मानवता की मिसालः मदद के लिए कभी ना नहीं कहता इस रिटायर्ड प्रिंसपल का NGO

punjabkesari.in Monday, Jan 04, 2021 - 05:08 PM (IST)

दुनिया में शिक्षा से बड़ा कोई दान नहीं होता इसलिए शिक्षक को भगवान का दर्जा दिया जाता है। मगर, आज हम आपको एक शिक्षक के बारे में बताने जा रहे हैं, जो वाकई लोगों के लिए मानवता की नई मिसाल पेश कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश के रहने वाले रिटायर्ड प्रिंसपल निम्मानपल्ले रामचंद्र रेड्डी लोगों को शिक्षा के ज्ञान के साथ-साथ मदद भी बांट रहे हैं।

कोरोना काल में की जरूरतमंदों की मदद

कडापा जिले में रहने वाले 70 वर्षीय रामचंद्र रेड्डी ने 'मनावता' नाम से एक NGO शुरू किया, जिसके जरिए वह शिक्षकों, सॉफ्टवेयर पेशेवरों, बैंकरों, सरकारी कर्मचारी, किसानों और रिटायर्ड कर्मचारियों की मदद कर रहे हैं। शिक्षा या किसी अन्य के लिए उन्हें NGO से चिकित्सा या वित्तीय मदद मिल जाती है। कोरोना काल में भी उनका NGO जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आया।

2004 में की थी एनजीओ की शुरूआत

रामचंद्र रेड्डी ने एक सरकारी कॉलेज लेक्चरर के रूप में काम शुरू किया था, जिसके बाद वह जल्द ही कॉलेज के प्रिंसिपल बन गए। खबरों के मुताबिक, उन्होंने  छात्रों, फैकल्टी और छात्रों के पेरेंट्स समेत 108 सदस्यों के साथ मिलकर 2004 में 'मानवता' की शुरूआत की थी। आज 8 जिलों में इसके 75 मंडल हैं, जिसके साथ करीब 35,000 से अधिक लोग जुड़ चुके हैं।

करीब 200 लोगों की बचाई जान

शुरुआत में उन्होंने एक्सीडेंट का शिकार हुए एर परिवार की मदद के लिए हाथ बढ़ाया था। इसके बाद NGO मेडिकल इमरजेंसी सेवाओं के लिए एम्बुलेंस सेवा शुरू की। शुरूआत के एक साल में ही उन्होंने करीब 200 लोगों की जान बचाई।

यही नहीं, उन्होंने रेयर ब्लड ग्रुप वाले लोगों के लिए एक डेटाबेस भी तैयार किया, ताकि एक्सीडेंट के दौरान कोई खून की कमी की वजह से ना मर जाए। साल 2006 में NGO की सेवाओं से प्रभावित एक स्टूडेंट ने मुर्दाघर में फ्रीजर दान किया। आज उनके आस-पास करीब 8 जिलों में 360 फ्रीजर हैं।

मेधावी क्षेत्रों को दी आर्थिक मदद

यही नहीं, उनके NGO ने आर्थिक तंगी से जूझ रहे मेधावी छात्रों को 20,000 रु से 30,000 रु दिए ताकि वो उच्च शिक्षा प्राप्त कर सके। इसके अलावा उनका संगठन भूखमरी, किसी तरह का अभाव और मजबूर लोगों की मदद के लिए हमेशा खड़ा रहता है।

Content Writer

Anjali Rajput