चमत्कारों से भरा है गणेश जी का यह मंदिर, अभी तक देखने को मिलते हैं करिश्मे

punjabkesari.in Friday, Aug 30, 2019 - 05:52 PM (IST)

गणपति उत्सव की शुरुआत होते ही देश का कोना-कोना भगवान श्री गणेश की भक्ति में लीन हो जाता है। विश्वभर में गणपति जी को संबोधित बहुत सारे मंदिर हैं। यूं तो गणपति जी की अराधना हर मंदिर में खासतौर पर की जाती है मगर कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जिनकी मान्यता कुछ अलग और खास है। उन्हीं में से एक मंदिर है कनिपकम गणेश मंदिर। इस गणेशोत्सव के मौके आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में कुछ विशेष बातें...

कनिपकम का इतिहास

कनिपकम गणेश मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 11 वीं शताब्दी में चोल के राजा 'कुलोथुंगा' ने की थी। यह मंदिर भगवान गणेश के बाकी मंदिरों से काफी अलग और अनूठा है। इस मंदिर के बीचों बीच एक नदी बहती है। जो इस मंदिर की खूबसूरती को बहुत ज्यादा बढ़ा देती है।

अनोखी मूर्ति

इस मंदिर में गणेश जी की बहुत विशाल और सुंदर मूर्ति स्थापित है। यहां के पंडित बताते हैं कि यह मूर्ति लगातार साइज में बढ़ती जा रही है। सुनने में शायद आपको कुछ अटपटा लगे, मगर इस बात का प्रमाण गणेश जी का पेट है। जी हां, मूर्ति में गणेश जी का पेट लगातार पढ़ता चला जा रहा है। इसी वजह से लोग इस मंदिर के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। 

हर मनोकामना पूरी करती है ये मूर्ति

इस मंदिर की खासियत सिर्फ यही नहीं है कि यहां भगवान गणेश की मूर्ति का आकार बढ़ता है बल्कि यहां आने वाले हर भक्त की इच्छा बहुत जल्द पूरी होती है। मंदिर के बीचों-बीच जो नदी बहती है उसमें डुबकी लगाकर जो भक्त गणेश जी के दर्शनों के लिए जाता है, उसके मन की हर इच्छा बहुत जल्द पूरी हो जाती है। 

नदी ने जोड़े थे हाथ

ऐसी मान्यता है कि मंदिर दर्शन करने आए दो भाईयों के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हो गाय था। जिसके बाद गांव की पंचायत ने एक भाई के हाथ काट दिए थे। मगर पूरी श्रद्धा के साथ जब लड़का अपने टूटे हुए हाथ लेकर मंदिर पहुंचा और उसने नदी में अपने टूटे हुए हाथ डाले, तो उसके दोनों हाथ देखते ही देखते पहले जैसे हो गए। 

तो ये थी कनिपकम मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें। इस गणेशोत्सव मौका मिलने पर जरुर देख कर आएं भगवान श्री गणेश की इन निराली कलाओं को अपनी आंखो से। 

 

Content Writer

Harpreet