इस बार कृष्ण जन्मभूमि में मनाया जाएगा अनोखा महोत्सव,  ठाकुरजी के श्रृंगार में झलकेगी चंद्रयान 3 की झलक

punjabkesari.in Monday, Sep 04, 2023 - 05:01 PM (IST)

मथुरा स्थित श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर में आगामी जन्माष्टमी समारोह भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के उन वैज्ञानिकों को समर्पित होगा जिन्होंने चंद्रयान -3 मिशन को सफल बनाने में अहम योगदान दिया। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन इस बार सात सितंबर (बृहस्पतिवार) की रात को श्रीकृष्ण जन्‍मोत्‍सव मनाने के लिए मथुरा में बड़े पैमाने पर तैयारियां जारी हैं और सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं।

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 इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व चंद्रयान-3 की थीम पर मनाया जाएगा, जिसमें बृहस्पतिवार की मध्य रात्रि के बाद भगवान श्री कृष्ण ‘प्रज्ञान-पोषाक' धारण किए ‘सोमनाथ पुष्प बंगला' में विराजमान होंगे। इस बार यह महोत्सव देश के विकास व हिन्दू राष्ट्र के संकल्प के साथ मनाया जाएगा। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा और सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि इस साल भगवान श्रीकृष्ण के 5250 वें जन्मोत्सव के अवसर पर जन्मस्थान की साज-सज्जा, ठाकुरजी की पोशाक और श्रृंगार आदि पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।मंदिर में आने वाले भक्तों को भगवान के दर्शन की सुविधा देने के लिए कपाट सुबह 5.30 बजे से देर रात 1.30 बजे तक खुले रहेंगे। प्रसाद के लिए जल्दी न खराब होने वाली वस्तुएं बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

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शर्मा के मुताबिक, श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर ब्रज की पंरपराओं के अनुरूप श्रद्धालुओं को प्रसाद, बधाई पोटली, खिलौने, मिष्ठान, फल, कपड़े आदि सामग्री वितरित की जाएगी।  नंदोत्सव के दिन कढ़ी-चावल और पुआ का विशेष प्रसाद सभी श्रद्धालुओं को बांटा जाएगा।  “जन्माष्टमी का दिन मंदिर में ढोल-शहनाई बजाने के साथ शुरू होगा। सुबह-सुबह किए जाने वाले अभिषेक समारोह में हर भक्त को ‘चरणामृत' दिया जाएगा। इसके अलावा, श्रीकृष्ण जन्मस्थान की ओर जाने वाले तीन बिंदुओं पर अस्थायी ‘क्लॉक रूम' स्थापित किए जाएंगे, ताकि श्रद्धालु अपना सामान रख सकें।” 

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शर्मा ने बताया जन्मभूमि के अंदर और परिसर के बाहर से श्रद्धालु जिस भी दिशा से भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करें, उन्हें वहीं से जन्मभूमि की अद्भुत छटा की अनुभूति हो, ऐसा प्रयास किया जा रहा है। भगवान श्रीकृष्ण की प्राकट्य भूमि और कारागार के रूप में प्रसिद्ध गर्भगृह तथा पूरे श्रीकृष्ण चबूतरा की साज-सज्जा भी अद्भुत एवं मनमोहक होगी।  जन्माष्टमी के अवसर पर केवल बृहस्पतिवार को श्रद्धालुओं का मंदिर परिसर में प्रवेश मुख्य द्वार की जगह गोविंद नगर द्वार (गेट संख्या 3) से और निकास मुख्य द्वार (गेट संख्या 1) से होगा। प्रशासन भी जन्माष्टमी का त्योहार शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने के प्रयास में जुटा हुआ है। 

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इस बार श्री कृष्ण जन्म के पश्चात ठाकुरजी को आसन ग्रहण कराए जाने वाले पुष्प बंगले का नामकरण भी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख ‘एस सोमनाथ' के नाम पर किया गया है। जिस पोशाक में भगवान दर्शन देंगे, उसका नाम भी रोवर प्रज्ञान के नाम पर ‘प्रज्ञान-प्रभास' रखा गया है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट एवं श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने कहा-‘‘चंद्रयान-3 ने दक्षिणी-ध्रुव पर पहुंचकर विलक्षण कार्य संभव किया है। ऐसी महान उपलब्धि पर राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक वैज्ञानिकों के तप, त्याग और परिश्रम को नमन कर रहा है। इसीलिए, चन्द्रवंशी भगवान श्रीकृष्ण के 5250 वें जन्मोत्सव के विशिष्ट एवं भव्य आयोजन में उनके पुष्प-बंगले का नाम भी इसरो के प्रमुख के नाम अनुरूप ‘सोमनाथ पुष्प-बंगला' रखा गया है।'' इस बीच, मुख्य चिकित्सा अधिकारी अजय कुमार वर्मा ने कहा कि श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर में प्रत्येक अस्थायी ‘‘क्लॉक रूम'' में चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी। 


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Content Writer

vasudha

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