तनोट माता मंदिर जहां पाकिस्तान के गिराए हजारों बम हुए थे बेअसर

punjabkesari.in Sunday, Feb 28, 2021 - 02:43 PM (IST)

पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के एक खास हिस्से पर एयर स्ट्राइक कर दी है। इसके बाद दोनों देशों के बीच हालात बहुत नाजुक बने हुए हैं। इससे पहले भारत और पाकिस्तान के बीच कई युद्ध हो चुके हैं। इस बीच हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जो 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध का गवाह है। ये मंदिर है राजस्थान के जैसलमेर में स्थित तनोट राय माता का मंदिर। यहां से पाकिस्तान बॉर्डर सिर्फ 20 किलोमीटर दूर है।

खास है ये मंदिर

तनोट माता भारतीय सीमा सुरक्षा बल की आराध्य देवी हैं। सेना के जवान ही मंदिर की देखरेख करते हैं। 1965 में भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ था। युद्ध में पाकिस्तानी सेना की ओर से माता मंदिर के क्षेत्र में करीब 3000 बम गिराए थे, लेकिन मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ। मंदिर की इमारत वैसी की वैसी रही। मंदिर परिसर में अभी भी करीब 450 पाकिस्तानी बम आम लोगों के देखने के लिए रखे हुए हैं। ये सभी बम उस समय फटे ही नहीं थे। भारतीय सेना और यहां के लोग इसे देवी मां का ही चमत्कार मानते हैं।

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पाकिस्तानी ब्रिगेडियर भी आए थे माथा टेकने

1965 के युद्ध के दौरान माता के चमत्कारों के आगे नतमस्तक हुए पाकिस्तानी ब्रिगेडियर 'शाहनवाज खान' ने भारत सरकार से यहां दर्शन करने की अनुमति देने का अनुरोध किया। करीब ढाई साल बाद भारत सरकार से अनुमति मिलने पर ब्रिगेडियर खान ने न केवल माता के दर्शन किए, बल्कि मंदिर में चांदी का छत्र भी चढ़ाया जो आज भी मंदिर में है।

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मंदिर का इतिहास

मंदर परिसर में लगे शिलालेख के अनुसार जैसलमेर के निवासी मामडियांजी जी की पहली संतान के रूप में जन्म लिया था। देवी मां ने जन्म के बाद उस जगह बहुत से चमत्कार दिखाए और लोगों का कल्याण किया। जब राजा भाटी तनुरावजी ने यहां टनोढ़गढ़ की नींव रखी थी। इसके बाद यहां देवी मां का मंदिर बनवाया गया और वे तनोट राय माता के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

यहां है विजय स्तंभ

इस मंदिर की पूरी देखभाल भारतीय सीमा सुरक्षा बल ही करती है। यहां भारत-पाकिस्तान युद्ध की याद में एक विजय स्तंभ भी बनवाया गया है। ये स्तंभ भारतीय सेनिकों की वीरता की याद दिलाता है।

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यहां पहुंचने का रास्ता

अगर आप तनोट माता के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले राजस्थान के जैसलमेर पहुंचना होगा। आप देश के किसी भी हिस्से से यहां आसानी से पहुच सकते हैं। जैसलमेर से करीब 130 किमी दूर तनोट माता मंदिर है। मंदिर पहुंचने के लिए आप जैसलमेर से प्राइवेट कार से जा सकते हैं। इसके अलावा राजस्थान रोडवेज की बस भी तनोट जाती है।

Id-proof जरूर रखें साथ

सुरक्षा के लिहाज से ये इलाका बहुत ही संवेदनशील है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर सैनिकों द्वारा कड़ी नजर रखी जाती है। ऐसे में आपके पास परिचय पत्र(Id-proof)  होना बहुत जरूरी है। इसकी मदद से आप यहां होने वाली जांच में परेशानियों से बच सकते हैं।

ठहरने की भी व्यवस्था 

अगर कोई श्रद्धालु यहां रुकना चाहता है तो उसके लिए यहां रुकने की पर्याप्त व्यवस्था भी है। यहां विश्राम गृह बना हुआ है, जिसमें आप ठहर सकते हैं।


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Content Writer

Anjali Rajput

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