International Nurses Day: व्यर्थ ना जाए 'शानमुगाप्रिया' का बलिदान, कोरोना नियमों का करें पालन

punjabkesari.in Wednesday, May 12, 2021 - 01:21 PM (IST)

डॉक्टर के बाद नर्स को ही भगवान का दर्जा दिया जाता है, जो अपनी जान दांव पर लगाकर मरीजों की सेवा करती हैं। कोरोना संकट में भी नर्स बेहद अहम भूमिका निभा रही हैं और अपनी जान दांव पर लगाकर लोगों का इलाज कर रही है। ऐसी ही एक नर्स थी शानमुगाप्रिया जो 8 महीने की गर्भवती थी। उन्होंने खुद के बच्चे से पहले दूसरों के बच्चों के बारे में सोचा। कोरोना मरीजों का इलाज करते हुए वह खुद संक्रमित हो गई औ दुनिया को अलविदा कह गई।

आठ महीने की गर्भवती थी शानमुगाप्रिया 

मिली जानकारी के मुताबिक तमिलनाडु की 32 साल की शानमुगाप्रिया आठ महीने की गर्भवती थी। वह अनुपनाडी सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर बतौर चिकित्सक तैनात थी। शानमुगाप्रिया कुछ दिन पहले ही कोरोना संक्रमित पाई गई थी। गर्भवती होने के कारण वह कोरोना वैक्सीन की डोज नहीं ले पाई थी। मदुरै सरकारी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। जहां शानमुगाप्रिया ने बीते दिन आखिरी सांस ली। 

गौरतलब है कि दिल्ली के सरोज अस्पताल में कोरोना के मामलों का विस्फोट हुआ है। इस अस्पताल के 80 डॉक्टर कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं और एक डॉक्टर का इस वायरस के चलते सीनियर सर्जन डॉ. एके रावत निधन हो गया है। अस्पताल में 12 डॉक्टरों को भर्ती किया गया है जबकि बाकी होम क्वारनटीन में है। कोरोना की दूसरी लहर इतनी खतरनाक है जिसकी चपेट में आने से डाॅक्टर भी नहीं बच पाए जो बेहद चिंता की बात है। 

Content Writer

Bhawna sharma