सस्टेनेबल और इको-फ्रेंडली इंटीरियर्स डेकोरेशन: पर्यावरण के अनुकूल टिप्स

punjabkesari.in Wednesday, Mar 12, 2025 - 02:38 PM (IST)

 नारी डेस्क: आज के दौर में, जब पर्यावरण संरक्षण हम सभी की जिम्मेदारी बन गया है, अपने घरों को सजाते समय भी हमें प्रकृति के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। एक इंटीरियर डिजाइनर के तौर पर, मैंने देखा है कि भारतीय घरों चाहे बड़े बंगले हों या छोटे फ्लैट्स में सौंदर्य और कार्यक्षमता के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल डिजाइन को अपनाने की चाहत बढ़ रही है। सस्टेनेबल और इको-फ्रेंडली इंटीरियर्स न केवल हमारे घर को सुंदर बनाते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए संसाधनों को भी बचाते हैं। आइए, कुछ आसान टिप्स के साथ जानें कि आप अपने घर को, खासकर छोटे फ्लैट्स या मकानों को, पर्यावरण के अनुकूल कैसे बना सकते हैं।

प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करें

भारतीय घरों में लकड़ी, बांस, मिट्टी और जूट जैसी प्राकृतिक सामग्री का इस्तेमाल पारंपरिक रूप से होता रहा है। ये सामग्रियां न केवल टिकाऊ होती हैं, बल्कि पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचातीं। उदाहरण के लिए, बांस से बनी कुर्सियाँ या टेबल न सिर्फ हल्की और मजबूत होती हैं, बल्कि ये जल्दी उगने वाली फसल होने के कारण सस्टेनेबल भी हैं। छोटे फ्लैट्स में जगह की कमी को देखते हुए, बांस से बनी फोल्डिंग कुर्सियाँ या दीवार पर लगने वाली शेल्फ्स बेहतरीन विकल्प हैं। अपने लिविंग रूम में बांस की कॉफी टेबल या जूट की दीवार हैंगिंग्स का इस्तेमाल करें। ये देसी शिल्पकारों को समर्थन देने के साथ-साथ आपके घर को आकर्षण देंगी।

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पुरानी चीजों को नया रूप दें

भारत में "जुगाड़" की भावना हमारी संस्कृति का हिस्सा है। पुराने फर्नीचर या सामानों को फेंकने के बजाय, उन्हें रीपर्पस करें। उदाहरण के तौर पर, पुरानी साड़ी को कुशन कवर या पर्दे में बदल सकते हैं। इसी तरह, लकड़ी के पुराने दरवाजे को पेंट करके डाइनिंग टेबल में तब्दील किया जा सकता है। अगर आपके पास पुराना सूटकेस पड़ा है, तो उसे रंगकर दीवार पर लटकाएं और किताबों या सजावटी सामानों के लिए शेल्फ की तरह इस्तेमाल करें। यह जगह बचाने का शानदार तरीका है।

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 ऊर्जा की बचत

एलईडी लाइट्स आजकल हर घर में लोकप्रिय हो रही हैं, और यह सही भी है। ये पारंपरिक बल्बों की तुलना में 75% कम बिजली खपत करती हैं और लंबे समय तक चलती हैं। भारतीय घरों में अक्सर पीतल या मिट्टी के दीयों का चलन होता है, जिन्हें आप सजावट के साथ-साथ प्रकाश के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अपने बेडरूम में मिट्टी के हैंडमेड लैंपशेड्स लगाएं और उन्हें एलईडी बल्बों से रोशन करें। फ्लैट की बालकनी में सोलर-पावर्ड लाइट्स लगाएं, जो बिजली बचाने के साथ रात को सुंदरता बढ़ाएंगी।

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पानी और संसाधनों की बचत

सस्टेनेबल डिजाइन का एक महत्वपूर्ण पहलू संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग है। अपने किचन में स्टील के कंटेनरों का इस्तेमाल करें, जो प्लास्टिक की तुलना में टिकाऊ और रीसाइकिल करने योग्य होते हैं। साथ ही, बारिश के पानी को इकट्ठा करने की व्यवस्था (रेनवॉटर हार्वेस्टिंग) को घर की डिजाइन में शामिल करें। बाथरूम में कम पानी इस्तेमाल करने वाले नल और शावरहेड्स लगाएं। यह छोटा बदलाव लंबे समय में पानी की खपत को काफी कम कर सकता है।

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पौधों से सजावट

भारतीय घरों में तुलसी का पौधा या छोटे गमले हमेशा से खास रहे हैं। इंटीरियर में हरियाली लाना न केवल पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि यह हवा को शुद्ध भी करता है। आप अपने लिविंग रूम में हैंगिंग प्लांटर्स या किचन में हर्ब गार्डन बना सकते हैं।

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 न्यूनतम और स्वदेशी डिजाइन

"कम ज्यादा है" का सिद्धांत सस्टेनेबल डिजाइन की नींव है। अपने घर को जरूरत से ज्यादा सामानों से न भरें। इसके बजाय, स्थानीय हस्तशिल्प जैसे राजस्थानी ब्लॉक प्रिंटेड बेडशीट्स या मधुबनी पेंटिंग्स का उपयोग करें। ये पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति को भी दर्शाते हैं। फोल्डिंग फर्नीचर, जैसे बांस का फोल्डेबल बेड या सोफा-कम-बेड, छोटे घरों के लिए आदर्श है। मिट्टी की छोटी प्लेट्स और बांस के चम्मचों का सेट डाइनिंग में इस्तेमाल करें।

सस्टेनेबल डिजाइन का मतलब है अपने घर को सुंदर, कार्यात्मक और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनाना—चाहे वह बड़ा घर हो या छोटा फ्लैट। खासकर छोटे घरों में, मल्टी-परपज फर्नीचर, वर्टिकल स्टोरेज और रीसाइकिल्ड सामानों का इस्तेमाल बड़ा बदलाव ला सकता है। भारतीय मौसम और जीवनशैली को ध्यान में रखते हुए, हमें ऐसी सामग्रियां और तकनीकें चुननी चाहिए जो हमारे पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाएं।

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तो, अगली बार जब आप अपने फ्लैट या घर को सजाने का प्लान करें, तो इन आसान टिप्स को अपनाएं। यह न केवल आपके घर को अनोखा बनाएगा, बल्कि पृथ्वी को हरा-भरा रखने में भी आपका योगदान होगा। आखिर, हमारा घर हमारी दुनिया का पहला कदम है इसे सस्टेनेबल बनाएं, इसे इको-फ्रेंडली बनाएं!

लेखिका- रक्षा सेठी  (इंटीरियर डिज़ाइनर इंदौर)
 
 
 

 


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Content Editor

Priya Yadav

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