फूलों की वर्षा के बीच खुले बद्री विशाल के कपाट, 3 चाबियों से खुलता है बद्रीनाथ धाम
punjabkesari.in Thursday, Apr 27, 2023 - 01:00 PM (IST)
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित साक्षात भू बैकुंठ कहे जाने वाले बद्रीनाथ के कपाट आज प्रात: 7 बजकर 10 मिनट पर वैदिक मंत्रोच्चार और पवित्र विष्णु सहस्रनाम के मंत्रोच्चार के साथ खुल गये। इस खास अवसर पर हजारों संत महात्मा और भारत के विभिन्न राज्यों से आए बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान बदरी विशाल की एक झलक पाने के लिए पंक्ति अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए। इस दौरान तीर्थयात्रियों पर हेलीकॉप्टर से फूलों की बारिश की गई।
भगवान बदरी विशाल के कपाट खुलने की प्रक्रिया सुबह 04 बजे से आरंभ हो गयी थी । विभिन्न प्रक्रियाओं के बाद सबसे पहले बद्रीनाथ के रावल मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नम्बूदरी ने मंदिर में प्रवेश किया। ठीक 07 बजकर 10 मिनट पर धाम के के दरबार खुले। इस दौरान बद्रीनाथ धाम को 15 क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया था।
#WATCH | Devotees rejoice as portals of Uttarakhand Shri Badrinath temple open pic.twitter.com/1PDl5EvwYg
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) April 27, 2023
हर साल की तरह इस साल भी पहली पूजा और आरती देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से हुई।बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड में चार धाम की यात्रा शुरू हो गई है। परंपराओं के अनुसार यहां 6 महीने मनुष्य और 6 महीने देवता भगवान विष्णु की आराधना करते हैं।
बद्रीनाथ धाम के कपाट पूरे विधि-विधान से खोले जाते हैं। मंदिर की 3 चाबियां अलग-अलग लोगों के पास होती है। इन तीनों चाबी को लगाने पर ही पट खुलते हैं। एक चाबी उत्तराखंड के टिहरी राज परिवार के राज पुरोहित के पास होती है, जो नौटियाल परिवार से संबंध रखते हैं। दूसरी बद्रीनाथ धाम के हक हकूकधारी मेहता लोगों के पास होती है और तीसरी हक हकूकधारी भंडारी लोगों के पास। मं
बता दें कि बद्रीनाथ धाम अलकनंदा नदी के बाए तट के किनारे बसा हुआ है और इसकी स्थिति दो पर्वत श्रृंखलाओं के बीच है जिन्हें नारायण श्रेणी कहा जाता है।इस मंदिर में बद्रीनारायण के रूप में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह मंदिर ऋषिकेश से लगभग 240 किलोमीटर दूर है।
मंदिर के गर्भग्रह में भगवान विष्णु के साथ नर नारायण की मूर्ति भी स्थापित है और कहते हैं कि इन्हें स्पर्श करने का अधिकार केवल केरल के पुजारी को होता है। मान्यता है कि रावल ही इस मूर्ति को छू सकते हैं और अन्य को स्पर्श करने की मनाही है।
मंदिर में स्थित भगवान बद्रीनाथ की प्रतिमा भगवान विष्णु को समर्पित है जो कि 3.3 फीट की शालिग्राम की बनी हुई है। बद्रीनाथ की यात्रा लगभग 6 महीने तक चलती है जिसकी शुरुआत अप्रैल से होती है और लगभग नवंबर में यात्रा समाप्त होती है।
बताया जाता है कि बद्रीनाथ मंदिर में बद्रीनाथ की स्थापना सोलहवीं सदी के गढ़वाल के राजा ने की थी जिसने भगवान बदरीनाथ की मूर्ति को जिस मंदिर में स्थापित कराया था।इस मंदिर को तीन भागों में विभाजित किया गया है जिसमें मंदिर का गर्भगृह, दर्शन मंडप और सभा मंडप शामिल हैं।