REAL HEROES: कोरोना काल की असली वाॅरियर्स... इन्हें सलाम तो बनता है
punjabkesari.in Sunday, Mar 07, 2021 - 01:58 PM (IST)
संयुक्त राष्ट्र संगठन ने इस बार अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम कोरोना महामारी में योगदान देने वाली महिलाओं को समर्पित की है। इस बार का थीम “Women in leadership: Achieving an equal future in a COVID-19 world” यानि कोविड-19 की दुनिया में एक समान भविष्य की प्राप्ति है। गृहिणी, सामाजिक कार्यकर्त्ता, बिजनेसवुमन के रूप में महिलाओं ने कोरोना महामारी के मुश्किल समय में अलग-अलग तरीकों से अपनी भागीदारी निभाई। चलिए इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके हम आपको कोरोना काल में अतुल्य योगदान देने वाली ऐसी ही कुछ महिलाओं से मिलवाते हैं...
डॉ. अंकिता अग्रवाल
दंत चिकित्सक डॉ. अंकिता अग्रवाल मातृत्व अवकाश पर थीं लेकिन जब उन्हें कोरोना मरीजों की कठिनाइयों की जानकारी मिली तो वह अपना फर्ज निभाने पहुंच गई। उन्होंने आठ माह के अपने बच्चे को अपनी मां के पास छोड़ा और ड्यूटी पर लौट आईं।
डॉक्टर झांसी
आंध्रप्रदेश की डॉक्टर झांसी ने आठ महीने की प्रेगनेंसी में भी अपनी परवाह ना करते हुए अपना फर्ज निभाया। वह रोजाना पैदल 30 कि.मी. का फासला तय कर मरीजों की देखभाल करने पहुंचती है। देवूपल्ली और आसपास के गांवों में कोई निजी क्लीनिक नहीं है इसलिए उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए पीएचसी आकर लोगों को सेवाएं प्रदान की।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता रेलू वासवे
मुंबई की रेलू वासवे लाख परेशानियों के बाद भी लोगों की मदद करने से पीछे नहीं हटी। 27 साल की रेलू वासवे आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं और खुद दो बच्चों की मां है। कोरोना काल के दौरान उन्होंने खुद 18 कि.मी. नाव चलाकरआदिवासी बच्चों और गर्भवती महिलाओं तक जरूरी सेवाएं पहुंचाई। उन्होंने लगातार 6 महीने नर्मदा नदी पार करके गरीब लोगों तक भोजन जैसी जरूरी चीजें पहुंचाई। यहां तक की नर्मदा नदी में बाढ़ आने के बाद भी उन्होंने अपनी ड्यूटी नहीं छोड़ी।
निधि परमार हीरनंदानी
फिल्ममेकर और प्रोड्यूसर निधि परमार हीरनंदानी ने लॉकडाउन में 42 लीटर ब्रेस्ट मिल्क डोनेट किया। जिससे बहुत से बच्चों की जहां भूख मिट वहीं उन्हें एक नया जीवन भी मिला। बता दें निधि इसी साल एक बेटे की मां बनी है। निधि का कहना था कि बेटे के जन्म के बाद उनका बहुत सारा ब्रेस्ट मिल्क वेस्ट जा रहा था। वह अपने इस दूध का किसी भी तरीके से इस्तेमाल करना चाहती थी। इसके बाद उन्होंने ठाना कि वह ब्रेस्ट मिल्क डोनेट करेंगी।
मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर
मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर ने कोरोना संकट में खुद नर्स बनकर मोर्चा संभाला। मुंबई के बीआईएल नायर चैरिटेबल हॉस्पिटल एंड टीएन मेडिकल कॉलेज में किशोरी पेडनेकर ने नर्स बनकर अपनी सेवा दी। बता दें किशोरी पेडनेकर राजनीति में आने से पहले 16 साल तक नर्स का काम कर चुकी हैं।
महिला कैब ड्राइवर विद्या
विद्या ने अपने परिवार से दूर लोगों को उनके घर पहुंचाने का जिम्मा अपने सिर ले लिया। लॉकडाउन के चलते विद्या को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा लेकिन बावजूद इसके विद्या ने अपना हौंसला नहीं छोड़ा और लोगों की मदद करने का फैसला किया। नौकरी न होते हुए भी विद्या खुद की कैब से मुसीबत में फंसे लोगों को उनके घर पहुंचाने का काम करती रहीं। इस काम के लिए उन्हें किसी भी तरह कोई आर्थिक मदद भी नहीं मिली।
IPS सरोज कुमारी
राजस्थान की आईपीएस बेटी सरोज कुमारी को हाल ही में "कोविड-19 महिला योद्धा अवार्ड" से सम्मानित किया गया। गुजरात कैडर की IPS सरोज ने कोरोना महामारी के दौरान पुलिस रसोई, वरिष्ठ निर्भयम और पुलिस परिवार की बहनों को जनसेवा के जरिए रोजगार मुहैया करवाया। सरोज ने वुमन सेल की 8 महिला पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर 'पुलिस रसोई' शुरू की, जिसके जरिए जरूरतमंद लोगों तक भोजन पहुंचाया गया। उन्होंने मुश्किल वक्त में बिना थके, बिना डरे अपनी ड्यूटी के साथ-साथ जनसेवा भी की, जिसके लिए उन्हें इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।
SI गरिमा सूर्या
हिमाचल प्रदेश पुलिस की सब इंस्पेक्टर SI गरिमा सूर्या को 'महिला कोविड योद्धा' रियल हीरो अवार्ड से सम्मानित किया गया है। फ्रंट लाइन कोरोना योद्धा के रूप में वह 4 महीने लगातार बिना किसी छुट्टी के ड्यूटी करती रहीं। वह दिन रात यानि 24 घंटे बजौरा नाके पर कोरोना योद्धा के रूप में अपनी ड्यूटी पर डटी रहीं, जिसको देखते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग ने उन्हें इस सम्मान से नवाजा।
समाज सेविका पूनम सहगल और ज्योति सहगल
रेनबो क्लब की अध्यक्ष पूनम सहगल और महासचिव ज्योति सहगल को अभिन्न योगादान के लिए "कोरोना योद्धा प्रशस्ति पत्र" से सम्मानित किया गया है। कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने ना सिर्फ जरूरतमंदों की सेवा की बच्चों और महिलाओ को स्ट्रेस फ्री रखने के लिए फ्री आनलाइन वर्कशाप भी लगाईं। इसके अलावा उन्होंने जरूरतमंदों तक हैंड सैनिटाइजर, मास्क , खाना, सूखा राशन जैसे सहारनीय कार्य किए। इसलिए उन्हें इस सम्मान से सम्मानित किया गया है।
IAS सौम्या पांडेय
IAS सौम्या पांडेय गाजियाबाद के मोदीनगर तहसील की एसडीएम पद तैनात है। लॉकडाउन के दौरान वह मैटरनिटी लीव पर थी लेकिन संकट देख वह अपनी 22 दिन की दुधमुंही बच्ची के साथ देश के लिए फर्ज निभाने पहुंच गई थी। वह बच्ची को घर अकेला नहीं छोड़ सकती थी इसलिए उसे भी अपने साथ ही ले आईं। मां और अफसर दोनों का फर्ज एकसाथ निभा देख लोगों ने उनकी खूब तारीफ की थी।