लिवर सोरायसिस कैंसर के बाद सबसे गंभीर बीमारी गिरफ्त में 1 करोड़ लोग

punjabkesari.in Monday, Sep 17, 2018 - 12:58 PM (IST)

लिवर शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। लिवर में होने वाली सोरायसिस की बीमारी कैंसर के बाद सबसे भयंकर है जिसका अंतिम इलाज ‘लिवर प्रत्यारोपण’ है। आज विकासशील देशों में करीब 1 करोड़ लोग इस बीमारी की गिरफ्त में हैं। 


विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) की रिपोर्ट के अनुसार लिवर सोरायसिस (Psoriasis of the Liver) के 20 से 50 प्रतिशत मामले शराब के अधिक सेवन से देखने को मिले हैं। समय रहते इलाज नहीं होने पर लिवर काम करना बंद कर देता है और यह स्थिति जानलेवा होती है। पाकिस्तान के लाहौर स्थित यूनिवॢसटी ऑफ हैल्थ साइंसेज के कुलपति प्रो. डा. जावेद अकरम ने बताया कि वायरल इंफैक्शन-हैपेटाइटिस-‘सी’ और ‘बी’ लिवर सोरायसिस की मुख्य वजहों में से एक है। यह संक्रमण पाकिस्तान, भारत एवं बंगलादेश समेत विकासशील देशों में बहुत आम हो गया है। यह संक्रमण अस्पतालों के कुछ मामूली उपकरणों के उचित रख-रखाव एवं सफाई की कमी और प्रयोग में लाई गई सिरिंज आदि के दोबारा उपयोग करने से होता है। 

 

बीमारी के कारण
इस रोग की चपेट में आने से सूजन के कारण बड़े पैमाने पर लिवर की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं और उनकी जगह फाइबर तंतु ले लेते हैं। इसके अलावा लिवर की बनावट भी असामान्य हो जाती है और इससे ‘पोर्टल हाइपरटैंशन’ की स्थिति पैदा हो जाती है।

 

शराब का सेवन
शराब का अत्यधिक मात्रा में सेवन के अलावा हैपेटाइटिस-‘बी’ और वायरल-‘सी’ का संक्रमण होने पर भी इस बीमारी का हमला हो सकता है। इस दौरान रुधिर में लौह तत्व की मात्रा बढ़ जाती है और लिवर में वसा जमा हो जाने से यह धीरे-धीरे नष्ट होने लगता है। 

डायबिटीज और मोटापा
इसके साथ ही मोटापा और मधुमेह इस बीमारी के प्रमुख कारण हैं। लिवर सोरायसिस में पेट में एक द्रव्य बन जाता है और यह स्थिति रक्त और द्रव्य में प्रोटीन और एल्बुमिन का स्तर बने रहने की वजह से निर्मित होती है। लिवर के बढऩे से पेट मोटा हो जाता है और इसमें दर्द भी शुरू हो जाती है।

 

सोरायसिस की तीन अवस्था
सोरायसिस के लक्षण 3 स्तर पर सामने आते हैं।


पहली अवस्था
शुरूआती स्तर में व्यक्ति को अनावश्यक थकावट महसूस होती है। साथ ही, उसका वजन भी बेवजह काम कम होने लगता। इसके अलावा पाचन संबंधी समस्याएं सामने आती हैं। 

 

दूसरा अवस्था
इस बीमारी के दूसरे चरण में व्यक्ति को अचानक चक्कर आने लगता है और उल्टियां होने लगती हैं। उसे भूख नहीं लगती है और बुखार जैसे लक्षण होते हैं। 

 

तीसरी एवं अंतिम अवस्था
इस अवस्था में मरीज को उल्टियों के साथ खून आता है और वह बेहोश हो जाता है। इस बीमारी में दवाओं का कोई असर नहीं होता। प्रत्यारोपण ही एकमात्र उपचार है। 

 

लिवर सोरायसिस के लक्षण
लिवर के रोगग्रस्त होने के मुख्य लक्षण त्वचा की रंगत का गायब होना और आंखों के रंग का पीला होना है। ऐसा खून में बिलीरूबिन (एक पित्त वर्णक) का स्तर अधिक होने से होता है जिसकी वजह से शरीर से व्यर्थ पदार्थ बाहर नहीं निकल पाता है।

करीब 1 करोड़ लोग इसकी गिरफ्त में
अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति इस वायरल से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है तो वह भी इससे संक्रमित हो सकता है। प्रो. अकरम ने कहा कि शराब भी इस बीमारी के मुख्य कारणों में से एक है। लंबे समय से शराब के अधिक सेवन से लिवर में सूजन पैदा हो जाती है जो इस बीमारी का कारण बन सकती है लेकिन जो व्यक्ति शराब को हाथ तक नहीं लगाता, वह भी इस बीमारी की चपेट में आ सकता है। इसे ‘नैश सोरायसिस’ यानी नॉन-एल्कोहलिक सिएटो हैपेटाइटिस से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि सोरायसिस का अंतिम उपचार लिवर प्रत्यारोपण है। इसकी सफलता की दर करीब 75 प्रतिशत है जिसे अच्छा माना जाता है। परिवार के किसी भी सदस्य के जिगर का छोटा-सा हिस्सा लेकर मरीज के लिवर में प्रत्यारोपित किया जाता है। डोनर को किसी तरह का कोई खतरा लगभग नहीं के बराबर है।

 

Content Writer

Priya verma