सिर से उठा मां का साया फिर भी नहीं मानी हार, IAS अंकिता चौधरी ने ऐसे हासिल की सफलता

punjabkesari.in Tuesday, Apr 16, 2024 - 03:23 PM (IST)

जब कोई काम पूरी मेहनत के साथ किया जाए तो उसमें आपको सफलता मिलती है। कुछ लोग कड़ी मेहनत के बाद भी हिम्मत नहीं हारते तो वहीं कुछ लोग एक हार के बाद प्रयास करना ही छोड़ देते हैं। लेकिन इन सभी से अलग कहानी है हरियाणा की रहने वाली है आईएएस ऑफिसर बन चुकी अंकिता चौधरी की। अंकिता ने अपनी मां को खोने के बाद भी हार नहीं मानी और अपने सपने को पूरा किया। तो चलिए आज आपको बताते हैं कि अंकिता ने आखिर अपना मुकाम कैसे हासिल किया।  

अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती थी अंकिता 

अंकिता एक मिडिल क्लास परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनकी पिता सत्यवान एक चीनी मिल में बतौर अकाउंटेंट काम करते हैं और उनकी मां हाउसवाइफ थी। अंकिता ने अपनी शुरुआती पढ़ाई रोहतक के इंडस पब्लिक स्कूल से की थी। बचपन से ही अंकिता पढ़ाई लिखाई में बहुत होशियार थी। वह अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती थी। रोहतक के स्कूल में से 12वीं पास करने के बाद अंकिता ने दिल्ली के हिंदू कॉलेज से कैमिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया था। इसी दौरान उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने के फैसला ले लिया था लेकिन  वह मास्टर्स तक इसके लिए अपना समय डेडिकेट ही नहीं कर पाई थी। आईआईटी दिल्ली से पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयार शुरु कर दी थी।

पहले अटेंप्ट में रही असफल 

अंकिता ने साल 2017 में यूपीएससी सिविल परीक्षा का पहला अटैंप्ट दिया था। हालांकि इस दौरान वह अपने पहले प्रयास में असफल रही। पहली असफलता मिलने के बाद भी अंकिता ने हार नहीं मानी और दूसरी बार वह अपने लक्ष्य में जुट गई। इस बार उन्होंने अपनी पिछली गलतियों से सिखने और उन्हें न दोहराने का फैसला किया। 

सोशल मीडिया से बना ली दूरी 

वहीं अपनी सफलता के बारे में बात करते हुए अंकिता ने बताया कि क्या करना है यह तो हर कैंडिडेट को पता चल ही जाता है लेकिन जरुरी यह नहीं कि क्या करना है। अपने बारे में बात करते हुए अंकिता ने कहा कि दो साल तक मैं यह भी नहीं जानती थी कि सोशल मीडिया किसको कहते हैं क्योंकि मेरे अनुसार, यह ध्यान भटकाने का काम करता है। मैंने अपने फोन से यह सारे ऐप भी हटा दिए थे।

मां को हो गया निधन 

लेकिन तैयारी के बीच ही उनकी मां का निधन हो गया। एक हादसे के दौरान अंकिता की मां की मौत हो गई। इसके बाद वह बहुत अकेली पड़ गई लेकिन उनके पिता ने उनका पूरा साथ दिया। अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए अंकिता के पिता ने उनका हौंसला बढ़ाया। इस हादसे के बाद अंकिता ने साल 2018 में यूपीएससी का एग्जाम दिया और अपनी कड़ी मेहनत के साथ उन्होंने दूसरे प्रयास में 14वां रैंक हासिल कर सफलता अपने नाम की। 


 

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palak