कई दिनों से बदल गई है आवाज ? तो कही आपको भी गले का कैंसर तो नहीं
punjabkesari.in Tuesday, Aug 12, 2025 - 07:10 PM (IST)

नारी डेस्क: शोधकर्ताओं के अनुसार आवाज की विशेषताएं जैसे स्वर का टोन (स्वर की गुणवत्ता) और स्पष्टता (क्लैरिटी) लैरिंजियल कैंसर (गले के कैंसर) के शुरुआती संकेतों का पता लगाने में मदद कर सकती हैं। गले में कैंसर शुरू होने पर आवाज में कई बदलाव आ सकते हैं, जैसे आवाज कर्कश या भारी होना, बोलने में कठिनाई, या आवाज का फीका पड़ना। ये छोटे-छोटे बदलाव सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं से अलग होते हैं और लैरिंक्स (स्वरयंत्र) में असामान्यताओं का संकेत दे सकते हैं।
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मॉनिटरिंग करने पर जल्द पहचाना जा सकता है कैंसर
शोध में पाया गया है कि यदि नियमित रूप से आवाज की इन विशेषताओं की मॉनिटरिंग की जाए, तो लैरिंजियल कैंसर को उसके शुरुआती चरण में ही पहचानना संभव हो सकता है। इससे इलाज जल्दी शुरू किया जा सकता है और रोगी की जान बचाई जा सकती है। इसलिए आवाज की जांच को कैंसर के स्क्रीनिंग टूल के रूप में विकसित करने पर काम हो रहा है, जो सरल, गैर-आक्रामक और सस्ता तरीका हो सकता है।
इस शोध से जगी उम्मीद
शोधकर्ता टीम ने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध ‘ब्रिज2एआई-वॉयस' डेटासेट से ली गई 306 प्रतिभागियों की 12,500 से ज्यादा आवाज रिकॉर्डिंग के स्वर, पिच और स्पष्टता का विश्लेषण किया। उन्होंने कहा कि स्वर में असामान्यता वाले पुरुषों और लैरिंक्स कैंसर से पीड़ित पुरुषों की आवाज में स्पष्ट अंतर पाया गया लेकिन शोधकर्ताओं को महिलाओं की आवाज में कोई विशिष्ट विशेषताएं नहीं मिलीं। शोधकर्ताओं कहा कि यह संभव है कि एक बड़ा डेटासेट ऐसे अंतरों को उजागर कर सकता है। इस शोध से उम्मीद है कि भविष्य में हम आवाज के आधार पर भी गंभीर बीमारियों का जल्दी पता लगा सकेंगे।
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शुरुआती चरणों के संकेत
शोधकर्ताओं ने कहा कि भले ही असामान्यता कम हो लेकिन यह लैरिंक्स कैंसर के शुरुआती चरणों का संकेत दे सकती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान निदान प्रक्रियाएं, जैसे एंडोस्कोपी और बायोप्सी ‘इनवेसिव' हैं। ‘इनवेसिव' का मतलब होता है कि शरीर के अंदर किसी तरह का उपकरण डालना या ऊतक निकालना। अमेरिका की ‘ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी' में क्लिनिकल इन्फॉर्मेटिक्स के पोस्टडॉक्टरल फेलो एवं लेखक डॉ. फिलिप जेनकिंस ने कहा, “शोध में हमें पता चला कि इस डेटासेट (आवाज रिकॉर्डिंग के) के साथ हम ‘वोकल बायोमार्कर' का उपयोग कर स्वर में असामान्यता वाले मरीजों को कैंसर के रोगियों से अलग कर सकते हैं।”