Indira Gandhi Birth Anniversary: कुछ ऐसी थी सबसे ताकतवर महिला के प्यार और दूरियों की कहानी

punjabkesari.in Saturday, Nov 19, 2022 - 11:20 AM (IST)

आज पूरा देश आयरन लेडी ऑफ इंडिया' के नाम से प्रसिद्ध इंदिरा गांधी को नमन कर रहा है। 1917 में आज ही के दिन देश को पहली महिला प्रधानमंत्री का जन्म हुआ था।  इंदिरा गांधी भारत की राजनीति में एक ऐसा नाम है, जिनका व्यक्तित्व और कृतित्व सदा चर्चा में रहा।  लोग उन्हें सिर्फ देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में ही नहीं जानते, बल्कि उनके द्वारा लिए गए राजनीतिक फैसलों ने देश में कई बड़े बदलाव किए थे। 


 इंदिरा गांधी ने लिए कई बड़े फैसले

 देश की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने ऐसे कई फैसले लिए, जिनकी वजह से मोरारजी देसाई द्वारा ‘‘गूंगी गुड़िया'' कही गई इंदिरा ‘आयरन लेडी' के तौर पर उभरीं। जवाहरलाल नेहरू और कमला नेहरू के यहां 19 नवंबर,1917 को जन्मी कन्या को उसके दादा मोतीलाल नेहरू ने इंदिरा नाम दिया और पिता ने उसके सलोने रूप के कारण उसमें प्रियदर्शिनी भी जोड़ दिया। 


‘आयरन लेडी' के कुछ फैसले भी रहे विवादित

फौलादी हौसले वाली इंदिरा गांधी ने लगातार तीन बार और कुल चार बार देश की बागडोर संभाली। 1980 में वे चौथी बार प्रधानमंत्री बनीं और 31 अक्टूबर 1984 को अपनी हत्या के दिन तक वह देश की प्रधानमंत्री रहीं। सियासत की माहिर इंदिरा के कुछ फैसले विवादित भी रहे। प्रधानमंत्री के रूप में उनकी सिफारिश पर देश में लगाए गए आपातकाल को उन्हीं फैसलों में गिना जाता हैं, जिसकी वजह से उन्हें अपनी सत्ता से भी हाथ धोना पड़ा और एक अन्य विवादित फैसला उनकी मौत की वजह बना। जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सैन्य कार्रवाई की कीमत उन्हें अपने सिख अंगरक्षकों के हाथों जान गंवाकर चुकानी पड़ी।  


इंदिरा गांधी को हो गया था अपनी मौत का एहसास

इंदिरा को अपनी मौत का एहसास पहले ही हो गया था।  ​30 अक्तूबर को जब वह भाषण दे रही थीं तो उन्होंने कहा था मैं आज यहां हूं, कल शायद यहां न रहूं। मुझे चिंता नहीं मैं रहूं या न रहूं। मेरा लंबा जीवन रहा है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन अपने लोगों की सेवा में बिताया है। मैं अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करती रहूंगी और जब मैं मरूंगी तो मेरे खून का एक-एक कतरा भारत को मजबूत करने में लगेगा।


इंदिरा गांधी ने महिलाओं की बदली सोच 

भारतीय राजनीतिक इतिहास में इंदिरा गांधी का नाम उन महिलाओं को रूप में लिया जाता है, जिन्होंने अपनी एक अलग छाप छोड़ी है, तभी तो उन्हें  भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इतना ही नहीं उन्हे कूटनीति में उत्कृष्ट कार्य के लिए इटली ने इसाबेला डी ‘एस्टे पुरस्कार और येल विश्वविद्यालय ने होलैंड मेमोरियल पुरस्कार दिया था। उनकी मृत्यु के बाद शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए साल 1986 में इंदिरा गांधी पुरस्कार की स्थापना की गई थी। इंदिरा गांधी की वजह से ही सामान्य महिलाओं में भी राजनीतिक जुड़ाओं होने लगा था। 


पिता के खिलाफ जाकर की शादी

देश की सबसे ताकतवर मानी जाने वाली महिला इंदिरा गांधी की लव स्टोरी भी काफी दिलचस्प थी। एक किताब में दावा किया गया था कि  इंदिरा गांधी महज 16 साल की थीं तब से ही फिरोज उनके प्यार में थे और उन्हें कई बार प्रपोज भी किया था। पिता जवाहर लाल नेहरू उनमें अपना बेटा देखते थे, वह उनकी हर मांग पूरी करते थे, लेकिन इस बार वह इंदिरा के फैसले के खिलाफ थे। पिता से विरोध के बावजूद  इंदिरा ने शादी की। हालांकि, कुछ समयबाद उन्हे एहसास हो गया था कि  उन्होंने जीवन में एक बड़ी गलती की है। 


इंदिरा और फिरोज की सोच थी अलग

किताब में यह भी कहा गया कि इंदिरा जब फिरोज के प्रेम में पड़ीं तो वह राजनीति की चकाचौंध से दूर होकर शादी करना और सादगीभरी जिंदगी बिताना चाहती थी, लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था। फिरोज़ और इंदिरा लगभग सभी बात पर जिरह करते थे। बच्चों की परवरिश पर दोनों की राय अलग-अलग थी। राजनीति के बारे में भी दोनों के अलग-अलग विचार थे। ऐसे में दोनों के रास्ते अलग- अलग हो गए। 
 

Content Writer

vasudha