बंगाल में Adenovirus का बढ़ता प्रकोप बन रहा बच्चों की मौत का कारण! जानिए बचाव का तरीका

punjabkesari.in Sunday, Mar 12, 2023 - 01:39 PM (IST)

बंगाल में लगातरा एडिनो वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है। बुखार, सर्दी, खांसी, सांस लेने में दिक्कत और निमोनिया की चपेट में आने से लगातार बच्चों की मौत हो रही है, लेकिन स्वास्थय विभाग का दावा है कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। वहीं आईसीएआर नाइसेड की रिपोर्ट के अनुसार एडिनो वायरस का प्रकोप देश के अन्य राज्यों के मुकाबले पश्चिम बंगाल में ज्यादा है।नाइसेड निदेशक प्रो. डॉ शांता दत्ता ने कहा, जनवरी से 9 मार्च तक बंगाल में 38 प्रतिशत बच्चे एडिनो वायरस से संक्रमित हुए हैं। वहीं पश्चिम बंगाल के बाद संक्रमण के मामले में दूसरे स्थान पर तमिलनाडु है। उन्होनें बताया कि आमतौर पर, वायरस सांस वाली नली में इंफेक्शन करता है।

क्या है एडिनोवायरस और इसके लक्षण

यह एक वायरस है। इसका असर हल्का भी रह सकता है और स्थिति कई बार गंभीर भी हो जाती है। यह सबसे पहले सांस को इफेक्ट करता है। इसके बाद दूसरी परेशानियां आपको घेरती हैं और इन्फेक्शन धीरे-धीरे फैलने लगता है। डॉक्टरों के अनुसार, ये वायरस आमतौर पर हल्की सर्दी या फ्लू जैसी बीमारी का कारण बनते हैं। एडेनोवायरस साल में किसी भी समय संक्रमित कर सकता है। आम तौर से सर्दियों के आखिरी में और वसंत ऋतु की शुरुआती समय में ये सबसे ज्यादा फैलता है।

इन राज्यों में फैला हुआ है वायरस

डॉ दत्ता ने बताया कि एडिनो वायरस के सबसे ज्यादा मामले पश्चिम बंगाल में देखे जा रहे हैं। यहां 38 फीसदी मामले हैं। तमिलनाडु में 19 फीसदी, केरल में 13 फीसदी, दिल्ली में 11 फीसदी और महाराष्ट्र में पांच फीसदी मामले सामने आ चुके हैं। केंद्र के सर्वे से स्वास्ठय विभाग सवालों के घेरे में आ गया है। डॉक्टरों के समूह का दावा है कि जनवरी में एडिनो वायरस   के मामलों में बढ़ोतरी देखी जाती है, लेकिन इसके बाद भी इस संक्रमण को लेकर राज्य की ओर से पहली 18 फरवरी को एडवाइजरी बनाई गई थी। जहां सरकारी बयानों में ये दावा किया जा रहा है कि एडिनो का प्रकोप गंभीर नहीं है, लेकिन आईसीएआर-नाइसेड के सर्वे में कुछ और ही तस्वीर सामने आई है।

कैसे करें बचाव

1. फ्लू जैसे लक्षण से ग्रस्त होने वाले बच्चों पर सबसे ज्यादा ध्यान दें।
2. बच्चों का टेस्ट कराएं, उनके हाल पर ध्यान दें।
3. घर में अगर किसी बडे़ को सर्दी-जुकाम है तो वो बच्चों से दूर रहें।
4. खुद से इलाज न करें, डॉक्टर के अनुसार ही दवाइयां दें।

Content Editor

Charanjeet Kaur