Taj Mahal नहीं ये था 'मुहब्बत की निशानी' का नाम, लोग आज भी हैं इसकी सच्चाई से अनजान
punjabkesari.in Wednesday, Oct 04, 2023 - 02:48 PM (IST)
मोहब्बत की निशानी के नाम से पूरी में मशहूर ताजमहल 7 अजूबों में से एक है। अगर में बनी इस खूबसूरत सी कलाकारी को देखने दूर- दूर से लोग आते हैं। वहीं रात को तो इसकी सुंदरता बस देखते ही बनती है। ये बात तो सब को ही पता है कि बेगम मुमताज की याद में इस खूबसूरत इमारत को मुगल राजा शहजहां ने बनाया था, लेकिन इससे परे और भी कई सारी बाते हैं जिसकी जानकारी बहुत ही कम लोगों को है। क्या आपको पता है कि ताजमहर का नाम पहले कुछ और ही था.....
पहले ताजमहल का ये था नाम....
जब मुमताज को उसकी कब्र में दफनाया गया था, तब मुगल सम्राट शाहजहां ने इस इमारत का नाम रऊजा- ए- मुनव्वरा रख दिया था, हालांकि कुछ समय बाद इसका नाम बदला गया और इसे ताजमहव के नाम से जाना गया। इस इमारत के निर्माण सफेद संगमरमर से किया गया है। इसे बनाने में 32 मिलियन यानी की 3.2 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। आज दूर- दूर से लोग इसे देखने आते हैं।
28 किस्म के पत्थरों से बना है ताजमहल
इतिहास की मानें तो प्यारी की इस निशानी को 28 अलग- अलग किस्म के पत्थरों का इस्तेमाल हुआ है। यही कारण है कि ये मकबरा इतने सालों बाद भी वैसा का वैसा ही है। ताजमहल को बनाने में 20,000 से ज्यादा मजदूर लगे थे। कहानी ऐसी भी है कि जब ताजमहल बन गया था, तब शाहजहां ने उन मजदूरों का हाथ कटवा दिया था। एक सच्चाई ये भी है कि ताजमहल दिल्ली में बने कुतुब मीनार से बड़े हैं।
लकड़ियों पर खड़ा है ताजमहल
आपको बता दें कि शाहजहां ने इस इमारत की शिखर पर एक 40 हजार तोले सोने से बना हुआ एक कलश रखवाया था, जिसकी लंबाई 30 फीट 6 इंच थी। वहीं ये इमारत लकड़ियों पर खड़ी है, और ये ऐसी लकड़ियां हैं, जिन्हें मजबूत रहने के लिए नमी की जरूरत होती है। ताजमहल की बाईं और यमुना नदी से लकड़ियों को नमी मिलती है, अगर नदी नहीं होती तो ताजमहल कब का गिर गया होता ।