13 साल की पूजा ने गरीबी को दिखाया कामयाबी का आइना, चाय वाले की बेटी से बनी Taekwondo Champion

punjabkesari.in Friday, Aug 18, 2023 - 01:12 PM (IST)

कामयाबी  सिर्फ अमीरों को ही नहीं मिलती, यदि हिम्मत हो तो गरीबी में भी कामयाबी कदम चूमने लगती है  इस बात को एक बार फिर से सच साबित कर दिखाया है चाय बेचने वाले की बेटी ने। 13 वर्षीय पूजा चौहान एक ताइक्वांडो चैंपियन है। गरीबी और संघर्ष का जीवन उसे बड़े सपने देखने से नहीं रोक पाया है। 

एथलीट बनने का देखती थी सपना

एक चाय बेचने वाले की बेटी पूजा लखनऊ से लगभग 100 किलोमीटर दूर एक साधारण से घर में रहती है।  जागते या सोते समय वह एक ही सपना देखती थी  - एक शीर्ष पायदान का एथलीट बनना। उसके कच्चे घर के ठीक बाहर पिता, सतीश कुमार चौहान एक चाय की दुकान चलाते हैं और बिस्कुट और वेफर्स बेचते हैं, जो परिवार की कमाई का एकमात्र स्रोत है। अपनी खराब वित्तीय स्थिति के बावजूद, 48 वर्षीय पिता अपनी बेटी को उसके सपने को साकार करने में मदद करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।


इस साल मिली बड़ी जीत

सतीश कुमार का विश्वाश ही था कि उनकी बेटी इस साल जून में उत्तर प्रदेश के कानपुर में आयोजित राज्य स्तरीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में जीत का ताज सजा पाई। सतीश ने गांव कनेक्शन को दिए एक इंटरव्यू में कहा-  “चाय की दुकान से आने वाली आय मेरे परिवार मेरी पत्नी और तीन बच्चों  को चलाने के लिए पर्याप्त है। मैं प्रति दिन 400 रुपये से अधिक नहीं कमा पाता हूं। इसके बावजूद उन्होंने बेटी को सपने देखने से कभी नहीं रोका। 


चार साल की उम्र में खिलाड़ी बनने की जताई थी इच्छा

नौ साल पहले चाय की दुकान पर पूजा ने पहली बार ताइक्वांडो चैंपियन की सफेद पोशाक पहनने का सपना देखा था। पूजा ने बताया- “मैं लगभग चार साल की थी जब मेरे पिता चाय की दुकान पर काम करते थे और मैं बाहर बैठा करती थी। हर सुबह सफेद कपड़े पहने बच्चों का एक झुंड वहां से गुजरता था, तब उसने  अपने पिता से पूछा कि बच्चे कहां जा रहे हैं। उसे पता चला कि वे एथलीट थे जो अपने खेल का अभ्यास करने के लिए पास के ग्रीन पार्क में जा रहे थे। तब से वह खिलाड़ी बनने का सपना  देख रही थी। 

 

बीना कोच के करती थी अभ्यास

पूजा बताती है कि- 2014 में वह ग्रीन पार्क में ताइक्वांडो कक्षाओं में शामिल हुई और अगले वर्ष 2015 में, मैंने सर्कल स्तरीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में भाग लिया। अगले ही साल, 2016 में  उसी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। तब से वह उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और दिल्ली जैसे कई राज्यों में ताइक्वांडो कार्यक्रमों में भाग ले चुकी हैं। पूजा के पास उसे प्रशिक्षित करने के लिए कोई कोच नहीं है, लेकिन वह घर के पास एक छोटे से पार्क में खुद अभ्यास करती थी। इस साल जून में उन्होंने राज्य स्तरीय चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।


कई पदक कर चुकी है अपने नाम

2016 में, उन्होंने कानपुर मंडल स्तरीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। 2017 में उसने जीत दोहराई। 2017 में जयपुर में आयोजित राष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। 2018 में उन्होंने जयपुर में राष्ट्रीय ताइक्वांडो चैंपियनशिप में रजत पदक जीता। 2019 में उन्होंने तेलंगाना में नेशनल चैलेंज सब जूनियर ताइक्वांडो प्रतियोगिता में भाग लिया। 2019 में उन्होंने दिल्ली में थर्ड आर्यन कप नेशनल ताइक्वांडो प्रतियोगिता में सिल्वर जीता।

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vasudha