सर्वाइकल कैंसर के घेरे में 50% भारतीय महिलाएं, जानिए किन्हें अधिक खतरा

punjabkesari.in Sunday, Sep 20, 2020 - 12:15 PM (IST)

भारत में ब्रेस्ट कैंसर के बाद सबसे महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की बीमारी ज्यादा देखने को मिल रही है। यह गर्भाशय के सबसे निचले हिस्से में (गर्भाशय और योनि को जोड़ने वाला हिस्सा) सर्विक्स में होता है, जो सर्वाइकल से फैलते हुए ये कैंसर लिवर, ब्लैडर, योनि, फेफड़ों और किडनी तक पहुंच जाता है। शोध के अनुसार, करीब 50% भारतीय महिलाएं इस बीमारी से जूझ रही हैं। वहीं इसके कारण हर साल करीब 63,000 महिलाओं की मौत हो जाती है, बावजूद इसके बहुत कम महिलाओं को इस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी है।

किन महिलाओं को अधिक खतरा?

सबसे पहले हम आपको यह बताते हैं कि किन महिलाओं को अधिक सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि इन्हें सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा अधिक होता है...

-जेनेटिक कारण
-जिनकी उम्र 35-45 साल से अधिक हो
-पीरियड्स अनियमित
-गर्भनिरोधक गोलियों लेने वाली महिलाएं
-असुरक्षित यौन संबंध
-अल्कोहल और सिगरेट का सेवन
-गर्भधारण के कारण एचपीवी संक्रमण होना
-गर्भाशय में चोट लगने के कारण

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सर्वाइकल कैंसर होने पर दिखते हैं ये लक्षण...

सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) में उस समय तक लक्षण नहीं दिखते, जब तक यह बढ़ी हुई अवस्था में न पहुंच जाए। मगर फिर भी इसमें कुछ आम लक्षण दिखाई देते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए...

. अनियमित पीरियड्स
. पीरियड्स में स्‍पॉटिंग
. हैवी ब्लीडिंग
. व्हाईट डिस्चार्ज
. पेट के निचले हिस्से में दर्द या सूजन
. बार-बार यूरिन आना व लूज मोशन
. बहुत अधिक थकावट होना
. हल्का बुखार और सुस्ती रहना
. भूख न लगना या बहुत कम खाना
. सीने में जलन
. बोन फ्रैक्चर

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क्यों होता है सर्वाइकल कैंसर?

लगभग 98% मामलों में यह बीमारी HPV (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) वायरस के कारण होती है। शोध के अनुसार फैमिली हिस्ट्री होने पर स्त्रियों में सर्विक्स कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। वहीं गर्भाशय में चोट लगने या असुरक्षित संबंध भी इसका प्रमुख कारण माना जाता है।

आसान है सर्वाइकल कैंसर की जांच

ज्यादातर मामलों में एडवांस स्टेज में ही इसका पता चल पाता है क्योंकि महिलाएं अपने शरीर में आए बदलावों को नजरअंदाज कर देती है। अगर आप समय पर पैप स्मीयर टेस्ट करवाती रहें तो इसका पता फर्स्ट स्टेज पर ही लगाया जा सकता है। अगर बीमारी की शुरुआत में ही इलाज किया जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है।

कब समझें खतरे को...

अनियमित पीरियड्स, हैवी ब्लीडिंग, थकान और सुस्ती जैसी छोटी-मोटी प्रॉब्लम्स दवां लेने पर ही दूर हो जाती है। मगर ऐसी कोशिशों के बाद भी आपकी स्थिति में कोई बदलाव न आए तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

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सर्वाइकल कैंसर का इलाज

सर्वाइकल कैंसर से निजात पाने के लिए वेक्सीनेशन, सर्जरी और कीमोथेरेपी का सहारा लेना पड़ता है।इस बीमारी से बचने के लिए 30 साल से कम उम्र की महिलाओं को वैक्सीन दी जाती लेकिन इससे भी केवल 70 फीसदी ही बचाव किया जा सकता है।

चलिए अब हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताते हैं, जिससे आप इस बीमारी से खुद का बचाव कर सकती हैं।

-30 की उम्र के बाद सर्वाइकल कैंसर की जांच करवाती रहें क्योंकि समय पर पता लगने से इलाज में आसानी होती है।
-26 की उम्र के बाद एचपीवी वैक्सीन लें, ताकि यह वायरस शरीर में न फैले।
-हर 6 महीने में एक बार पैप स्मीयर टेस्ट जरूर करवाएं।
-मोटापा भी इस कैंसर का कारण बनता है इसलिए वजन को कंट्रोल में रखें।
-डाइट में फल, सब्जियों, साबुत अनाज और स्वस्थ आहार लें।
-असुरक्षित यौन संबंध बनाने से बचे और अपनी सेफ्टी का ध्यान रखें।
-अपने शरीर की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। थोड़ी-सी सावधानी आपको इस कैंसर से बचा सकती है।

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Content Writer

Anjali Rajput

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