर्क ना पहचान पाना
-सुने हुए शद्बों को लिखने में दिक्कत आना
-दिशाओं को समझने या मैप को समझने में परेशानी होना
-ज्यादा दिमाग लगाकर सोचने से सिरदर्द होना

बीमारी का कारण

वैसे तो इस बीमारी का पका कारण बता नहीं चल पाया है लेकिन माता-पिता या परिवार में अगर किसी को दिमाग से जुड़ी कोई भी परेशानी रही हो तो, उनके बच्चों में डिस्लेक्सिया बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती हैं।

ऐसे रखें डिस्लेक्सिया बच्चे का ख्याल

डांट नहीं प्यार से समझाएं

अगर बच्चे को यह प्रॉब्लम है तो उन्हें पढ़ाने का तरीका बदलें। डांट की बजाए उन्हें प्यार और खेल-खेल में पढ़ाएं। इससे वो आपकी बात जल्दी समझ जाएं। इसके लिए आप पेटिंग और कहानियों का सहारा भी ले सकते हैं।

प्रोत्साहित करें

डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों के लिए पर्याप्त समय निकालें और उन्हें प्रोत्साहितकरें। इसके अलावा उनके साथ अच्छा व्यवहार करें और उनके साथ धैर्य से पेश आना चाहिए। 

प्रेशर ना डालें

पेरेंट्स व टीचर्स को भी धैर्य रखना चाहिए। अगर बच्चा धीरे-धीरे पढ़ या किसी लेसन को लिख रहा है तो उसको ऐसा करने दीजिए न कि उसपर किसी तरह का प्रेशर डालने की कोशिश करें।

वोकेशनल ट्रेनिंग दें

बच्चों की गलतियां नोटिस करें और उन्हें जो चीज समझ में नहीं आती उन्हें वो बार-बार लिखवाएं और समझाएं। आप उन्हें खिलौने के माध्यम से भी सिखा सकते हैं या भी उन्हें वोकेशनल ट्रेनिंग दे सकते हैं।

पढ़ने या लिखने की प्रेक्टिस करवाएं

बच्चे को रोजाना जल्दी-जल्दी पढ़ने या लिखने की प्रेक्टिस करवाएं जो उसके ब्रेन के लिए काफी अच्छी बात हैं। मगर ऐसे में खुद को धैर्य बिल्कुल न खोएं क्योंकि यह आपके बच्चे को डरा सकता हैं।

एक्सरसाइज और डाइट

बच्चों को रोजाना एक्सरसाइज करवाएं और उनकी डाइट में ज्यादा से ज्यादा फल, सब्जियां और दालें शामिल करें।

Content Writer

Anjali Rajput