फैशन नहीं, सुरक्षा के लिए टैटू बनवाती है यह आदिवासी लड़कियां

punjabkesari.in Wednesday, Feb 05, 2020 - 01:53 PM (IST)

भारत ही नहीं, देश भर में महिलाएं फैशन के लिए अपनी शरीर पर विभिन्न तरह के टैटू बनवाती है। वहीं कुछ ऐसे देश भी है जहां पर महिलाएं फैशन नहीं बल्कि अपनी सुरक्षा के लिए शरीर पर टैटू बनवाती है जिसे पुराने समय में गोदना गुदवाना कहा जाता है। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, ओडिशा के कालाहांडी की महिलाएं गोदना गुदवाने की प्रथा को पूरी करती है। वहीं देश भर में ऐडमिरैस्टी द्वीप में रहने वालों, फिजी निवासियों, भारत के गोंड और टोडो, ल्यू क्यू द्वीप, ऑस्ट्रेलिया में कुंआरी आदिवासी लड़कियां टैटू बनवाती है।

 

सुरक्षा के लिए शुरु हुई थी प्रथा

भारत की आदिवासी लड़कियां 10 साल की उम्र में ही न केवल अपने माथे बल्कि पूरे शरीर पर रंगीन टैटू बनवाती है। दरअसल शरीर पर टैटू बनवाने की शुरुआत आदिवासी लड़कियों ने खुद को शिकारी राजाओं से बचाए रखने के लिए की थी। टैटू बनवाते समय वह न केवल अपने शरीर पर बल्कि चेहरे को खुरदरा कर लेती है। इसके साथ ही वह अपनी सुरक्षा के लिए हाथों में श्रृंगार के तौर पर नुकीले कंगन भी पहनती है। 

स्वास्थ्य के लिए भी है अच्छी 

जापान के अनुसार टैटू बनवाने की प्रथा स्वस्थ के लिए बहुत अच्छी है। यह एक्यूप्रेशर विधि है। अब टैटू न केवल लड़कियां बल्कि आदिवासी युवा और बुजुर्ग भी अपने शरीर पर बनवाने लगे हैं। यह टैटू जड़ा के तेल में दीये की राख मिलाकर नीडिल यानि की सुई की मदद से पूरे शररी पर बनाए जाते है। 
 

Content Writer

khushboo aggarwal