चारधाम यात्रा का हुआ ''श्रीगणेश'': वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ खुले  गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट

punjabkesari.in Friday, May 10, 2024 - 05:25 PM (IST)

अक्षय तृतीया के पावन उपलक्ष्य में शुक्रवार को श्री गंगोत्री एवं श्री यमुनोत्री मंदिर के कपाट धार्मिक विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए ग्रीष्मकालीन दर्शनों हेतु खोल दिए गए। इस अवसर पर देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालु दिव्य धार्मिक परंपराओं की भव्यता के साथ ही गंगा और यमुना के उद्गम क्षेत्रों की सांस्कृतिक समृद्धि के साक्षी बने। इससे पहले आज सुबह बाबा केदारनाथ धाम के कपाट भी खुल गए। 

 

श्रद्धालुओं ने कपाटोद्घाटन के अवसर पर गंगा-यमुना में स्नान-पूजन करने के बाद मंदिर और अखंड ज्योति के दर्शन कर पुण्य अर्जित किया। यात्राकाल के शुभारंभ पर तीर्थ धामों का अभिषेक करने तथा तीर्थयात्रियों के स्वागत के लिए हेलिकॉप्टर से पुष्पवर्षा भी की गई और लोक कल्याण की मंगलकामना करने के साथ ही यात्रा के सुखद और सुरक्षित संपन्न होने की कामना की गई। यमुनोत्री धाम में कपाटोद्घाटन के लिए प्रात: छह बजकर 29 मिनट पर मां यमुना की उत्सव डोली अपने शीतकालीन प्रवास खरसाली (खुशीमठ) से अपने भाई शनिदेव की अगुवाई में कालिन्दी पर्वत की तलहटी में स्थित यमुनोत्री धाम के लिए रवाना हुई। 

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खरसाली में ग्रामीणों एवं लोेक देवाताओं की डोलियों ने यमुना जी की डोली को भावुक कर देने वाले माहौल के बीच विदा किया। डोली यात्रा में जिला कमांडेंट होमगाडर् रूद्रप्रयाग सुनील डंगवाल के नेतृत्व में शामिल 15 महिलाएं 8 पुरूष जवानों का बैगपाईपर बैंड भी आकर्षण का प्रमुख केन्द्र रहा। यमुनोत्री धाम में रोहिणी नक्षत्र की बेला पर वैदिक मंत्रोच्चार व विधि-विधान के साथ तीर्थ पुरोहितों के द्वारा पूर्वाह्न 10 बजकर 29 मिनट पर मंदिर केे कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गए। यमुनोत्री में कपाट खुलने के मौके पर छ: हजार से अधिक श्रद्धालूू मौजूद थे। 

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इधर भैरोघाटी से चलकर गंगा जी की डोली हजारों श्रद्धालुओं के जलसे के साथ गंगोत्री धाम पहॅुची तो भागीरथी के उद्गम क्षेत्र में आस्था का समुद्र उमड़ पड़ा। हर-हर गंगे के उद्घोष और पूजा-अभिषेक के साथ गंगोत्री धाम में अभिजीत मूहूर्त पर अपराह्न 12.25 बजे कपाटोद्घाटन हुआ। इस अवसर पर सेना की जेकेलाई रेजीमेंट के बैंड की स्वरलहरियों ने कपाटोद्घाटन के महोत्सव की भव्यता को नया आयाम दिया। रेजीमेंट के द्वारा श्रद्धालुओं के लिए लंगर की भी व्यवस्था की गई थी। 


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vasudha

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