घर का गलत फर्नीचर खराब कर सकता है आपका मूड और मैंटल हेल्थ, ध्यान से चुनें कुर्सी और सोफे
punjabkesari.in Monday, Nov 03, 2025 - 06:34 PM (IST)
नारी डेस्क: आज-कल हम अपने घर या ऑफिस में फर्नीचर को सिर्फ सुंदर दिखने वाला सामान समझ लेते हैं। लेकिन शोध बताते हैं कि फर्नीचर का चयन, उसकी व्यवस्था (layout) और गुणवत्ता हमारे मूड, मानसिक स्वास्थ्य और काम की क्षमता (productivity) पर गहरी छाप छोड़ते हैं। समझते हैं कि क्यों और कैसे।

क्यों फर्नीचर मायने रखता है
जब हमारी कुर्सी, डेस्क या सोफे असुविधाजनक होते हैं तो शरीर अस्थिर हो जाता है -स्पाइन में खिंचाव, गर्दन में दर्द, मसल्स में तनाव होने लगता है। ऐसे में हमारा मस्तिष्क लगातार कष्ट (discomfort) को भी संसाधित कर रहा होता है, जिससे काम पर ध्यान कम हो जाता है। दूसरी ओर, जब फर्नीचर हमारा समर्थन (support) करता है जैसे सही ऊंचाई की कुर्सी, आरामदायक बेंच, अच्छी तरह व्यवस्थित डेस्क तो हमारा मस्तिष्क उस “कष्ट” से नहीं जूझना पड़ता और हम बेहतर फोकस कर पाते हैं। इसके अलावा, फर्नीचर सिर्फ physical aspect नहीं, बल्कि भावनात्मक संकेत भी देता है ।
मानसिक स्वास्थ्य पर फर्नीचर का प्रभाव
यदि कुर्सी, सोफा या बेड सीधे हमारी शारीरिक आवश्यकताओं (posture, साइज) को पूरा करे, तो निरंतर दर्द या असमंजस से जुड़ी तनाव-हॉर्मोन) कम हो सकते हैं। घर या ऑफिस में ऐसी जगह जहां फर्नीचर हमें आराम, नियंत्रण महसूस कराए, वहां आत्मविश्वास और शांत-भाव बढ़ता है। अगर सोने का बेड सही सपोर्ट दे, संचालन (layout) शांत व व्यवस्थित हो तो नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है- नींद के अच्छे होने का असर सीधे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।

उत्पादकता व काम पर प्रभाव
जब हमारा शरीर आरामदायक अवस्था में होता है, हमारा मस्तिष्क “कष्ट प्रबंधन” में ऊर्जा खर्च नहीं करता। इसका मतलब है कि हम उन कामों पर बेहतर ध्यान दे सकते हैं जो मस्तिष्क-शक्ति मांगते हैं। गतिहीन (sedentary) अवस्था या असहज बैठने की स्थिति से थकान जल्दी आती है। यदि फर्नीचर सही हो जैसे उठ-बैठ विकल्प, मॉड्यूलर डिज़ाइन तो ऊर्जा बनी रहती है और काम की गति बेहतर होती है। फर्नीचर के चलते काम-स्थान में जो माहौल बनता है।
कुछ व्यावहारिक सुझाव
फर्नीचर-मटेरियल व रंग ध्यान दें: प्राकृतिक सामग्री जैसे लकड़ी, कॉटन-फैब्रिक से ‘गर्माहट’ और भावनात्मक आराम मिलता है। रंगों में नीला, हरा शांत माहौल देते हैं।
फर्नीचर की व्यवस्था सही करें: रास्ते बंद न हों, खुलापन महसूस हो, प्राकृतिक प्रकाश का प्रवाह हो।
काम और विश्राम के लिए अलग-जगह बनाएं: यदि घर में काम कर रहे हैं, तो ऐसा डेस्क सेटअप हो जहां काम के बाद सोफा-आराम-एरिया अलग हो।
सुरक्षित-अध्यायन व् आराम-जोन की व्यवस्था: जैसे लैपटॉप के सामने बैठने की जगह, और बाद में आराम करने की कुर्सी।
क्लटर कम रखें: फर्नीचर कम-से-कम हो लेकिन चयनित तथा व्यवस्थित हो - इससे वातावरण ज्यादा आरामदायक व मानसिक रूप से ‘साफ’ लगता है।
निष्कर्ष
यह कहना गलत नहीं होगा कि “आपका फर्नीचर सिर्फ सामान नहीं है - यह आपके दिन-दिन की मानसिक स्थिति, काम करने की क्षमता और आराम करने की गुणवत्ता को आकार देता है”।

