बच्चों में तेजी से बढ़ रहा है पीयर प्रेशर का खतरा, इस तरह करें इलाज

punjabkesari.in Saturday, Jan 27, 2018 - 04:58 PM (IST)

आसपास होने वाली अच्छी-बुरी घटनाओं को देखकर हर कोई प्रभावित होता है चाहे वह बच्चा हो या कोई बड़ा। बड़े तो फिर भी उन सब को देखकर इग्नोर कर देते हैं लेकिन बच्चों में सोचने समझने की शक्ति कम होती है। वह अपने दोस्तों या सहकर्मियों के दबाव में आकर कई बार गलत काम करने लगते हैं जैसे क्लास बंक करना, पेरेंट्स से झूठ बोलना, चोरी करना और स्मोकिंग करना आदि। इसको ही पीयर प्रेशर कहते है। यदि आपका बच्चा भी इसका शिकार है तो उन्हें समझाकर और कुछ बातों को ध्यान में रखकर इस समस्या को दूर किया जा सकता है।

 

क्या है पीयर प्रेशर?
पीयर प्रेशर को सहकर्मियों का दबाव भी कहा जाता है। बच्चे कई बार एेसा काम करने लगते हैं, जिसको करने में उनका मन नही होता, एेसा वह किसी से प्रभावित हो कर या दबाव में आकर करते है जबकि उस काम को करने के लिए उनका मन नहीं करता। बच्चों को इस परेशानी से बाहर न निकालने पर वो किसी बड़ी बीमारी का शिकार भी हो सकते है। वैसे तो यह समस्या आमतौर पर 11 से 15 साल तक के बच्चों में देखने को मिलती है। आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह आप बच्चों को समझाकर और थोड़ी-सी सावधानी बरत कर उन्हें इस समस्या से दूर रख सकते है।

 

1. बच्चों का भरोसा जीतना


इस समस्या के होने पर बच्चे गलत हरकते करने लगते हैं। उनको अपने माता-पिता पर बिल्कुल भरोसा नहीं होता। एेसे में बच्चों का भरोसा जीतना बहुत जरूरी होता है। उनका विश्वास खुद पर बनाने के लिए उनकी गलती होने पर भी उनको प्यार से समझाएं और अच्छा काम करने पर प्रोत्साहन करें। 

 

2.बच्चों से बात करना
इस भागदौड भरी जिंदगी में माता-पिता के पास इतना टाइम नहीं होता है कि वह दो मिनट बैठकर बच्चों से बात करें। इसी वजह से बच्चे अपने पेरेंट्स से अच्छी तरह से घुल-मिल नहीं पाते और उनसे दूर होते चले जाते। अगर मां-बाप अपने बच्चों से बात करेंगे तो ही वह अपनी बाते उनसे शेयर करेंगे।

 

3. बच्चों में आने वाले परिवर्तन को समझें
अगर आपका बच्चा पहले एक दम शांत रहता हो और बाद में चिड़चिड़ा या उदास रहने लगे तो उससे इसके बारे में पूछे तुंरत जा कर उसके दोस्तों से मिले। उनमें आ रहे बदलावों के बारे में पूछें। बच्चों की उदासी का कारण कई बार दोस्तों का दबाव या किसी अन्य तरह की समस्या हो सकती है।

 

4. बच्चों को स्वतंत्र चुनाव करना सिखाएं


जिंदगी में क्या करना है क्या नहीं बच्चे इस चीज का सबसे ज्यादा प्रेशर लेते हैं। अक्सर वो पेरेंट्स या दोस्तों के चक्कर में फैसला करते है, जिसके कारण वो पीयर प्रेशर का शिकार होने लगते है। ऐसे में बच्चों को उनका करियर या छोटे-मोटे फैसला खुद लेने दें। अगर उनको शुरुआत से ही फैसला लेने की आदत तो वो गलतियां नहीं करेंगे।

 

Punjab Kesari